भविष्य में बढ़ सकता है AI हथियार का इस्तेमाल, युद्ध में कितना होगा घातक?

यूक्रेन पर आक्रमण ने AI संचालित हथियारों के विकास को गति प्रदान की है क्योंकि युद्ध से ग्रसित यह देश दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में से एक का मुकाबला करने के लिए संघर्ष कर रहा है. इसी दबाव के कारण यूक्रेन को ऑटोनॉमस ड्रोन डेवलप करने पड़े. 

नई दिल्ली:  दुनियाभर की सेनाएं एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लेने लगी हैं. इसके लिए वे AI संचालित हथियारों को भी बनाने जा रहे हैं. इसको लेकर एक ओर कई लोगों को मानना है कि AI हथियार नुकसान कम कर सकती है तो वहीं कई लोगों का तर्क है कि युद्ध में AI हथियारों की दौड़ जल्द ही नियंत्रण से बाहर हो सकती है. 

 

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' द सन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक युनाइटेड स्टेट्स मराइन कोर ने इन AI के क्षेत्र में विकास का खुले दिल से स्वागत किया है. इसको लेकर फरवरी 2024 में क्रेटोस XQ-58 वाल्किरी नाम के एक मानव रहित एयरक्राफ्ट ने अपने दूसरे परीक्षण की उड़ान पूरी की. AI हथियारों के निर्माण के अलावा मरीन कोर मानव रहित विमानों को चालक दल के विमानों के साथ जोड़ने पर भी विचार कर रहा है ताकि इससे ह्यूमन फाइटर जेट को खत्म न किया जा सके.   

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'एयर फोर्स रिसर्च लैब' के कमांडर मेजर जनरल स्कॉट कैन ने कहा कि ' भविष्य में होने वाले युद्ध में AI बेहद महत्वपूर्ण होने वाला है. हमें किसी पिक्चर को समझने और कोई फैसला लेने के लिए इसकी मदद चाहिए होगी.' कैन का मानना है कि ये हथियार युद्ध में भेजे जाने वाले लड़ाकों की संख्या को कम करते हैं और इससे दुश्मनों को नुकसान भी ज्यादा पहुंचता है.  

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ड्रोन जैसे कई तरह के ऑटोनॉमस डिवाइस टारगेट को लॉक करके उन्हें क्षति पहुंचाने का काम करते हैं. इससे हथियारों पर कंट्रोल नहीं होगा और दोनों पक्षों से विनाश बढ़ सकता है. इससे दोनों तरफ काफी नुकसान होता है. इसको लेकर फरवरी 2024 में अमेरिकी सरकार ने AI हथियारों के सही तरीके से इस्तेमाल को लेकर एक राजनीतिक घोषणापत्र जारी किया. इसमें AI हथियारों की तैनाती को लेकर गाइड करने की बात कही गई है.   

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कई देशों से आग्रह किया गया है कि वे ऐसे AI हथियारों को डेवलेप करें, जो अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के प्रति दायित्वों के अनुरूप हो, जिसका उद्देश्य संघर्षों को सीमित करना है और उन लोगों का बचाव करना है जो युद्धा का हिस्सा नहीं है. इस घोषणापत्र में 52 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें रूस शामिल नहीं है. बता दें कि रूस ने AI हथियारों की दौड़ को बढ़ावा देने में योगदान दिया था.   

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यूक्रेन पर आक्रमण ने AI संचालित हथियारों के विकास को गति प्रदान की है क्योंकि युद्ध से ग्रसित यह देश दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में से एक का मुकाबला करने के लिए संघर्ष कर रहा है. इसी दबाव के कारण यूक्रेन को ऑटोनॉमस ड्रोन डेवलप करने पड़े. ऐसी ही एक कंपनी है वाइरी, जो ऐसे ड्रोन का निर्माण करती है, जो हवा में खुद उड़कर अपने टारगेट को लॉक कर देती है. यह डिवाइस कंप्यूटर विजन एल्गोरिदम का इस्तेमाल करते हैं, जो किसी भी तस्वीर को एनालाइज कर सकता है. इसके अलावा ब्रिटिश टेक फर्म 'एमसब्स' प्रोजेक्ट सीटस नाम का एक सबमरीन भी बनाने जा रही है. ये AI सबमरीन घर बैठे-बैठे 3 महीने तक 3,000miles तक ऑपरेट कर सकती है.