Congress में पड़ रही फूट, हार और हालत पर अब 'चिदंबरम की चिंता'

कांग्रेस पार्टी में इन दिनों घरेलू कलह मची हुई है. ऐसा लगने लगा है कि पार्टी में दो फाड़ हो रही है. एक गैंग गांधी परिवार से वफादारी निभा रहा है, तो दूसरे गैंग के नेता अब परिवारवाद से तंग आ चुके हैं. अब चिदंबरम ने भी कांग्रेस पार्टी की चिंता बढ़ा दी है..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 18, 2020, 01:26 PM IST
  • पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का कांग्रेस पर बयान
  • "ज़मीनी स्तर पर नदारद या कमज़ोर है कांग्रेस"
  • उपचुनाव के नतीजों से ज़्यादा चिंतित हूं- चिदंबरम
  • "कांग्रेस को अपनी ताकत देखकर लड़ना था चुनाव"
Congress में पड़ रही फूट, हार और हालत पर अब 'चिदंबरम की चिंता'

नई दिल्ली: अपने बेटे कार्ति चिदंबरम के बाद अब पर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी कांग्रेस की कमज़ोर हालत को लेकर बयान दिया है. एक इंटरव्यू में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने माना कि बिहार चुनाव और उपचुनाव के नतीजे बताते हैं कि कांग्रेस ज़मीनी स्तर पर कहीं नहीं है. चलिए आपको समझाते हैं कि ख़बर क्या है?

कांग्रेस की हालत पर चिदंबरम की चिंता

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अपनी ही पार्टी कांग्रेस को लेकर नाराजगी जाहिर की है. चिदंबरम ने साफ शब्दों में ये कह दिया है कि ज़मीनी स्तर पर कांग्रेस नदारद या कमज़ोर है. उपचुनाव के नतीजों से ज़्यादा चिंतित हूं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपनी ताकत देखकर चुनाव लड़ना था. पंचायत से लेकर ब्लॉक तक आत्ममंथन कांग्रेस करे.

कांग्रेस का जमीनी स्तर पर संगठन या तो नदारद है, या कमजोर पड़ चुका है. हर स्तर पर आत्ममंथन की जरूरत है. ऐसा कहना है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का.. हालिया बिहार चुनाव और उपचुनावों के नतीजों के बाद कांग्रेस की हालत पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कांग्रेस के कमज़ोर नेतृत्व की बात को कबूल कर लिया..

इंटरव्यू में कांग्रेस को चिदंबरम की नसीहत

पी चिदंबरम ने अपने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि "मैं गुजरात, मप्र, यूपी और कर्नाटक के उपचुनावों के नतीजों से ज्यादा चिंतित हूं. ये नतीजे बताते हैं जमीनी स्तर पर या तो पार्टी का संगठन कहीं नहीं है, या कमजोर पड़ चुका है."

बिहार चुनाव को लेकर जब पी चिदंबरम से सवाल पूछा गया कि क्या कांग्रेस महागठबंधन की कमजोर कड़ी थी, तो उन्होनें माना कि कांग्रेस को ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने से इनकार कर देना चाहिए था. 

पी. चिदंबरम ने इंटरव्यू में कहा कि "मुझे लगता है कांग्रेस ने बिहार में अपने संगठन की ताकत से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा. कांग्रेस को मिली करीब 25 सीट ऐसी थीं, जिन पर 20 साल से बीजेपी या उसके सहयोगी जीत रहे थे. पार्टी को सिर्फ 45 उम्मीदवार उतारने चाहिए थे."

तो क्या फूट रही है कांग्रेस पार्टी?

पार्टी के भीतर आत्म मंथन की इसी बात को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल भी दोहरा चुके हैं. जिस पर कांग्रेस सांसद और पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने भी कहा था कि "कांग्रेस के लिए ये समय आत्मविश्लेषण, चिंतन और विचार-विमर्श का है, ये कदम उठाने का समय है."

कपिल सिब्बल, कांति चिदंबरम और अब पी चिदंबरम.. एक के बाद एक कांग्रेस के बड़े नेताओं ने नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं. इसी साल अगस्त में भी 23 नेताओं ने चिट्ठी लिखकर शीर्ष नेतृत्व में बड़े बदलाव की मांग की थी और बात इतनी आगे बढ़ी कि गुलाम नबी आजाद ने पार्टी से इस्तीफे तक की पेशकश कर दी थी. लेकिन कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर इसका कोई असर नहीं हुआ और नतीजा सबके सामने है.

चुनाव दर चुनाव और हार दर हार ही कांग्रेस की नियति बन गई है और सवाल ये कि क्या कांग्रेस के 'हाथ' में परिवार की 'हथकड़ी' बंध गई है? कांग्रेस पार्टी के लिए ये वक्त काफी बुरा दौर है, शीर्ष नेताओं को गांधी परिवार की चमचागिरी छोड़कर असल मुद्दे पर आत्म मंथन करने की आवश्यकता है.

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