Trump in india: ट्रंप की यात्रा से भारत को कितना नफा-कितना नुकसान
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के नफा नुकसान पर लगातार चर्चा हो रही है. हमारे देश में तो एक रिवाज़ है कि जब किसी अपने के यहां जाते हैं तो कुछ तोहफा या मिठाई लेकर तो जाते ही हैं लेकिन जहां तक ट्रंप का सवाल है वो खाली हाथ आ रहे हैं लेकिन ये तय है कि यहां से ज़रूर कुछ लेकर जाएंगे.
नई दिल्ली: राष्ट्रपति ट्रंप से उम्मीदे थीं कि कुछ नहीं तो वो भारत के साथ एक व्यापारिक समझौता तो करेंगे लेकिन आने से पहले ही ट्रंप ने दो टूक कह दिया कि व्यापारिक समझौता होगा लेकिन अभी नहीं,शायद इस साल होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद.
भारत के हाथ शायद कुछ ना लगे
अगर व्यापारिक समझौता होता तो मोदी सरकार के लिए ये बड़ी उपलब्धि होती, समग्र व्यापार समझौता ना सही कम से कम मिनी डील ही होती जिसकी कोशिश दोनों देश के अधिकारियों ने की भी लेकिन अमेरिका के अड़ियल रवैये के चलते वो भी संभव नहीं हुई और ये भी नहीं तो कम से कम राष्ट्रपति ट्रंप पिछले साल जून में भारत से छीना गया जीएसपी यानी जनरलाइज़्ड सिस्टम्स ऑफ प्रिफरेंस का दर्जा बहाल किए जाने का तोहफा तो दे ही सकते थे. 1970 के दशक से जीएसपी के तहत भारत के कम से कम 3000 प्रोडक्ट्स बिना ड्यूटी के अमेरिकी बाज़ार में पहुंच रहे थे.
अमेरिका का धंधा चमकाने के लिए ट्रंप ने किया दूसरों का नुकसान
पेशे से कारोबारी डोनल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद से ही अमेरिका के नफे के लिए कई देशों को मिलने वाली टैक्स छूट खत्म कर दी. कई देशों के साथ अमेरिका का निगेटिव व्यापार संतुलन उन्हें रास नहीं आया और अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर लगने वाली ऊंची इंपोर्ट ड्यूटी पर उन्होंने नाराज़गी जतायी. भारत को भी उन्होंने नहीं बख्शा और ना केवल जीएसपी से उसे बाहर कर दिया बल्कि उसे टैरिफ किंग तक करार दे दिया. 2018 में ट्रंप ने भारत से आयात होने वाले एल्युमिनियम और स्टील पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाई तो भारत ने जवाब में अमेरिका से आयात होने वाले 28 प्रोडक्ट्स पर ड्यूटी बढ़ा दी. हालांकि बाद में भारत ने हारले डेविडसन बाइक पर ड्यूटी 75% से घटाकर 50% कर दी साथ ही बादाम और सेब पर भी ड्यूटी घटा दी. भारत में अमेरिका से आयात होने वाले मेडिकिल उपकरणों पर लगने वाली ड्यूटी से भी ट्रंप खुश नहीं हैं, भारत ने जब घुटनों के ट्रांसप्लान्ट और दिल के मरीज़ों के लिए स्टेंट की कीमतों पर कैपिंग की,तो वो भी अमेरिका को अच्छा नहीं लगा.
भारत से व्यापार घाटा कम करना चाहता है अमेरिका
चीन के बाद अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है. 1995 में भारत अमेरिका के बीच जहां 11.2 बिलियन डॉलर का व्यापार होता था वो 2018 में बढ़कर 142.6 बिलियन डॉलर पहुंच चुका है. अमेरिका की उदार टैरिफ नीति के कारण व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में है. 1995 में जहां ये 2 बिलियन डॉलर के करीब था वहीं 2018 में भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा 25.2 बिलियन डॉलर हो गया. हालांकि 2014 में ये 31 बिलियन डॉलर था. लेकिन ट्रंप इसे और कम करना चाहते हैं जबकि एशिया के दो सबसे बड़े व्यापारिक साझीदारों के साथ अमेरिका के व्यापार घाटे को देखें तो भारत के साथ व्यापार घाटा कुछ भी नहीं. अमेरिकी सेन्सस ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक चीन के साथ अमेरिका का व्यापारिक घाटा 346 बिलियन डॉलर का है जबकि जापान के साथ 69 बिलियन डॉलर. इस लिहाज से भारत के साथ ट्रंप का रवैया समझ से परे है वो भी तब जब चीन के बढ़ते प्रभाव पर लगाम लगाने के लिए भारत उसके साथ खड़ा हो रहा है.
रक्षा सौदों से अमेरिका को ही फायदा
कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि ट्रंप की भारत यात्रा से अगर किसी को फायदा होगा तो वो अमेरिका और राष्ट्रपति ट्रंप को. दिल्ली में ट्रंप मोदी की मुलाकात के बाद रक्षा और ऊर्जा के क्षेत्रों में बड़े समझौते होने की उम्मीद है जिसमें 2.1 बिलियन डॉलर की सी हॉक हेलीकॉप्टर खरीद की डील शामिल है. अमेरिका के साथ तेल का आयात बढ़ने की भी उम्मीद है.
ये है ट्रंप की चुनावी यात्रा
अमेरिका में भारतीय मूल के वोटरों का शेयर लगातार बढ़ता जा रहा है. 2016 में 41 लाख भारतीय मूल के लोगों में 44 फीसदी यानी करीब 18 लाख वोटर थे, हालांकि इनमें से ज़्यादातर डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक रहे हैं. 2018 में पिउ के एशियन अमेरिकन वोटर सर्वे में सामने आया था कि पिछले राष्ट्रपति चुनाव में 14 में से 11 काउंटियों में जिनमें भारतीयों का वोट वहां के कुल वोट से 5% से ज़्यादा रहा वहां डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलरी क्लिंटन की जीत हुई. ट्रंप के इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ अपनाए गए कड़े रुख, पाकिस्तान को लेकर ट्रंप के रुख में बदलाव और भारत के साथ रिश्तों को तवज्जो देने जैसे ट्रंप के कदम से माना जा रहा है कि भारतीय वोटरों का रुझान रिपब्लिकन की तरफ बढ़ा है, खासकर गुजराती वोटर जो ज़्यादातर अमेरिका में कारोबारी हैं और प्रधानमंत्री मोदी के कट्टर समर्थक हैं. पीएम मोदी का जलवा ट्रंप पिछले साल ह्यूस्टन में देख चुके हैं जब अपने ही देश में 50 हज़ार भारतीयों ने मोदी मोदी के नारों से आसमान गूंज उठा था. पीएम मोदी ने अबकी बार ट्रंप सरकार का नारा देकर अपनी पसंद साफ कर दी थी जो भारतीय वोटरों के लिए इशारा भी था.
कुछ वैसा ही पीएम मोदी ने भारत में दोहराया. अहमदाबाद में एक लाख लोग मोदी ट्रंप की जुगलबंदी का खैरमकदम किया.
सिर्फ दोस्ती के लिए ट्रंप की यात्रा
हाल ही में महाभियोग से बाल बाल बचे राष्ट्रपति ट्रंप और सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून, नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिज़न यानी एनआरसी पर देश में विरोध और विदेशों में भी इसे लेकर उठ रही आवाज़ों की गर्मी के बीच इस यात्रा से दोनों ही नेताओं को कुछ ठंडक पहुंचने की उम्मीद होगी. लेकिन भारत पहुंचने से पहले ही जिस तरह अमेरिकी अधिकारियों ने अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता, सीएए, एनआरसी और पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्तों पर बातचीत होने की संभावना जताकर दबाव बनाने की कोशिश की है तो भारत का व्यापारिक समुदाय ट्रंप के साथ किसी बिज़नेस डेलीगेशन के ना आने से अपने लिए इस यात्रा में कोई ज़्यादा स्कोप नहीं देख रहा है.
कहा जा सकता है ट्रंप की इस यात्रा से भारत को अगर कुछ मिलेगा तो वो है दुनिया के एकमात्र सुपरपावर की दोस्ती की मुहर जबकि कारोबारी ट्रंप 15000 मील की भारत की राउंड ट्रिप से बहुत कुछ ले जाएंगे. इसमें प्यार की अनमोल निशानी ताजमहल की खूबसूरत यादें भी होंगी.
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