Hathras rape: कब राजनीति से महफूज होंगी बेटियां?

हाथरस में युवती से गैंगरेप और हत्या को लेकर प्रदेश में राजनीति गर्म है. इंसाफ की आड़ में नेता चुनावी फसल काटने की जुगत में हैं. हाथरस से लेकर लखनऊ और दिल्ली तक विरोध प्रदर्शन और हंगामे का दौर जारी है. सवाल ये है कि सिर्फ हाथरस ही क्यों.   

Written by - Satyendra verma | Last Updated : Oct 3, 2020, 09:03 AM IST
    • दिल्ली से हाथरस तक बलात्कार पर राजनीति
    • चुनावी फसल काटने के चक्कर में नेता
Hathras rape: कब राजनीति से महफूज होंगी बेटियां?

नई दिल्ली: देश की उन हजारों बेटियों की बात क्यों नहीं हो रही जो इंसाफ की आस में दम तोड़ने को मजबूर हैं. क्या बलरामपुर, बारां और अजमेर ही नहीं देश के दर्जनों शहरों से रेप और हत्या (Rape and murder) की दर्जनों खबरें हर रोज सामने आती है लेकिन सियासतदानों को सिर्फ हाथरस (Hathras) ही क्यों नजर आ रहा है.

प्रियंका की प्रार्थना पॉलिटिक्स
गुरुवार को हाथरस के लिए पैदल मार्च की कोशिश नाकाम रही तो प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka gandhi vadra) दिल्ली में धरने पर बैठ गईं. उनके साथ सैकड़ों कांग्रेसी कार्यकर्ता भी पहुंच गए. एक्ट्रेस स्वरा भास्कर भी जंतर-मंतर पहुंच गईं. शाम होते-होते दिल्ली मोमबत्तियां की लौ के साथ सियासी रोशनी से गुलजार हो गया. जाहिर है मीडिया के कैमरों के सामने चेहरा चमकाने की राजनीति गर्म हो चुकी है.

इससे पहले लखनऊ में एसपी कार्यकर्ताओं का हु़ड़दंग देखने को मिला. बिहार में विधानसभा चुनाव के साथ यूपी की कई सीटों पर उपचुनाव भी है लिहाजा मौके को भुनाने में कोई भी दल पीछे नहीं है.

सिर्फ हाथरस की बात क्यों?
बेटियों पर जारी अत्याचार पर नेताओँ की ये सियासत सवाल खड़े करती है. आखिर हाथरस केस को लेकर ही हंगामा क्यों. जबकि देश में हर रोज 88 रेप होते हैं .इसमें सबसे ज्यादा 17 बेटियां राजस्थान की और 9 यूपी की होंती हैं. भरोसा नहीं होता तो देश में हर साल दर्ज होते रेप के मामलों की ये फेहरिस्त देख लीजिए.
साल 2015 में 34, 651 केस
साल 2016 में 38, 947 केस
साल 2017 में 32, 559 केस
साल 2018 में 32,632 केस
साल 2019 में 30, 868 केस

कहीं सुरक्षित नहीं महिलाएं
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की ये रिपोर्ट बताती है कि रेप के मामले घटे तो हैं लेकिन महिलाओँ के खिलाफ अपराध का आंकड़ा जस का तस है...यानी महिलाएं किसी भी राज्य में सुरक्षित नहीं हैं.
2019 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4,05,861 केस दर्ज हुए जबकि जबकि 2018 में 3,78,236 केस हुए थे...यानी 2018 के मुकाबले 2019 में करीब 27 हजार ज्यादा मामले दर्ज हुए. ये जरूर है कि देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में 14.7% हिस्सेदारी उत्तरप्रदेश की है लेकिन राजस्थान के आंकड़े ज्यादा चौंकाने वाले हैं यहां 2017 में 25,993 और 2018 में 27,866 केस रजिस्टर हुए थे लेकिन 2019 में यह बढ़कर 41,550 हो गए हैं...यानी सीधे-सीधे 33% की बढ़ोतरी.
अब सवाल ये उठता है कि सियासतदान सच में चाहते हैं कि देश की बेटियां सुरक्षित हों या फिर ये सिर्फ चुनावी तिकड़म है. मौके को भुनाने के लिए सियासत गर्माई जा रही है. 

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