वो एक कहावत है न, 'जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है वो खुदही एक दिन उस गड्ढे में गिर जाता है' इन दिनों कांग्रेस पर ये कहावत बिल्कुल सटीक बैठ रही है. कांग्रेसी नेता जब भी किसी मुद्दे को तूल देकर सरकार को घेरने की कोशिश करते हैं, तो उनको मुंह की खानी पड़ती है. इस बात तो देश के गृहमंत्री ने सबूतों के साथ कांग्रेस की कलई खोलकर उनकी राजनीति का बंटाधार कर दिया.
कुर्सी विवाद का सच समझिए
ये विवाद रवींद्रनाथ टैगोर की कुर्सी से जुड़ा है. हुआ कुछ यूं कि गृहमंत्री शाह पर कांग्रेस के नेताओं ने ये आरोप लगा दिया कि वो शांति निकेतन में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की कुर्सी पर बैठे थे, लेकिन कांग्रेस नेताओं को ये थोड़ी मालूम था कि एक-एक झूठ का हिसाब करने के लिए अमित शाह (Amit Shah) ने सबूत इकट्ठा कर लिया है और एक-एक करके कांग्रेस की पोल खोलनी शुरू कर दी.
सबसे पहले तो उन्होंने इस आरोप का खंडन करते हुए साफ साफ कह दिया कि मैं टैगोर जी की कुर्सी पर नहीं बैठा था. जहां पर मेरे बैठने का जिक्र है, वो एक खिड़की है, जहां सभी के बैठने की व्यवस्था है. अमित शाह की इस स्पष्टीकरण पर विश्व भारती ने भी मुहर लगा दी है.
ऐसी फोटो सामने आई जिससे ये साफ हो गया कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की कुर्सी पर शाह बैठे हो या न बैठे हो लेकिन जवाहरलाल नेहरू और राजीव गांधी ने गुरुदेव की कुर्सी पर जरूर आराम फरमाया है.
1). सबसे पहले आप इस तस्वीर को देख लीजिए, ये देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू हैं. जो रवींद्रनाथ टैगोर जी की कुर्सी पर बैठकर कुछ लिख रहे हैं.
2). इस तस्वीर में केतली से कप में चाय ढारने वाले शख्स को तो पहचाने ही होंगे. नाम है राजीव गांधी ये भी देश के पूर्व प्रधानमंत्री हैं. जो टैगोर जी के सोफे पर बैठकर चाय का लुत्फ उठा रहे हैं.
खैर, इन तस्वीरों को संसद की पटल पर पेश करके अमित शाह ने ये तो समझा दिया है कि दूसरों के लिए गड्ढा खोदने से पहले अपने बारे में जरूर जान लेना चाहिए. क्योंकि जब आप किसी पर उंगली उठाते हैं तो बाकी उंगलियां आपकी तरफ ही इशारा करती है. उंगली उठाने से पहले अपने गिरेबां में झांक लेना चाहिए.
इसमें अधीर रंजन चौधरी की गलती नहीं है, पूरी कांग्रेस का कुछ ऐसा ही हाल है. राहुल गांधी से लेकर कई दिग्गज नेताओं ने ये साबित किया है कि वो बिना तथ्य के ही बकवास करते रहते हैं. आपको याद होगा कि 2019 चुनाव से पहले राहुल बाबा ने राफेल राफेल चीखकर बवाल काटने की कोशिश की थी, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मामला पहुंचा और फिर उसका अंत क्या हुआ किसी से नहीं छिपा है.
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आपको ये भी याद होगा कि कैसे NSA अजित डोवल के बेटे विवेक डोवल (Vivek Doval) पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बेबुनियाद आरोप लगाए थे, जिसके बाद उन्हें कोर्ट में माफी मांगनी पड़ी थी.
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अब अधीर रंजन चौधरी ने अमित शाह को घेरने की कोशिश की तो पूरी कांग्रेस पार्टी की पोल खुल गई. अधीर ने अपने भाषण के दौरान अमित शाह पर शांति निकेतन में गुरुदेव टैगोर की कुर्सी पर बैठने का आरोप लगाया था, लेकिन उन्हें भला ये कहां मालूम था कि उनकी ये चाल उनकी पार्टी की ही थू-थू करा देगी. अधीर रंजन जी अगली बार थोड़ा होम वर्क करके आरोप लगाइएगा, क्योंकि ये पब्लिक है ये सब जानती है..
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