आम नहीं होते आर्मी वाले! देश की सुरक्षा करते हुए आतंकी हमले में पैर गंवाया, अब पैरालंपिक में मेडल लाकर मान बढ़ाया

पेरिस पैरालंपिक में गोला फेंक में भारत के होकाटो होतोज़े सेमा ने पुरुषों की एफ57 श्रेणी में ब्रॉन्ज मेडल जीता है. 40 वर्षीय होकाटो ने अपने करियर का बेस्ट थ्रो किया. उनकी कहानी काफी संघर्ष भरी है. उन्होंने एक आतंकवादी विरोधी अभियान में अपने पैर के घुटने के नीचे का हिस्सा गंवा दिया.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 7, 2024, 01:49 PM IST
  • होतोजे सेमा के संघर्ष की कहानी
  • पीएम नरेंद्र मोदी ने की सराहना
आम नहीं होते आर्मी वाले! देश की सुरक्षा करते हुए आतंकी हमले में पैर गंवाया, अब पैरालंपिक में मेडल लाकर मान बढ़ाया

नई दिल्लीः Paris Paralympics: पेरिस पैरालंपिक में होकाटो होतोज़े सेमा (40) ने गोला फेंक (शॉट पुट) में अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ 14.65 मीटर थ्रो करके पुरुषों की एफ57 श्रेणी में कांस्य पदक हासिल किया है. यह श्रेणी उन खिलाड़ियों के लिए है जिनका कोई अंग नहीं होता है या जिनकी मांसपेशियां कमजोर होती हैं. नगालैंड के दिमापुर में जन्मे सेमा ने खुद को इस श्रेणी के लिए तैयार किया.

होतोजे सेमा के संघर्ष की कहानी

अक्टूबर 2002 में जम्मू कश्मीर के चौकीबल के अशांत इलाके में एक विस्फोट में हवलदार होकाटो होतोज़े सेमा बुरी तरह घायल हो गए थे. इसके साथ ही उनका स्पेशल फोर्स में शामिल होने का सपना टूट गया था. आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान हुए बारूदी सुरंग में विस्फोट हुआ. इस हादसे में उन्होंने अपने बाएं पैर के घुटने के नीचे का हिस्सा गंवा दिया, जिससे उन्हें अत्यधिक शारीरिक दर्द और मानसिक आघात पहुंचा. 

32 साल की उम्र में खेलना शुरू किया

इसके बाद सबको लगा कि सेमा की दुनिया में अंधेरा छा गया है लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. फिर पुणे स्थित कृत्रिम अंग केंद्र में सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने सेमा की फिटनेस को देखकर उन्हें शॉट पुट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया. इस तरह से उन्होंने 2016 में 32 साल की उम्र में इस खेल को अपनाया था. 

सेमा ने उसी वर्ष राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लिया. उन्होंने 2022 में मोरक्को ग्रां प्री में रजत और हांगझोउ एशियाई पैरा खेलों में कांस्य पदक जीता. वह 2024 में विश्व चैंपियनशिप में मामूली अंतर से पदक से चूक गए और चौथे स्थान पर रहे लेकिन सेमा का निश्चय कभी नहीं डिगा. पैरालंपिक खेलों में सेमा ने अपने चौथे प्रयास में अपना सर्वश्रेष्ठ थ्रो करके कांस्य पदक जीता. 

ईरान के दो बार के पैरा विश्व चैंपियन यासीन खोसरावी ने 15.96 मीटर के पैरालंपिक रिकॉर्ड के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया, जबकि ब्राजील के थियागो डॉस सैंटोस ने रजत पदक (15.06 मीटर) जीता. 

पीएम मोदी ने की सराहना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेमा की तारीफ की. उन्होंने एक्स पर लिखा, 'हमारे देश के लिए यह गर्व का क्षण है. होकाटो होतोज़े सेमा ने पुरुषों के शॉट पुट एफ57 में कांस्य पदक जीता है. उनकी अविश्वसनीय ताकत और दृढ़ संकल्प असाधारण हैं. उन्हें बधाई और भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं.'

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