भारत बन रहा है कैंसर की राजधानी, इस हेल्थ रिपोर्ट में हुआ दावा

रिपोर्ट में बताया गया कि भारत दुनियाभर में कैंसर की राजधानी बन गया है. डॉक्टरों के मुताबिक युवा व्यसकों में कैंसर के लक्षण ज्यादा आक्रामक दिखाई देते हैं, जो ज्यादा एडवांस स्टेज में मौजूद होते हैं.  

Written by - Shruti Kaul | Last Updated : Apr 7, 2024, 08:03 PM IST
  • कैंसर की राजधानी बन रहा भारत
  • युवाओं में बढ़ रहे कैंसर के लक्षण
भारत बन रहा है कैंसर की राजधानी, इस हेल्थ रिपोर्ट में हुआ दावा

नई दिल्ली:  हाल ही में सामने आई एक हेल्थ रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज यानी गैर-संचारी रोगों में तेजी से वृद्धि हो रही है. इन बीमारियों में कैंसर जैसा जानलेवा रोग भी शामिल है. विश्व स्वास्थय दिवस 2024 पर अपोलो अस्पताल की फ्लैगशिप हेल्थ ऑफ नेशन रिपोर्ट के चौथे संस्करण में बताया गया कि हर 1 में से तीसरा भारतीय प्री-डायबेटिक का शिकार है. वहीं हर 3 में से 2 प्री-हाइपरटेंसिव हैं और हर 10 से एक डिप्रेशन से पीड़ित है. 

कैंसर की राजधानी बना भारत 
इस रिपोर्ट में देश में बढ़ती कैंसर की घटनाओं पर भी प्रकाश डाला गया. रिपोर्ट में बताया गया कि भारत दुनियाभर में कैंसर की राजधानी बन गया है. डॉक्टरों के मुताबिक युवा व्यसकों में कैंसर के लक्षण ज्यादा आक्रामक दिखाई देते हैं, जो ज्यादा एडवांस स्टेज में मौजूद होते हैं. ऑन्कोलॉजिस्ट के मुताबिक इसके पीछे एक्सरसाइज न करना, दिनभर बैठे-बैठे काम करना और खान-पान समेत कई तरह के कारण हो सकते हैं. इसके अलावा यह कई बार अनुवांशिक या पर्यावरण से जुड़े जोखिम के कारण भी हो सकते हैं. 

 बढ़ रहे हैं कैंसर के मामले 
'BMJ जर्नल' के मुताबिक वैश्विक स्तर पर शुरुआत के समय में कैंसर के निदान की संख्या में लगभग 30 फीसदी वृद्धि हो सकती है. वहीं इस बीमारी से मरने वाले लोगों की संख्या में लगभग 20 फीसदी वृद्धि हो सकती है. 'JAMA नेटवर्क ओपन' के मुताबिक युवाओं में 1990 के दशक के मुकाबले कोलोरेक्टल और बाउल कैंसर का निदान दोगुना बढ़ गया है. इसके अलावा इन दिनों ब्रेस्ट कैंसर भी बेहद आम है. इसके मुताबिक महिलाओं में हर साल इस कैंसर की लगभग 4 प्रतिशत वृद्धि हो रही है. 

इन तरह के कैंसर के बढ़ रहे मामले
अपोलो के मुताबिक भारत में महिलाओं में आमतौर पर ब्रेस्ट, गर्भाशय, अंडाशय और ग्रीवा कैंसर होता है. वहीं पुरुषों में प्रोस्टेट, मुंह और फेफड़ों का कैंसर बैहद आम है. भले ही इसके निदान के लिए औसत उम्र बाकी देशों के मुकाबले कम है. विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि इसके बावजूद भारत में कैंसर स्क्रीनिंग दर बेहद कम है. अपोलो के डाटा में यह भी कहा गया कि भले ही भारत में कैंसर की जांच की पहुंच बढ़ाने की और ज्यादा जरूरत है, लेकिन फिर भी अब लोग इसको लेकर चेकअप का रास्ता चुन रहे हैं, जो एक पॉजिटिव बदलाव है. 

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