सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा BCCI भी एक दुकान है?

न्यायालय ने निष्कर्ष में कहा कि बीसीसीआई व्यवस्थित आर्थिक वाणिज्यिक गतिविधियों को अंजाम दे रहा है और इसलिए उसे ईएसआई अधिनियम के प्रावधानों के तहत ‘दुकान’ कहा जा सकता है.’’ 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 31, 2022, 06:17 PM IST
  • BCCI को दुकान क्यों नहीं कहा जा सकता- सुप्रीम कोर्ट
  • ESI अधिनियम के मामले में कोर्ट ने की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा BCCI भी एक दुकान है?

नई दिल्ली: देश के सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्र्रोल बोर्ड (BCCI) पर बड़ी टिप्पणी है. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि बीसीसीआई की गतिविधियां व्यावसायिक प्रकृति की हैं और कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) अधिनियम के प्रावधानों के संदर्भ में इसे ‘दुकान’ कहा जा सकता है. 

ESI अधिनियम के मामले में कोर्ट ने की टिप्पणी

शीर्ष अदालत ने कहा कि ESI अधिनियम केंद्र द्वारा बनाया गया कल्याणकारी कानून है और इस अधिनियम में इस्तेमाल किए गए शब्दों से संकीर्ण अर्थ नहीं जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि यह इसके अंतर्गत आने वाले प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों को उनके जीवन, स्वास्थ्य आदि से जुड़े विभिन्न जोखिमों के लिए बीमा करता है और नियोक्ता पर आरोप लगाता है. 

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि ईएसआई न्यायालय और उच्च न्यायालय ने ईएसआई अधिनियम के तहत बीसीसीआई को ‘दुकान’ मानकर कोई गलती नहीं की. पीठ ने कहा,‘‘ बीसीसीआई की व्यवस्थित गतिविधियों, विशेषकर उसके द्वारा क्रिकेट मैचों के टिकटों की बिक्री, मनोरंजन प्रदान करना, अपनी सेवाओं के लिए कीमत वसूल करना, अंतरराष्ट्रीय दौरों और इंडियन प्रीमियर लीग से आय प्राप्त करने को ध्यान में रखते हुए उच्च न्यायालय ने सही निष्कर्ष निकाला है कि बीसीसीआई व्यवस्थित आर्थिक वाणिज्यिक गतिविधियों को अंजाम दे रहा है और इसलिए उसे ईएसआई अधिनियम के प्रावधानों के तहत ‘दुकान’ कहा जा सकता है.’’ 

BCCI को दुकान क्यों नहीं कहा जा सकता- सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत ने इन सवालों के जवाब में यह बात कही कि क्या बीसीसीआई को 18 सितंबर, 1978 की अधिसूचना के अनुसार ‘दुकान’ कहा जा सकता है, और क्या ईएसआई अधिनियम के प्रावधान बीसीसीआई पर लागू होंगे या नहीं. बंबई उच्च न्यायालय ने कहा था कि कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 की धारा 1(5) के प्रावधानों के तहत महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी 18 सितंबर, 1978 की अधिसूचना के अनुसार बीसीसीआई ‘दुकान’ के अर्थ के अंतर्गत आता है. 

शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘दुकान’ शब्द की पारंपरिक अर्थों में व्याख्या नहीं की जानी चाहिए क्योंकि इससे यह ईएसआई अधिनियम के उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि ईएसआई अधिनियम के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ‘दुकान’ शब्द को व्यापक अर्थों में लिया जाना चाहिए. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि बीसीसीआई का अपने हलफनामे में यह कहने का कोई मतलब नहीं है कि उसकी प्रमुख गतिविधि क्रिकेट और खेल को बढ़ावा देना है और इसलिए उसे ईएसआई अधिनियम के तहत दुकान के अर्थों के अंतर्गत नहीं लाया जाना चाहिए. 

ये भी पढ़ें- Asia Cup 2022: पाकिस्तान के खिलाफ गेंदबाजों ने की बड़ी गलती, पूरी टीम को सुनाई गई सजा

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़