नई दिल्ली: Monsoon Clouds Weight: देश के कई हिस्सों में मानसून ने दस्तक दे दी है. झमाझम बारिश का दौर शुरू हो गया है. आसमान में काले बादल उमड़-घुमड़ रहे हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि धुंए जैसे नजर आने वाले बादल हजारों लीटर पानी कैसे स्टोर करके चलते हैं? आइए जानते हैं इसके पीछे की साइंस क्या है?
पानी के तीन रूप
आपने बचपन में साइंस में पढ़ा होगा कि ब्रह्मांड में पानी तीन तरह से मौजूद है. पानी का पहला रूप पहला तरल है, जो हमारे घरों में नल के जरिये आता है. दूसरा रूप बर्फ है, जो ग्लेसियर के रूप में पहाड़ों पर है. तीसरा रूप गैस है, जो हवा में वाष्प के रूप में मौजूद है.
कैसे बनते हैं बादल?
सबसे पहले तो ये जान लें कि हवा में पानी होता है, ये गैस के रूप में होता है. वाटर वेपर जब ऊपर जाती है तो ये ठंडी हो जाती है. इसके बाद इस पानी की डेनसिटी बढ़ जाती है. फिर यह बूंद बन जाते हैं. इन बूंदों का हवा में जमावड़ा ही बादल होता है. नीचे से दखने में भले ये धुआं लगते हों, लेकिन असल में ये ऐसे होते नहीं.
बादल हवा में तैरते हैं, गिरते क्यों नहीं?
बादल बेहद भारी होते हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो एक वर्ग मील में गिरने वाली एक इंच बारिश 17.4 मिलियन गैलन पानी जितनी होती है. माना जाता है कि क्यूम्यलस बादल (बादलों का एक ढेर) का एवरेज वजन लगभग 1.1 मिलियन पाउंड या 500,000 किलोग्राम होने का अनुमान लगाया जा सकता है. अब सवाल ये उठता है कि बादल इतने भारी होते हैं तो ये हवा में कैसे तैरते रहते हैं. इसका जवाब ये है कि नीचे की गर्म हवा की डेनसिटी काफी अधिक होती है. उसके फोर्स के कारण बादल धरती पर नहीं आ पाते हैं. लिहाजा, ये ऊपर ही रह जाते हैं. लेकिन जब बादल का टेंपरेचर नीचे की हवा को भी ठंडा कर देता है, तो बारिश की बूंदे नीचे गिरने लगती हैं.
बारिश की बूंदे कैसे बन जाती हैं ओले?
कई बार बादलों में पानी का भार बढ़ जाता है और तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है. इस कारण बूंदे बर्फ बन जाती हैं. तब बादल अचानक से फट जाते हैं और बूंदे बर्फ के रूप में नीचे गिरने लगती हैं. ये ही स्नो या ओले कहलाते हैं.
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