American Election: टक्कर थी कांटे की लेकिन कुछ चीजें ट्रम्प के पक्ष में नहीं गईं

जंग था इस बार का अमेरिकी चुनाव जो बाइडेन और उनके समर्थकों ने जंग की तरह लड़ा जबकि ट्रम्प और उनके समर्थकों ने नहीं लड़ा..अब तक सामने आये इस चुनाव के परिणाम ने डोनाल्ड ट्रंप की उम्मीदों को बहुत तोड़ा किन्तु उससे अधिक अवसर बाइडेन को आत्मश्लाघा का दे दिया..हालांकि बाइडेन तो मान कर ही चल रहे थे कि उनको जिताया जायेगा..परंतु वे ये जान कर भी चल रहे थे कि ट्रम्प को हराया जायेगा !!

Last Updated : Nov 6, 2020, 08:11 AM IST
  • मुस्लिम मुहिम कामयाब रही ट्रम्प के विरुद्ध
  • पिछले चुनाव से अब तक खफा थे मुसलमान
  • चीन ने चलाया ट्रम्प विरोधी अभियान
  • रंगभेद का सुनियोजित षडयन्त्र
  • अश्वेतों का किया जा रहा है इस्लामीकरण
American Election: टक्कर थी कांटे की लेकिन कुछ चीजें ट्रम्प के पक्ष में नहीं गईं

नई दिल्ली.    अमेरिका के चुनावों को देख कर लगता है कि अब अमेरिका में बाइडेन-राज चलेगा और कुछ दिनों के बाद डोनाल्ड ट्रंप एक भूला हुआ नाम बन जायेंगे. जो भी हो, अभी मामला अदालत में है और परिणाम की घोषणा नहीं हुई है इसलिये परिणाम पर बात करने से बेहतर होगा कारण पर बात की जाये. आखिर क्यों हारने की स्थिति में पहुंचे डोनाल्ड ट्रम्प?

मुस्लिम मुहिम कामयाब रही ट्रम्प के विरुद्ध 

मुसलामानों के वोट बहुत कम मिले ट्रम्प को. अमेरिका के चुनाव विशेषज्ञ तो इस बात से भी हैरान हैं कि ट्रम्प को मिले कुल वोटों में से सत्रह प्रतिशत मुसलमानों के कैसे हैं? इज़राइल को शुद्ध रूप से समर्थन देने वाले डोनाल्ड ट्रम्प ने अपना पिछ्ला चुनाव भी यही कह कर जीता था कि वे आतंक के खिलाफ लड़ाई में देश को हमेशा आगे रखेंगे और अवैध इमिग्रेशन को रोकेंगे. डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि अमेरिका को बुरी मन्शा वाले लोगों से रोकने के लिये सात मुस्लिम देशों पर प्रतिबंध लगायेंगे और उन्होंने 2017 में अपना वादा निभाया. 

पिछले चुनाव से अब तक खफा थे मुसलमान

पिछले चुनाव में उनको मुस्लिम विरोधी इसाइयों के वोट बड़ी संख्या में प्राप्त हुए थे जबकि मुसलमानों के वोट बहुत बड़ी संख्या में हिलैरी क्लिन्टन को गये थे. ट्रम्प के शासनकाल के दौरान उन पर मुसलमानों के प्रति भेदभावपूर्ण मन्शा रखने का आरोप कई बार लगा. और अंत में चुनाव के दौरान मुसलमानों के खुले समर्थक जो बाइडेन को देश के सत्तर प्रतिशत मुसलमानों के वोट मिले. जाहिर ही है कि बाइडेन को जिताने की चाहत से ज्यादा ट्रम्प को हराने और हटाने की चाहत से अमेरिका के मुसलमानों ने घर से बड़ी संख्या में निकल कर वोटिंग की. 

चीन ने चलाया ट्रम्प विरोधी अभियान

अमेरिका में चीन ने भी चलाया ट्रम्प विरोधी अभियान. ट्रम्प को हराने से अधिक महत्वपूर्ण उनको हटाना था और अपना व्यक्ति लाना था. बाइडेन ने शुरू से ही चीन समर्थन की राह पकड़ी इसलिये परोक्ष-अपरोक्ष रूप से चीन ने अमेरिका में अपने ढंग से और अपने स्रोतों का इस्तेमाल करके ट्रम्प को हरवाने में पूरी ताकत झोंक दी. इससे फायदा समानान्तर रूप से चीन को यह हुआ कि ट्रम्प को हराने में मदद करने के लिये जो बाइडेन चीन के कृतज्ञ रहेंगे और अब आगे अमेरिका चीन के काम आता रहेगा और अब तो कुछ अधिक काम आयेगा चीन के.

रंगभेद का सुनियोजित षडयन्त्र

लोगों ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि चार साल तक किसी भी प्रकार के रंगभेद से जुड़े प्रदर्शन या हिन्सा नहीं हुई, और जब हिन्सक प्रदर्शन हुए तो उसी साल हुए जिस साल चुनाव होने वाले हैं. साल 2020 में चुनाव हुए तो मई में दंगे कराये गये ठीक इसी तरह जब 2016 में चुनाव थे तो उस वर्ष भी ठीक चुनाव के पहले ही दंगे करा दिये गये ताकि उसका फायदा चुनाव में उठाया जा सके. नवंबर 2016 में चुनाव थे तो सितंबर 2016 में दंगे भड़काये गये. जाहिर है चुनावों में फायदा उठाने के लिये इन दंगों का इस्तेमाल होता है.

अश्वेतों का किया जा रहा है इस्लामीकरण

दुनिया भर में इसाई मिशनरियों को मात कर रहा है इस्लामीकरण. अफ्रीका हो या यूरोप या अमेरिका - बहुत आसान है अश्वेतों को श्वेतों के विरुद्ध भड़काना. उन्हें बताया जाता है कि श्वेत तुमसे घृणा करते हैं इसलिये उनको टक्कर देने के लिये मुसलमान बन जाओ. इस तरह गोरों का इसाई रूप में और कालों का उनके विरोधी के तौर पर मुसलमान के रूप में सुनियोजित वर्गीकरण किया गया है जो धीरे-धीरे उसी तरह पश्चिमी जगत में कामयाब हो रहा है जिस तरह भारत में सवर्णों के विरुद्ध भड़का कर दलितों का इस्लामीकरण बरसों से चल रहा है.

अमेरिकी-भारतीयों के वोट बंट गए 

अमेरिका में रहने वाले वोट देने के अधिकारी भारतीयों के वोट बंट गए. वोट देने के अधिकारी 25 लाख अमेरिकी-भारतीय चार हिस्सों में बंट गए. पहले दो हिस्से कन्फ्यूज़ हिन्दुस्तानियों के थे और वे कन्फ्यूज़ हुए कमला हैरिस के कारण और ट्रम्प की इमीग्रेशन सख्ती के कारण. कमला हैरिस का दूर से कहीं हिन्दू होना या हिन्दुस्तान से संबंध रखना उन्हें इतना उत्साहित कर गया कि उन्हें लगा मानो उनकी ही सरकार बन जायेगी अगर कमला को जिताया. दूसरा वर्ग वो था जो ट्रम्प के इमीग्रेशन की सख्ती के कारण कन्फ्यूज़ था. उनको लगा कि ट्रम्प का यही असली चेहरा है और चूंकि वो इमीग्रेशन सख्त कर रहा है अर्थात वो अब भारतीयों को इस देश में प्रवेश देना नहीं  चाहता अर्थात कुल मिला कर ट्रम्प भारत विरोधी है.

चार हिस्से हो गये भारतीय वोटों के

पहले और दूसरे हिस्सों में बंटे भारतीय वोटों के बाद अमेरिकी-भारतीयों का मताधिकारी वो तीसरा हिस्सा उन हिन्दुस्तानियों का था जो अच्छी तरह समझ गए थे कि इस्लामीकरण का विरोधी ट्रम्प कुल मिला कर भारत समर्थक नेता है इसलिए उन्होंने ट्रम्प के समर्थन में ही वोट देने का मन बनाया और बाहर निकल कर ट्रम्प को वोट किया. परन्तु चौथा हिस्सा उन आलसी भारतीयों का था जो ट्रम्प समर्थक तो काफी थे किन्तु बाहर निकल कर वोट देने को जरूरी नहीं समझ रहे थे और अपने घरों के आराम-ज़ोन में बैठ कर टीवी पर राजनीति का खेल देख रहे थे. 

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