कोरोना के कहर से कैसे बचाएगा `क्वारंटाइन`? इसका मतलब जानिए
कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए इन दिनों क्वारंटाइन की खूब बात की जा रही है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि क्वारंटाइन या होम क्वारंटाइन होता क्या है? इस खास रिपोर्ट में क्वारंटाइन से जुड़े आपके हर सवाल का जवाब मिल जाएगा.
नई दिल्ली: कोरोना के कहर से बचने के लिए क्वारंटाइन शब्द का चलन तेज होता जा रहा है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि ये क्वारंटाइन क्या है और इसे कौन खुद के लिए लागू करता है. क्वारंटाइन का मतलब दरअसल एकांतवास है यानी कि खुद को दूसरों से अलग कर लेना, खुद का संपर्क सब से काट लेना.
कोरोना से बचाएगा क्वारंटाइन!
अगर कोई कोरोना के संक्रमण की आशंका को देखते हुए घर पर ही खुद को सबसे अलग-थलग कर लेता है तो इसे होम क्वारंटाइन कहा जाता है. आपको बता दें, सरकार की तरफ से भी क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं जहां कोरोना के संदिग्ध संक्रमित लोगों को रखा जाता है. क्वारंटाइन की मियाद 14 दिनों की तय की गई है क्योंकि कोरोना वायरस के लक्षण खुलकर सामने आने में 14 दिन तक लग जाते हैं.
किन्हें करना चाहिए होम क्वारंटाइन?
ऐसे लोग जो कोरोना वायरस से संक्रमित देश से आए हों
ऐसे लोग जिनके रिश्तेदार कोरोना पॉजिटिव पाए गए हों
ऐसे लोग जो कोरोना पॉजिटिव लोगों के संपर्क में आए हों
कोरोना के इस दौर में किन लोगों को क्वारंटाइन करने की जरूरत है, इसे भी समझ लीजिए.
पहला तो वैसे लोग जो ऐसे देश से लौटे हों जहां कोरोना वायरस का संक्रमण रहा हो. ऐसे लोगों का भी क्वारंटाइन होना चाहिए जिनके करीबी या रिश्तेदार कोरोना पॉजिटिव पाए गए हों. ऐसे लोग जो जाने-अनजाने कोरोना पॉजिटिव लोगों के संपर्क में आए हों, उन्हें भी क्वॉरेंटाइन करने की जरूरत है.
अगर किसी शख्स पर इन तीनों में से कोई भी स्थिति लागू होती है तो उन्हें क्वारंटाइन या फिर होम क्वारंटाइन करने की सख्त जरूरत है. खुद को कैसे होम क्वारंटाइन कर सकते हैं, उसे सिलसिलेवार तरीके से समझिए.
कैसे करें होम क्वारंटाइन?
कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए क्वारंटाइन जरूरी
होम क्वारंटाइन का मतलब है खुद पर कर्फ्यू लगा देना
घर में परिवार से अलग-थगल रहना ही होम क्वारंटाइन
अगर आप कोरोना के एक्सपोजर में आए हों तो सबसे पहले घर के किसी कमरे में खुद को कैद कर लीजिए. कमरे में अटैच बाथरूम होना चाहिए जिसका परिवार का कोई और सदस्य इस्तेमाल न करें.
अगल कमरे में खुद को कैद करने का मतलब है कि आप अपने परिवार से या फिर किसी और गेस्ट से न मिले-जुलें.
अगर कुछ जरूरत महसूस हो तो परिवार के सदस्य को जरूर बुलाएं लेकिन उससे कम से कम 3 से 6 फीट की दूरी रखें.
जिनका होम क्वारंटाइन हो रहा हो, उनके खाने-पीने के बर्तन अलग होने चाहिएं। परिवार का कोई भी सदस्य इन बर्तनों का इस्तेमाल न करे.
ऐसा नहीं है कि अगर कोई होम क्वारंटाइन कर रहा है तो उसके परिवार के बाकी सदस्य भी घर से न निकलें. इसलिए परिवार के सदस्य काम पर जा सकते हैं, बच्चे स्कूल भी जा सकते हैं.
जिनका होम क्वारंटाइन हो रहा हो, उनके परिवार के सदस्यों की ये जिम्मेदारी होती है कि वो साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखें. घर को और घर के तमाम वैसे सामान को डिस-इन्फेक्ट करते रहने की जरूरत है जिसे बार-बार टच किया जाता है.
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यहां ये ध्यान रखना जरूरी है कि क्वारंटाइन और आइसोलेशन अलग-अलग चीज है. कोरोना वायरस के एक्सपोजर में आए लोगों का क्वारंटाइन किया जाता है और क्वारंटाइन के दौरान पॉजिटिव पाए जाने पर उन्हें आइसोलेशन में भेजा जाता है. इसलिए जरूरी है कि जो लोग विदेश से आ रहे हों या फिर कोरोना से संक्रमित लोगों के संपर्क में आए हों, वो खुद ही क्वारंटाइन के लिए पहल करें.
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