दो हिस्से में बंटने वाली है Congress पार्टी! पढ़ें 3 ठोस सबूत
सियासत में सबकुछ संभव है, इस कहावत को कांग्रेस (Congress) पार्टी में मची कलह सच साबित कर रही है. क्योंकि अब ये साफ हो रहा है कि कांग्रेस पार्टी जल्द ही दो हिस्से में विभाजित हो सकती है. ऐसा हम यूं ही नहीं कर रहे हैं, आपको इस खास रिपोर्ट के जरिए विभाजन के संकेत से रूबरू करवाते हैं..
नई दिल्ली: कांग्रेस (Congress) पार्टी सिर्फ और सिर्फ गांधी एवं वाड्रा परिवार के हितों की पार्टी बनकर रह गई है, इस बात के सबूत बार-बार सामने आते रहे हैं. लेकिन अब ऐसे संकेत सामने आ रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी का विभाजन लगभग तय है. इस विभाजन की वजह सिर्फ और सिर्फ परिवारवाद और पार्टी की विचारधारा है. सालों से कांग्रेस पार्टी सिर्फ और सिर्फ एक परिवार की कठपुतली बनकर रह गई है. ऐसे में कांग्रेस नेताओं ने ही ये संकेत दिए हैं कि पार्टी अब टूटने वाली है.
टूट की कगार पर कांग्रेस, 3 बड़े संकेत
सबूत नंबर 1). गुलाम नबी आजाद की नसीहत
कांग्रेस पार्टी में बवाल का सिलसिला जारी है. एक के बाद एक कई दिग्गज नेता परिवारवाद और पार्टी की कार्यशैली को लेकर अपना आक्रोश जाहिर कर रहे हैं. इस बीच कांग्रेस पार्टी के दिग्गज कहे जाने वाले गुलाम नबी आजाद ने खुले तौर पर अपनी पार्टी के रवैये पर नाराजगी जाहिर कर दी है. गुलाम नबी की ये नाराजगी किसी बड़े इशारे से कम नहीं है.
'72 साल में सबसे निचले स्तर पर कांग्रेस'
गुलाम नबी ने कहा कि "मैंने 1.5 साल सोनिया जी से अपॉइंटमेंट ही नहीं मांगी. मैंने प्रोग्राम बनाया प्रदेशों के लिए, पदधारियों को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए. अपॉइंटमेंट नहीं सेलेक्टेड लोग होने चाहिए स्टेट्स में.. बीजेपी का नेशनल अल्टरनेटिव कोई दूसरा नहीं बन सकता. आपकी नेशनल सोच होनी चाहिए. नेशनल प्रजेंस होनी चाहिए. रीजनल पार्टी अपने रीजन के बगैर बात नहीं करेंगे. पार्टी की सोच नेशनल होनी चाहिए. 72 साल में हम सबसे निचले स्तर पर आ गए."
"मैं कपिल सिब्बल और चिदंबरम का समर्थन करता हूं. हम बिहार में हारे तो क्यों हारे, मध्य प्रदेश में सीटें कम क्यों आई, आंकलन करना होगा. पार्टी के लिए एक ही दवाई है कि इलेक्शन कराये जाये. 5 स्टार कल्चर छोड़ना पड़ेगा. मेहनत बहुत करना होगा, हाज़िरी लगाने के लिए पद नहीं होने चाहिए. मैं जब सीएम था, तब 2 बजे सोता था और ६ बजे उठता था. 2 घड़ियों में अलार्म लगाता था."
विचारधारा को मजबूत करने की लड़ाई!
उन्होंने कहा कि "राहुल गांधी-गुलाम नबी को बदलने से कुछ नही होगा, सिस्टम को बदलना होगा. हमारे पार्टी के ढांचा कमजोर होगा है, हमें ढांचा बदलना होगा. कोई नेता आने से कुछ नही होगा. हम विपक्ष मे देश की रक्षा के बारे मे सोचते है और इकॉनामी पर हम चिंतित है, कांग्रेस पार्टी हमारे नस-नस में है. कांग्रेस पार्टी अलग अलग भाषा वाली पार्टी है. देश के एक रखने मे कांग्रेस की ही विचारधारा चलेगी."
"कांग्रेस के अंदर हम चिट्ठी लिखते हैं, तो हम उस विचारधारा को मजबूत करने के लिये चिट्ठी लिखते हैं. हम पार्टी में एक मकैनिक का काम कर रहे है, हम पार्टी को होशियार और सतर्क कर रहे है. ऐसे 130 करोड लोगों वाली पार्टी नही चल सकती है. हम पार्टी से नाराज नहीं है, पार्टी को ठीक करने के लिये ये बेहतर नहीं है कि हम सामने से कह दे कि ये ठीक नहीं है. हम अपनी बात को कांग्रेस मे रहकर अपनी बात को कहेंगे. लाखों वर्कर की अपेक्षाये पार्टी से जुडी हैं. सिफारसी लोगों का पार्टी में कल्चर है, हमे इससे दूर रहना होगा."
"जो मेहनत करता है उसे पार्टी मे लाना होगा. मगर ऐसा नही हो रहा है, राजनीति एक तपस्या है. अहमद पटेल और हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है. पार्टी में कोई बागी नहीं है, हम बागी नहीं हैं, हम रिफार्म की बात कर रहे है. हम पार्टी में रिफार्म की बात कर रहे है."
वहीं यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने गुलाम नबी आजाद पर पलटवार करते हुए ट्वीट किया है कि "जिन 'वरिष्ठ नेताओं' को मर्यादा की मिसाल पेश करते हुए संगठन की गरिमा रखना चाहिए, वो ही मर्यादाओं को तार-तार करने में लगे है! लेकिन शहादतों और समर्पण के बल पर खड़ा हुआ ये संगठन कल भी मजबूत था, आज भी मजबूत है और कल भी मजबूत रहेगा...! कांग्रेस पार्टी ज़िंदाबाद"
जबकि, भाजपा नेता माधव भंडारी ने गुलाम नबी आजाद को सही ठहराते हुए कहा कि "ये लोगो ने संबंध खो दिया है. सच्चाई को अच्छे शब्दों में बताया और समझाया है. गुलाम नबी आज़ाद साहब से बहुत सटीक मुद्दा उठाया है. बहुत चुनाव जीत चुके है इसलिए ऐसे लोगो की बातों को गंभीरता से लेना चाहिए. आज की कांग्रेस लोगों से टूट चुकी है, ये अपने ही बनाये हुए महलो में रहते है. इसलिए गुलाम नबी आज़ाद ने कहा है वो बिलकुल सही कहा है. कांग्रेस की पूरी व्यस्था खत्म हो चुकी है."
आपको याद दिला दें, कि हाल ही में उत्तर प्रदेश कांग्रेस नेता और पूर्व विधान परिषद सदस्य नसीब पठान ने शुक्रवार को वरिष्ठ पार्टी नेता गुलाम नबी आजाद को पार्टी से बाहर निकाल देने की मांग की थी. उन्होंने कहा गुलाम को पार्टी से आजाद कर दो. दरअसल, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद कांग्रेस में प्रमुख पदों की नियुक्ति के लिए चुनाव चाहते थे, इसी को लेकर उस वक्त भी बवाल हुआ था. गुलाम नबी ने तब साफ-साफ शब्दों में कहा था कि '..नहीं तो कांग्रेस अगले 50 साल तक विपक्ष में बैठती रहेगी.' बात इतनी आगे बढ़ी कि गुलाम नबी आजाद ने पार्टी से इस्तीफे तक की पेशकश कर दी थी. मतलब साफ है कि कांग्रेस पार्टी में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है.
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सबूत नंबर 2). कपिल सिब्बल के बगावती तेवर
हाल ही में कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता माने जाने वाले कबिल सिब्बल ने एक इंटरव्यू के दौरान पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा था कि "कांग्रेस पार्टी डेढ़ साल से बिना अध्यक्ष के कैसे काम कर रही है और पार्टी के कार्यकर्ता शिकायत लेकर कहां जाएं." सिब्बल के इस बयान पर मानो कांग्रेस में जंग छिड़ गई है. कपिल सिब्बल ने सच्चाई बयां की तो उनके खिलाफ गांधी परिवार के वफादारों ने मोर्चा खोल दिया. सिब्बल के इस बयान पर अशोक गहलोत के बाद लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने हमला बोला है. अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि वह (कपिल सिब्बल) हमारे नेता नहीं है जो उनके सभी बयानों पर जवाब दिया जाए. मतलब उन्हें कांग्रेस ने भगाने की तैयारी चल रही है?
कपिल सिब्बल को पार्टी से निकालने की तैयारी में कांग्रेस?
इससे ठीक पहले सिब्बल ने बिहार बिहार विधानसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी शिवानंद तिवारी ने डाली. शिवानंद तिवारी ने राहुल गांधी की पिकनिक पॉलिटिक्स पर सवाल खड़े किए थे. इसके बाद कांग्रेस के अंदर भी शीर्ष नेतृत्व की गलतियों का पोस्टमार्टम शुरू हो गया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल खुलकर सामने आ गए थे. उन्होंने उस वक्त कहा कि "बिहार के चुनावों और दूसरे राज्यों के उप-चुनावों में कांग्रेस की प्रदर्शन पर अब तक शीर्ष नेतृत्व की राय तक सामने नहीं आई है. शायद उन्हें सब ठीक लग रहा है और इसे सामान्य घटना माना जा रहा है. पार्टी ने शायद हर चुनाव हारने को नियति मान लिया है."
कांग्रेस के अंदर परिवार की गलतियों पर सवाल उठाने वाले सिब्बल के खिलाफ गांधी परिवार का चहेते नेताओं ने मोर्चा खोल दिया. कपिल सिब्बल को सलमान खुर्शीद ने पार्टी से बाहर जाने की सलाह दे दी. वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सिब्बल के बयान की निंदा कर दी.
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इससे पहले अगस्त के महीने में संगठन में बदलाव पर 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी. जिसके बाद कांग्रेस में कपिल सिब्बल Vs राहुल गांधी की जंग छिड़ गई थी. CWC बैठक में कांग्रेस नेताओं के पत्र पर राहुल गांधी की नाराजगी सामने आ गई थी. पत्र लिखने वाले 23 नेताओं पर राहुल गांधी ने सवाल उठाये थे.
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सबूत नंबर 3). ..जब चिदंबरम ने जताई चिंता
इससे पहले कमज़ोर हालत को लेकर कांग्रेस नेता, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और बेटे कार्ति चिदंबरम ने चिंता जाहिर की थी. इस दौरान पी चिदंबरम ने साफ शब्दों में ये कह दिया था कि ज़मीनी स्तर पर कांग्रेस नदारद या कमज़ोर है. उपचुनाव के नतीजों से ज़्यादा चिंतित हूं. पी चिदंबरम ने अपने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि "मैं गुजरात, मप्र, यूपी और कर्नाटक के उपचुनावों के नतीजों से ज्यादा चिंतित हूं. ये नतीजे बताते हैं जमीनी स्तर पर या तो पार्टी का संगठन कहीं नहीं है, या कमजोर पड़ चुका है."
वहीं बेटे कार्ति चिदंबरम ने भी कहा था कि "कांग्रेस के लिए ये समय आत्मविश्लेषण, चिंतन और विचार-विमर्श का है, ये कदम उठाने का समय है." एक के बाद एक कांग्रेस के बड़े नेताओं ने नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं. इसी साल अगस्त में भी 23 नेताओं ने चिट्ठी लिखकर शीर्ष नेतृत्व में बड़े बदलाव की मांग की थी.
Congress में पड़ रही फूट, हार और हालत पर अब 'चिदंबरम की चिंता'
परिवार की धुरी पर चल रही कांग्रेस पार्टी में एक बगावत के सुर लगातार तेज हो रहे हैं. गांधी परिवार के सदस्यों की जुबान से ये समझा जा सकता है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ और सिर्फ उनके परिवार की पार्टी है. यहां गांधी परिवार के खिलाफ बोलने वालों को भाजपा का एजेंट घोषित कर दिया जाएगा, चाहे वो नेता भले ही पार्टी के हितों के बारे में सोचकर ही आवाज क्यों न उठाए. निश्चित तौर पर इस वक्त जो हालात बन रहे हैं उससे ये समझा जा सकता है कि ऐसे चलता रहा तो कांग्रेस पार्टी का विभाजन निश्चित है.
साबित हो गया कि एक परिवार की जागीर बनकर रह गई है कांग्रेस पार्टी? पढ़ें सबूत
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