नई दिल्ली: Post Traumatic Stress Disorder: क्या कभी आपके साथ या आपके किसी प्रियजन के साथ ऐसा हुआ है कि उन्होंने किसी ऐसी बुरी स्थिति या घटना का अनुभव किया है, जो रह रहकर उनके आंखों के सामने आकर उन्हें परेशान करने लगती है? कई कोशिशों के बावजूद उनके लिए इस घटना को भूल पाना बेहद मुश्किल हो जाता है? बता दें कि इस मानसिक स्थिति को PTSD यानी Post Traumatic Stress Disorder कहा जाता है. यह तब होता है जब व्यक्ति के किसी अपने या खुद उसके साथ कोई भयावह घटना घटी हो जिसे भूल पाना उसके लिए बेहद मुश्किल हो जाता है. पीटीएसडी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है.
क्या होता है PTSD?
पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर यानी पीटीएसडी एक तरह का मानसिक विकार है. ये समस्या उन लोगों में होती है जिनमें किसी डरावनी घटना के बाद दिमाग में रासायनिक और न्यूरोलॉजिक परिवर्तन आता है. जिन लोगों ने यौन उत्पीड़न, बलात्कार, आतंकवादी हमला, युद्ध, प्राकृतिक आपदा, महामारी, दुर्घटना या पैरानॉर्मल एक्टिविटी समेत किसी डरावनी घटना का अनुभव किया हो उनमें ये समस्या आ सकती है. समय बीतने के बाद भी व्यक्ति उस घटना को भुला नहीं पाता है.
PTSD के लक्षण
ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होना
सोने में कठिनाई होना
चिड़चिड़ापन और तनाव महसूस करना
आसानी से चौंक जाना
उस दुर्घटना के बारे में बात करने से बचना
अपने या दुनिया के बारे में निगेटिव सोचना
बार-बार वहीं चीजें याद आना
PTSD से बचाव
PTSD से पीड़ित व्यक्ति को समय रहते किसी अच्छे मनोचिकित्सक के पास जाकर इलाज करना चाहिए. इस समस्या से निपटने के लिए आप इन इलाजों की मदद ले सकते हैं.
कॉग्नेटिव बिहैवियर थेरेपी
इस थेरेपी के जरिए डॉक्टर इस बात को समझने की कोशिश करते हैं कि मरीज की ये परेशानी किस बात से ज्यादा ट्रिगर करती है. इसके लिए डॉक्टर मरीज से बातचीत करता है और उसके बिहेवियर को समझते हुए उसके अंदर मौजूद निगेटिविटी को दूर करता है.
फैमिली थेरेपी
कई मामलों में PTSD से जूझ रहे व्यक्ति के कारण परिवार के बाकी लोग भी प्रभावित होते हैं. ऐसे में फैमिली थेरेपी की मदद से इसको ठीक करने की कोशिश की जा सकती है.
कॉग्निटिव थेरेपी
कई मामलों में व्यक्ति के साथ जो घटना घटी होती है उसमें वह खुद को दोषी ठहराने लगता है, जिससे उनकी मेंटल हेल्थ पर काफी ज्यादा असर पड़ता है. ऐसे में कॉग्निटिव थेरेपी के जरिए डॉक्टर मरीज को घटना के बारे में दूसरी तरह से विचार करने में मदद करता है. इससे मरीज को घटना से उबरने में काफी हद तक मदद मिलती है.
एक्सपोजर थेरेपी
इस थेरेपी के जरिए मरीज से उसके साथ अतीत में हुए किसी बुरी घटना के बारे में जानने की कोशिश की जाती है. इसी के आधार पर दुर्घटना के बारे में समझते हुए आगे के इलाज के लिए फॉर्मेट तैयार किया जाता है.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.
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