नई दिल्लीः विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में ड्रोन निर्माताओं की बढ़ती संख्या के मद्देनजर यह उद्योग भविष्य में कृषि, रक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और बुनियादी ढांचे के रखरखाव जैसी सार्वजनिक सेवाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. हालांकि उन्होंने ड्रोन संबंधी सुरक्षा और गोपनीयता के बारे में कुछ चिंताओं को भी उजागर किया.
एक लाख ड्रोन पायलट की जरूरत
ड्रोन को बहुत कम प्रयास, समय और ऊर्जा की आवश्यकता होती है तथा ये दूर व दुर्गम इलाकों तक पहुंच सकते हैं, जबकि एक व्यक्ति दूर से इन्हें नियंत्रित कर सकता है. ड्रोन तकनीक की लोकप्रियता व इस्तेमाल सभी इलाकों और कामकाज के क्षेत्रों में जोर पकड़ रहा है और भारत भी इसका अपवाद नहीं है.
उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिछले महीने कहा था कि आने वाले वर्षों में भारत को करीब एक लाख ड्रोन पायलट की जरूरत होगी. स्वदेशी ड्रोन उद्योग की क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए, भारत ने हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी में अपना सबसे बड़ा ड्रोन उत्सव आयोजित किया.
ड्रोन का प्रदर्शन
राजधानी में 27 और 28 मई को आयोजित दो दिवसीय 'भारत ड्रोन महोत्सव' में सरकारी अधिकारियों, विदेशी राजनयिकों, सार्वजनिक उपक्रमों, निजी कंपनियों और ड्रोन उद्यमियों सहित 1,600 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
कंपनियों ने रक्षा, कृषि, सर्वेक्षण मानचित्रण जैसे क्षेत्रों के लिए तैयार ड्रोन और भविष्य की अत्याधुनिक परियोजनाओं का प्रदर्शन किया. नयी दिल्ली में स्थित ड्रोन निर्माताओं-थीटा एनरलिटिक्स और वेगा एविएशन प्रोडक्ट्स ने महोत्सव में अपने विभिन्न ड्रोन का प्रदर्शन किया.
थीटा एनरलिटिक्स के अध्यक्ष और सह-संस्थापक करण धौल ने कहा, ''इन ड्रोन का उपयोग कृषि, वन प्रबंधन सेवाओं, नगर व शहर नियोजन सेवाओं, राजस्व व योजना विभागों, पुलिस सेवाओं, बिजली संयंत्रों, खनन कंपनियों, निर्माण कंपनियों जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है.''
देश में ड्रोन का बड़ा बाजार
धौल ने कहा, ''हमारे ड्रोन पूरी तरह से मिश्रित सामग्री से बने हैं जो अपनी कक्षा के किसी भी अन्य ड्रोन की तुलना में अधिक उड़ान भरने में सक्षम हैं. हमारा थीटा फाल्कन ड्रोन एक बार में 150 मिनट तक उड़ सकता है और एक किलोग्राम तक सेंसर और पेलोड ले जा सकता है.''
उन्होंने कहा कि 'थीटा फाल्कन' मानचित्रण, निगरानी और सीमा सुरक्षा के लिए आदर्श है. ड्रोन एक हेलीकॉप्टर की तरह लंबवत उड़ान भरता है और फिर एक हवाई जहाज की तरह क्षैतिज उड़ान के साथ वापस आता है. ड्रोन प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि देश में ड्रोन का बड़ा बाजार है और मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है.
ड्रोन की लागत कम होगी
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर सिंह ने कहा, ''अब, इस क्षेत्र में बहुत सारी निजी कंपनियां आ रही हैं, जिससे निश्चित रूप से ड्रोन की लागत कम होगी और विभिन्न क्षेत्रों में इनका उपयोग किया जा सकेगा.''
उन्होंने कहा, ''यह संभव है कि निकट भविष्य में भारत में कृषि, वितरण प्रणाली, परियोजना निगरानी, स्वास्थ्य क्षेत्र आदि जैसे विभिन्न स्थानों पर बहुत ही किफायती सेवाएं मिल सकती हैं.''
प्रोफेसर ने कहा कि भारत के पास पर्याप्त बुनियादी ढांचा, अच्छी आपूर्ति श्रृंखला और ड्रोन तैनात करने की उत्कृष्ट तकनीकी क्षमता है, हालांकि, कुछ चिंताएं बनी हुई हैं. उन्होंने कहा, "गोपनीयता, गुप्त निगरानी या जासूसी और ड्रोन के बीच की टक्कर कुछ ऐसी चिंताएं हैं, जो इनके इस्तेमाल में बाधा बन सकती हैं.''
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