किसानों के झूठे हमदर्द राहुल, ममता, केजरीवाल!

ममता हों, केजरीवाल हों, राहुल गांधी हों या लेफ्ट के नेता कृषि सुधार कानून के विरोध के पीछे उनकी सियासी मजबूरियां ज्यादा नजर आ रही हैं. तभी तो पीएम मोदी और बीजेपी खुलकर कह रहे हैं कि अन्नदाता से विपक्ष की हमदर्दी खालिस सियासी है.

Written by - raghunath saran | Last Updated : Dec 30, 2020, 01:05 PM IST
  • 'पलटीबाजी' ने खोल दी कांग्रेस की पोल!
  • 'झूठी ममता' दिखाकर बंगाली किसानों का हक मारा!
किसानों के झूठे हमदर्द राहुल, ममता, केजरीवाल!

नई दिल्ली: हिन्दुस्तान की अन्नदाता की किस्मत बदलने के लिये कृषि क्षेत्र में सुधार बेहद जरूरी है, राहुल गांधी की तरह विपक्ष के बाकी चेहरे भी कभी न कभी ये मांग उठा चुके हैं.लेकिन अब जब मोदी सरकार ने हिन्दुस्तान में खेती की तस्वीर और अन्नदाता का नया भविष्य रचने वाले तीन कानूनों पर मुहर लगा दी है तो विपक्ष को पांव तले से अपनी सियासी जमीन खिसकती नजर आ रही है. यही वजह है कि वो एकजुट होकर कृषि कानूनों के खिलाफ भ्रम फैलाते नजर आ रहे हैं.कृषि कानूनों के विरोध के नाम पर देश को अस्थिर करने की साजिश से आंखें चुराते नजर आ रहे हैं.

इसे भी पढ़ें - रक्षा मंत्री राजनाथ की चीन-पाक को दो टूक, कोई छेड़ेगा तो छोड़ेंगे नहीं

'पलटीबाजी' ने खोल दी कांग्रेस की पोल!

पीएम मोदी ने विपक्ष की इस अवसरवादी सियासत की पोल पहले भी खोली थी, 25 दिसंबर को वो विपक्ष के हमदर्दी की सियासत की चूलें हिलाते नजर आए. उन्हें सीधा सवाल किया कि केरल में मंडी कानून नहीं है, कांग्रेस वहां सत्ताधारी लेफ्ट पर के खिलाफ प्रदर्शन क्यों नहीं करती? बात सही है. नये कानून से किसानों में फसल मंडियों के खात्मे का झूठा डर फैला रही कांग्रेस से पीएम मोदी का सवाल क्या गलत है?

आखिर विपक्षी पार्टियां केरल के किसानों को उनका हक दिलाने के लिये प्रदर्शन क्यों नहीं करतीं? क्यों वायनाड से सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) क्यों केरल में कृषि मंडियां बनाने की वकालत नहीं कर रहे हैं? जवाब वही है-खालिस सियासत.

कृषि कानूनों के विरोध में ट्विटर पर आंदोलन कर रहे राहुल गांधी क्यों भूल जाते हैं कि 2017 में संसद में उन्होंने ही कृषि सुधार कानूनों की हिमायत की थी. कांग्रेस के चुनावी एजेंडे में उसे शामिल करवाया था.

इसे भी पढ़ें - Navjot Singh Sidhu शॉल ओढ़कर आए सुर्खियों में, जानिए उनके विवादित कारनामें

पंजाब चुनाव की सोचकर बिलफाड़ स्टंटबाजी!

किसानों से हमदर्दी दिखाने में दिल्ली के सीएम केजरीवाल (Arvind Kejriwal) राहल से चार कदम आगे निकल गए. उन्होंने दिल्ली विधानसभा में कृषि कानून के कागजों को फाड़ने की जबर्दस्त नौटंकी की. ये किसानों से उनकी हमदर्दी थी या फिर 2022 के पंजाब चुनाव के लिये अपनी पार्टी की राजनीतिक जमीन तैयार करने की कोशिश, ये समझना बहुत मुश्किल नहीं है.

ये वही केजरीवाल थे, जिन्होंने पंजाब चुनाव को ध्यान में रखकर 23 नवंबर को दिल्ली के गजट में तीनों कृषि कानूनों को नोटिफाई कर दिया था. और जैसे पंजाब के किसानों तेवर तीखे होने लगे, उन्होंने पलटी मारने में देर नहीं की. पंजाब चुनाव में वोट जुगाड़ने की गरज से केजरीवाल कैबिनेट के मंत्री आंदोलन कर रहे किसानों के बीच गए. उपवास का सियासी ड्रामा भी किया.

केजरीवाल जी, किसानों से आपकी हमदर्दी में मिलावट नहीं है, ये बात कैसे मान ली जाए? ये सवाल इसलिये है, क्योंकि दिल्ली में किसानों का स्टेट्स आपकी ही सरकार ने खत्म किया है. आपकी ही सरकार है जिसमें दिल्ली के किसानों के ट्यूबेल के लिये कमर्शियल रेट में बिजली बिल भरना पड़ रहा है. इसी बात पर बीजेपी केजरीवाल को घेर रही है.

इसे भी पढ़ें -  चुनावों में बीजेपी को मिलती जीत बनाम राहुल का विदेश दौरा!

'झूठी ममता' दिखाकर बंगाली किसानों का हक मारा!

केजरीवाल की तरह बंगाल में ममता दीदी (Mamata Banerjee) भी कृषि कानूनों का विरोध चुनावी सियासत के कारण कर रही हैं. पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव है तो बंगाल में 2021 में. बंगाल में पिछले तो सालों में बीजेपी ने जिस तरह अपनी जड़ें मजबूत की और टीएमसी की जड़ें खोद कर रख दी, उससे ममता पहले ही ताव में थी. अब अमित शाह ने 200+ सीटें जीतने के लिये मिशन बंगाल का आगाज जिस धूमधड़ाके से किया और उसे बंगाली मानुष ने जिस तरह हाथोंहाथ लिया, बीजेपी को प्रचंड जन समर्थन दिया, उससे ममता बनर्जी को अपनी जमीन अभी खिसकती दिखाई दे रही है.

कृषि बिल पर 'लेफ्ट राइट' का सियासी भ्रमजाल

लेफ्ट की मजबूरी ये है कि वो उस बंगाल में खुद को राजनीति के हाशिये पर जाता देख रहा है, जहां पैंतीस सालों तक वामपंथ का एकछत्र राज रहा था. टीएमसी की करारी चोट ने लेफ्ट सियासी तौर पर बंगाल में इस कदर अधमरा कर दिया है, कि वो बीजेपी से टक्कर लेने की हालत में नहीं है. ऐसे में वो भी अपनी जमीन बचाने के लिये किसान आंदोलन को जरिया बनाना चाहती है. लेकिन बंगाल में किसान से ममता सरकार की नाइंसाफी पर सवाल करने से बच रही है.

हिन्दुस्तान के करीब साढ़े ग्यारह करोड़ अन्नदाता पीएम किसान सम्मान निधि योजना (Pradhan Mantri Kisan Samman Nidhi) का फायदा ले रहे हैं.लेकिन केंद्र को नीचा दिखाने की गरज में ममता बनर्जी सरकार ने बंगाल के 70 लाख किसानों को इसका फायदा लेने से रोक रखा है.

पिछले दिनों पीएम मोदी ने देश के 9 करोड़ किसानों के खाते में 18 हजार करोड़ रुपये की मदद डाली तो इस मुद्दे पर ममता को घेरा.

जाहिर है ममता हों, केजरीवाल हों, राहुल गांधी हों या लेफ्ट के नेता कृषि सुधार कानून के विरोध के पीछे उनकी सियासी मजबूरियां ज्यादा नजर आ रही हैं. तभी तो पीएम मोदी और बीजेपी खुलकर कह रहे हैं कि अन्नदाता से विपक्ष की हमदर्दी खालिस सियासी है.

देश और दुनिया की हर एक खबर अलग नजरिए के साथ और लाइव टीवी होगा आपकी मुट्ठी में. डाउनलोड करिए ज़ी हिंदुस्तान ऐप, जो आपको हर हलचल से खबरदार रखेगा... नीचे के लिंक्स पर क्लिक करके डाउनलोड करें-  Android Link - https://play.google.com/store/apps/details?id=com.zeenews.hindustan&hl=en_IN 

iOS (Apple) Link - https://apps.apple.com/mm/app/zee-hindustan/id1527717234

ट्रेंडिंग न्यूज़