नई दिल्ली: हवा का गिरता AQI लगातार चिंता का सबब बनता जा रहा है. पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ता वायु प्रदूषण और गिरता एयर क्वालिटी इंडेक्स सबसे बड़ी समस्या और चुनौती के तौर पर उभरा है. वायु प्रदूषण ना कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां पैदा कर रहा है बल्कि इससे बड़ी तादाद में लोगों की जान भी जा रही है.
हर साल हो रही हैं लाखों मौतें
एक अनुमान के मुताबिक केवल वायु प्रदूषण की वजह से हर साल 70 लाख लोग अपनी जान गंवा दे रहे हैं. वायु प्रदूषण न केवल शरीर के श्वसन क्षेत्र को प्रभावित करता है, बल्कि इसके दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव होते हैं जिनमें हृदय रोग, फेफड़े का कैंसर, ब्रेन स्ट्रोक, ऑटोइम्यून रोग और समय से पहले जन्म, भ्रूण वृद्धि प्रतिबंध शामिल हैं.
भारत में वायु योजना के धन का केवल 50 फीसदी इस्तेमाल
राष्ट्रीय राजधानी और इसके आसपास के इलाकों में शनिवार को हवा की गुणवत्ता खराब श्रेणी में रही, लेकिन सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत जारी किए गए कुल कोष का केवल 50 फीसदी ही संबंधित अधिकारियों द्वारा उपयोग किया गया है. एनसीएपी, जिसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जनवरी 2019 में लॉन्च किया गया था, वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और उपशमन के लिए एक दीर्घकालिक, समयबद्ध, राष्ट्रीय स्तर की रणनीति है.
आज कैसी है दिल्ली में हवा की क्वालिटी
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार सुबह आठ बजे शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 247 दर्ज किया गया. गौरतलब है कि शून्य से 50 के बीच एक्यूआई ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’, और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है.
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