क्या गांधी खानदान से छुटकारा पाना चाहते हैं कांग्रेसी?

कांग्रेस पार्टी की दुर्गति अपनी चरम सीमा पर पहुंच गई है. यह स्थिति वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं से देखी नहीं जा रही है. वह दबे स्वर में ही सही लेकिन गांधी खानदान से छुटकारा पाने के लिए आवाज उठाने लगे हैं.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 10, 2020, 08:12 PM IST
    • गांधी खानदान से कांग्रेसियों का मोहभंग
    • लगातार असफलता से निराश हैं कांग्रेसी नेता
    • कांग्रेस में दबी जुबान में गांधी परिवार से छुटकारा पाने की चर्चा शुरु
क्या गांधी खानदान से छुटकारा पाना चाहते हैं कांग्रेसी?

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी(congress party) तेजी से अपना जनाधार गंवाती जा रही है. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता इससे बेहद दुखी हैं. उन्हें अपना भविष्य असुरक्षित दिखाई दे रहा है. सवा सौ साल पुरानी पार्टी की ये हालत देखकर गांधी परिवार के खिलाफ कांग्रेसियों की नाराजगी बढ़ती जा रही है. 

शशि थरूर ने उठाई आवाज
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर(shashi Tharoor) ने रविवार को कांग्रेस की नीतियों पर सीधा हमला बोला. उऩ्होंने साफ शब्दों में कांग्रेस पार्टी की नीतियों को लक्ष्यहीन और दिशाहीन करार दिया. शशि थरूर का मानना है कि जनता के मन में कांग्रेस की छवि खराब होती जा रही है. उन्होंने अपरोक्ष रूप से गांधी परिवार पर तंज कसे हुए कहा कि 'पार्टी के लक्ष्यहीन और दिशाहीन होने की लोगों में बढ़ती धारणा को खत्म करने के लिए इसे एक पूर्णकालिक अध्यक्ष ढूंढ़ने की प्रक्रिया अवश्य ही तेज करना चाहिए. अगर राहुल गांधी कांग्रेस का नेतृत्व नहीं करना चाहते हैं तो पार्टी को एक नया अध्यक्ष चुनने की दिशा में अवश्य ही आगे बढ़ना चाहिए.  
सोनिया की उम्र और स्वास्थ्य की वजह से चिंता
कभी पूरे देश में मजबूत जनाधार रखने वाली कांग्रेस पार्टी की कमान फिलहाल सोनिया गांधी(sonia gandhi) के पास है. जो राहुल गांधी(rahul gandhi) के कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद अंतरिम अध्यक्ष बनाई गई थीं. क्योंकि कांग्रेस नेता नए अध्यक्ष का चुनाव नहीं कर पाए थे. लेकिन सोनिया गांधी की सेहत और उम्र उन्हें ज्यादा बोझ उठाने की इजाजत नहीं देते. उन्हें अंतरिम अध्यक्ष बनाए हुए एक साल हो चुके हैं. 
शशि थरूर ने साफ शब्दों में कहा कि 'मेरा मानना है कि सोनिया गांधी से अनिश्चित काल तक अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी उठाने की उम्मीद करना उचित नहीं होगा.'
थरूर ने कांग्रेस की कड़वी सच्चाई बयां की और कहा कि 'जनता के बीच ये धारणा बन गई है कि कांग्रेस लक्ष्यहीन और दिशाहीन है. वह एक विश्वसनीय राष्ट्रीय विपक्ष की भूमिका निभा पाने में अक्षम है. इसलिए कांग्रेस के लिए पूर्णकालिक अध्यक्ष तलाश करने की प्रक्रिया तेज की जानी चाहिए.'
गांधी परिवार से मुक्ति चाहते हैं कांग्रेस नेता
शशि थरूर की छवि एक बुद्धिजीवी नेता की है. वह कोई भी बात बिना सोचे समझे नहीं बोलते. उन्होंने मांग की है कि कांग्रेस कार्यकारी समिति और अध्यक्ष पद के लिए लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराया जाना चाहिए. जाहिर सी बात है कि अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस से गांधी खानदान का वर्चस्व खत्म हो जाएगा. थरूर ने तर्क दिया है कि अगर कांग्रेस में शीर्ष पदों के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत चुनाव कराया जाता है को पार्टी में उत्साह का संचार होगा. दूसरे शब्दों में वह कहना चाहते हैं कि गांधी परिवार अलोकतांत्रिक तरीके से कांग्रेस पर काबिज है. जिसकी वजह से कांग्रेस पार्टी के नेता अपने भविष्य को लेकर निराश दिखाई दे रहे हैं. 
दिग्विजय सिंह ने भी उठाए थे सवाल
थरूर से पहले 25 जून को वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी कांग्रेस पार्टियों की नीतियों पर सवाल उठाए थे. उन्होंने अपने विरोध को चाटुकारिता की चाशनी में लपेटते हुए पहले तो गांधी परिवार की वंदना की. लेकिन अगली ही पंक्ति में बताया कि 'वैचारिक अस्पष्टता और ढुलमुल रवैये के चलते कांग्रेस को नुकसान हो रहा है.' दिग्विजय सिंह साफ तौर पर कांग्रेस पार्टी को चलाने वाले गांधी परिवार पर तंज कस रहे थे. लेकिन साफ शब्दों में कुछ भी कहने से बच रहे थे. 

आरपीएन सिंह ने मोदी विरोध पर राहुल को आड़े हाथों लिया  
दिग्विजय सिंह से पहले वरिष्ठ कांग्रेसी और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने राहुल गांधी द्वारा पीएम मोदी पर सीधे हमले को गलत करार दिया था. उनका कहना था कि 'मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना होनी चाहिए न कि सीधे प्रधानमंत्री पर हमला किया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री कार्यालय पर हमले से कहीं अर्थ का अनर्थ न हो जाए'. आरपीएन सिंह ने कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के सामने यह बयान दिया था.


गांधी खानदान से मोहभंग
कांग्रेस नेता अपनी पार्टी का जनाधार खत्म होते हुए देखकर बेहद विचलित हैं. उन्हें अपने भविष्य की चिंता सता रही है. इसलिए वह गांधी परिवार से अलग राह अपनाने की वकालत करते हुए दिख रहे हैं. 
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जानते हैं कि सोनिया गांधी ज्यादा दिनों तक पार्टी को थामकर नहीं रख सकती हैं. राहुल गांधी के नेतृत्व पर उन्हें आशंका है और प्रियंका वाड्रा को वह अभी परिपक्व नहीं मानते हैं. जिनके आने की आहट मात्र से सिंधिया(Jyotiraditya scindia) जैसे बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं और सचिन पायलट(sachin pilot) जैसे युवा नेता बगावत पर उतर आए हैं. 
ऐसे में 125 साल पुरानी इस पार्टी को बचाने के लिए उसे गांधी खानदान के चंगुल से मुक्त कराना ही होगा. कांग्रेस में दबी जुबान में इसकी चर्चा शुरु हो गई है. 

 

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