पायलट की घर वापसी: 'निकम्मे वाले बयान से आहत, मेरे लिए पद नहीं जनहित सर्वोपरि'

सचिन पायलट की कांग्रेस में दोबारा घर वापसी हो गयी है. राजस्थान में मुख्यमंत्री गहलोत से चल रहे गतिरोध पर कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व की नींद आखिर खुल गयी और कांग्रेस के दो बड़े नेताओं में मचे घमासान का निपटारा हुआ.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 11, 2020, 02:38 PM IST
    • 'निकम्मा और नकारा' वाला बयान निराशाजनक
    • कांग्रेस आलाकमान से संभाली स्थिति
पायलट की घर वापसी: 'निकम्मे वाले बयान से आहत, मेरे लिए पद नहीं जनहित सर्वोपरि'

जयपुर: राजस्थान विधानसभा का सत्र 14 अगस्त से शुरू हो रहा है. अशोक गहलोत सरकार पर मंडरा रहे संकट के बादल फिलहाल छट गए हैं. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कांग्रेस के ही प्रति अपनी निष्ठा जताई है. उन्होंने कहा कि मैं जनहित के मुद्दे हमेशा उठता रहूंगा. मेरे लिए कुर्सी और पद कोई मायने नहीं रखता.

'निकम्मा और नकारा' वाला बयान निराशाजनक

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर हमला बोलते हुए कहा था कि वो बहुत ही निकम्मा और नकारा था, वो कोई काम नहीं करता था बस हमेशा मेरी सरकार गिराने की साजिश करता था. गहलोत के इस शर्मनाक बयान पर सचिन पायलट ने कहा कि मैं इससे बहुत आहत हुआ हूं. मैं व्यक्तिगत रूप से अशोक गहलोत का बहुत सम्मान करता हूं लेकिन उनकी ये टिप्पणी बहुत निराशाजनक है.

कांग्रेस आलाकमान से संभाली स्थिति

आपको बता दें कि बगावत को पद और प्रतिष्ठा की बात कहने वाले सचिन पायलट ने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी. कांग्रेस की ओर से एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है, जो कि सचिन पायलट की सभी समस्याओं का समाधान करेगी.

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इन शर्तों पर माने सचिन पायलट

सूत्रों ने बताया है कि राहुल गांधी ने सचिन पायलट को अंतिम दो सालों के लिए मुख्यमंत्री बनाने का भरोसा दिया है, साथ ही 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्हें अशोक गहलोत की जगह मुख्यमंत्री पद का चेहरा भी बनाया जा सकता है. हालांकि अभी सचिन पायलट को गहलोत सरकार में कोई पद मिलने की गुंजाइश नहीं दिख रही है.

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