मॉनसून को लेकर आया पहला अनुमान, जानिए कब देगा भारत में दस्तक

इस साल गर्मी में देश के उत्तर पश्चिमी मैदानी इलाकों में ग्रीष्म लहर का प्रकोप पिछले साल की तुलना में अधिक रहेगा. विभाग के मुताबिक अप्रैल से जून के दौरान सामान्य तापमान में औसतन 0.5 से 1.0 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोतरी का पूर्वानुमान है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 3, 2020, 09:55 PM IST
    • इस साल गर्मी में देश के उत्तर पश्चिमी मैदानी इलाकों में ग्रीष्म लहर का प्रकोप पिछले साल की तुलना में अधिक रहेगा
    • मौसम पूर्वानुमान लगाने वाली निजी इकाई वेदर कंपनी ने अपने पूर्वानुमान में कहा कि मॉनसून 31 मई को केरल में दस्तक दे सकता है
मॉनसून को लेकर आया पहला अनुमान, जानिए कब देगा भारत में दस्तक

नई दिल्लीः कोरोना के चलते भले ही दहशत का माहौल है, लेकिन लॉकडाउन के चलते मौसम और मॉनसून से अच्छी खबर आ रही है. इस बार गर्मी और बरसात के स्थिति के साथ बेहतर मॉनसून का अनुमान है. मौसम विज्ञानियों का कहना है कि भारत में अल नीनो परिस्थितियों के कारण इस बार मॉनसून के सामान्य से अधिक रहने की संभावना है.

मौसम पूर्वानुमान लगाने वाली निजी इकाई वेदर कंपनी ने अपने पूर्वानुमान में कहा कि मॉनसून 31 मई को केरल में दस्तक दे सकता है. अगर अनुमान सच होता है, तो भारत में इस वर्ष भी मानसून सामान्य से अधिक रहेगा, ऐसा लगातार दूसरे वर्ष होगा. 

पड़ेगी अधिक गर्मी
इस साल गर्मी में देश के उत्तर पश्चिमी मैदानी इलाकों में ग्रीष्म लहर का प्रकोप पिछले साल की तुलना में अधिक रहेगा. विभाग के मुताबिक अप्रैल से जून के दौरान सामान्य तापमान में औसतन 0.5 से 1.0 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोतरी का पूर्वानुमान है. उत्तर पश्चिम भारत में पंजाब, हरियाणा , राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश सहित आसपास के मैदानी इलाकों में अप्रैल, मई और जून के महीने में सामान्य से अधिक गर्मी हो सकती है.

विभाग ने इस साल गर्मी के मौसम में औसत अधिकतम तापमान सामान्य से एक डिग्री अधिक रहने का अनुमान जताया है. इसका सीधा असर दिन के समय अत्यधिक गर्मी रहने के रूप देखने को मिल सकता है. 

गर्मी का असर पहाड़ी क्षेत्रों में भी देखने को मिलेगा
विभाग की क्षेत्रीय पूर्वानुमान इकाई के प्रमुख डा. कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि इस साल गर्मी का असर मैदानी क्षेत्रों के अलावा पहाड़ी इलाकों में भी तुलनात्मक रूप से अधिक रहने की संभावना है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के पर्वतीय इलाकों के अलावा पश्चिमी राजस्थान में तीन महीने के दौरान औसत अधिकतम तापमान सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस से भी अधिक जा सकता है. विभाग की क्षेत्रीय पूर्वानुमान इकाई के प्रमुख डा. कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि इस साल गर्मी का असर मैदानी क्षेत्रों के अलावा पहाड़ी इलाकों में भी तुलनात्मक रूप से अधिक रहने की संभावना है.

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सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान का अनुमान
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के पर्वतीय इलाकों के अलावा पश्चिमी राजस्थान में तीन महीने के दौरान औसत अधिकतम तापमान सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस से भी अधिक जा सकता है. विभाग ने पूर्वी राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश, गुजरात, कोंकण, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, उत्तरी और दक्षिणी कर्नाटक, गोवा, रायलसीमा और केरल तक इस अवधि में अधिकतम तापमान सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस तक अधिक रहने का अनुमान जताया है.

देश के बाकी इलाकों में गर्मी के दौरान औसत अधिकतम तापमान सामान्य से 0.5 डिग्री सेल्सियस तक अधिक रह सकता है. 

विभाग ने ग्रीष्म लहर की आशंका वाले इलाकों में उत्तर के मैदानी राज्यों के अलावा गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तेलंगाना के भी कुछ इलाकों को शामिल किया है.

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