कोरोना काल में जन्माष्टमी, न सजी झांकी न फूटी दही हांडी

कोरोना काल में  हालात तो यह है कि इस साल भगवान बाल रूप में आधी रात को जन्म तो लेंगे, लेकिन उनके दर्शन सुलभ नहीं होंगे. यह पहली बार होगा कि मंदिर में जब भगवान पधारेंगे तो भक्त नहीं होंगे. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 12, 2020, 06:09 PM IST
    • मथुरा में सदियों पुरानी परंपरा एकतरह से टूटी है. यहां लाखों श्रद्धालुओं के बीच नहीं होगा प्राकट्योत्सव
    • द्वारिकाधीश मंदिर भी श्रद्धालुओं के बंद, सिर्फ मंदिर के पुजारी करेंगे पूजन विधि
कोरोना काल में जन्माष्टमी, न सजी झांकी न फूटी दही हांडी

नई दिल्लीः कोरोना सुर इस साल कई त्योहारों की खुशियां लील गया है और कई धार्मिक अनुष्ठानों पर असर डाला है. होली के समय से भारत में शुरू हुआ वायरस का उत्पात जन्माष्टमी तक पहुंच गया है. ऐसे में हालात तो यह है कि इस साल भगवान बाल रूप में आधी रात को जन्म तो लेंगे, लेकिन उनके दर्शन सुलभ नहीं होंगे. यह पहली बार होगा कि मंदिर में जब भगवान पधारेंगे तो भक्त नहीं होंगे. देशभर की जन्माष्टमी पर डालते हैं एक नजर..

मथुराः श्रीकृष्ण की पौराणिक जन्मभूमि, धाम में धूम नहीं
मथुरा, जिसका नाम ही श्रीकृष्ण के होने की वजह है, सबसे पहले वहीं की बात करें तो मथुरा में सदियों पुरानी परंपरा एकतरह से टूटी है. हर साल यहां लाखों श्रद्धालुओं के बीच भगवान का प्राकट्योत्सव होता था, मंच पर बालकृष्ण पर लोग पुष्पार्चन करते थे. इस साल यह परंपरा रुक गई है.

इस बार मंदिर में सिर्फ पुजारी ही उपस्थित होंगें, श्रद्धालुओं के प्रवेश को अभी अनुमति नहीं मिली है. 

इस्कॉन में 22 लोग मिले कोरोना संक्रमित
मथुरा की गलियों, वृंदावन की कुंज गलियों में, गोकुल गांव, बरसाना और कान्हा से जुड़े सभी स्थलों में दही मटकी का आयोजन भी होता था, जो कि इस बार नहीं हो रहा है. इस्कॉन मंदिर में 22 लोगों के कोरोना संक्रमित आने के बाद वहां भी केवल जन्मपूजा के लिए पुजारी ही रहेंगे. मंदिर को ऐसे शुभ मौके पर सील करना पड़ा. 

मंदिर तीन दिन के लिए बंद
मथुरा के आसपास अन्य प्रसिद्ध मंदिर जैसे दाउजी मंदिर, श्रीरंग जी मंदिर, निधिवन स्थिति ठाकुर जी मंदिर, गोवर्धन के मंदिर और गोकुल गांव के मंदिरों में भी श्रद्धालु नहीं जा रहे हैं. मथुरा के सभी मंदिरों को प्रशासन ने तीन दिनों के लिए बंद कर दिया है.

हर साल इस मौके पर बड़ी संख्या में देश-दुनिया से लोग मथुरा आते थे. 

मुंबईः फीकी पड़ी दही हांडी की चमक
मुंबई का नाम जन्माष्टमी के समय याद आए तो याद आती है, दही हांडी, गोविंदा आला रे और ऊंचे-ऊंचे मानव पिरामिड, हालांकि बीते कुछ सालों से दही हांडी की ऊंचाई को लेकर बहस जारी थी, लेकिन कोरोना ने आकर इस पंरपरा को बिल्कुल रोक ही दिया इस साल. जन्माष्टमी के इस समय मुंबई कोरोना से जूझ रही है और सड़कें खाली हैं.

न तो लाखों के ईनाम वाली दही हांडी बंधी और न ही भीड़ जुटी. घाटकोपर में महज साढ़े पांच फुट ऊंची हांडी बांध कर प्रतीकात्मक उत्सव हुआ. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया. 

इस्कॉन में भगवान देंगे ऑनलाइन दर्शन
नोएडा के सेक्टर-33 स्थित इस्कॉन मंदिर में कृष्ण जन्मोत्सव के दौरान भक्त शामिल नहीं हो सकेंगे. इस्कॉन मंदिर की ओर से वर्चुअल उत्सव मनाने का निर्णय लिया गया है. देश-विदेश के भक्त इस ऑनलाइन जश्न का हिस्सा बनेंगे.

श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के लिए मंदिर को सुंदर ढंग से फूलों, एलइडी लाइटों व अन्य सजावटी सामग्री से सजाया गया है. दिल्ली इस्कॉन में भी यही व्यवस्था की गई है. 

द्वारिकाः इस साल श्रद्धालुओं के लिए बंद है द्वारिकाधीश मंदिर
द्वारिका धीश मंदिर के द्वार, जन्माष्टमी के मौके पर बंद हैं. सामान्य दिन होते तो जन्माष्टमी का त्योहार यहां चार दिन तक मनाया जाता है. श्रीकृष्ण और दाऊ भैया की कर्म स्थली में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.

लेकिन इस साल कोरोना ऐसा कुछ नहीं होने देगा. प्रशासन ने10 अगस्त से 13 अगस्त तक लगने वाले मेले में श्रद्धालुओं के दर्शन और मंदिर यात्राओं पर पूरी तरह रोक लगा दी है. हालांकि मंदिर में उसी विधि- विधान से पूजा होगी.

कुरुक्षेत्रः जहां उपजा गीता ज्ञान, वहां भी आज रौनक नहीं
गीता की जन्मस्थली ज्योतिसर मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की भव्य प्रतिमा को सजाया गया है और मंदिर में एक पालना तैयार किया गया है. आधी रात को यहां भगवान का प्राकट्य होगा और उन्हें झूला झुलाया जाएगा.

लेकिन इस पावन मौके पर मंदिर में श्रद्धालु नहीं हैं.पूजन विधि के दौरान केवल पुजारी ही मौजूद होंगे. वहीं बिड़ला मंदिर में भी स्थिति सामान्य ही है, कोई अतिरिक्त व्यवस्था नहीं की गई है. 

गोरखपुरः गीता प्रेस व गीता वाटिका के भी द्वार बंद
विश्व भर को धार्मिक ज्ञान प्रकाश से रूबरू कराने वाले गीता के प्रकाशन शहर गोरखपुर में भी जन्माष्टमी उत्सव फीका ही रहेगा. यहां गीता वाटिका मंदिर में जन्माष्टमी मनाई जाती है जो कि गीता प्रेस के संस्थाक हनुमान प्रसाद पोद्दार की साधना स्थली रहा है.

हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मारक समिति के संयुक्त सचिव रसेंदु फोगला ने बताया कि इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए पर्व के दिन किसी भी बाहरी व्यक्ति का वाटिका में प्रवेश वर्जित रहेगा. केवल परिसर में रहने वाले लोग ही जन्माष्टमी की पूजा-अर्चना में हिस्सा ले सकेंगे. गीता वाटिका में जन्माष्टमी काफी धूमधाम से मनाई जाती रही है यहां की झांकी देखने हजारों लोग पहुंचा करते थे. 

वैष्णव और स्मार्त में क्या अंतर है?

जन्माष्टमी विशेषः नीति व प्रबंधन का मंत्र सिखाने आए श्रीकृष्ण

 

 

 

ट्रेंडिंग न्यूज़