आत्महत्या मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम का बड़ा फैसला, बीमा कंपनी को दिया भुगतान का आदेश

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने आत्महत्या के एक मामले में बीमा कंपनी को इंश्योरेंस क्लेम अदा करने का आदेश दिया है.

Written by - Sumit Kumar | Last Updated : Apr 2, 2021, 03:06 PM IST
  • आत्महत्या मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम का बड़ा फैसला
  • NCDRC के फैसले के मायने
आत्महत्या मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम का बड़ा फैसला, बीमा कंपनी को दिया भुगतान का आदेश

नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ से जुड़े आत्महत्या के एक इंश्योरेंस क्लेम मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने बड़ा फैसला सुनाया है. NCDRC ने राज्य उपभोक्ता आयोग के आत्महत्या मामले में इंश्योरेंस क्लेम देने के फैसले को बरकरार रखते हुए रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस कंपनी पर 1.5 लाख का जुर्माना भी लगाया. इसके साथ ही आयोग ने कंपनी की याचिका खारिज कर दी.

दरअसल, जिला उपभोक्ता फोरम ने बीमा की शर्त में दी गई 12 महीने की अवधि के बाद आत्महत्या से मौत के मामले में बीमा कंपनी को क्लेम के करीब 13.5 लाख रुपए ब्याज सहित अदा करने का आदेश दिया था. फोरम के फैसले पर राज्य आयोग के बाद राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने भी मुहर लगा दी है.हालांकि राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के खिलाफ बीमा कंपनी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कह रही है.

NCDRC के फैसले के मायने

सामान्य तौर पर किसी भी बीमा पॉलिसी में आत्महत्या से हुई मौत पर क्लेम का भुगतान नहीं किया जाता है. ये बात पॉलिसी वर्डिंग्स यानी बीमा शर्तों में साफ-साफ लिखी होती है. जिन बीमा कंपनियों की पॉलिसी वर्डिंग्स में एक निश्चित समयावधि के बाद आत्महत्या के कारण हुई मौत पर भी बीमा क्लेम का भुगतान किए जाने का जिक्र होता है. अगर उस निश्चित अवधि के बाद बीमा कराने वाले व्यक्ति की आत्महत्या से मौत हुई है तो पॉलिसी में नामित व्यक्ति क्लेम का दावा कर सकता है.

राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने अपने फैसले में कहा कि फोरम ने हर पहलू पर विचार किया है. फोरम ने दर्ज किया है कि नोटिस सर्व होने के बावजूद बीमा कंपनी की ओर से कोई पेश नहीं हुआ. कंपनी की ओर से किसी के पेश न होने पर भी और शिकायतकर्ता द्वारा दुर्घटना में मौत की बात कहे जाने के बावजूद मौजूद सुबूतों को देखने के बाद फोरम ने तय किया कि मौत का कारण आत्महत्या है लेकिन शिकायतकर्ता राहत पाने की हकदार है.

क्या है पूरा मामला?

छत्तीसगढ़ के दिलीप कुमार सोनी ने रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से 28 सितंबर 2012 को एक बीमा पॉलिसी ली थी. पॉलिसी के लिए उन्होंने एक लाख रुपये का प्रीमियम अदा किया था. दिलीप नियमित तौर पर प्रीमियम की राशि का भुगतान करते थे.

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3 जून, 2014 को दिलीप सोनी ने चित्रकोट की इंद्रावती नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली. इसके बाद उनकी पत्नी ऊषा सोनी ने परमानेंट अम्बुड्समेन कोर्ट में बीमा दावा दाखिल किया था. जहां कंपनी ने क्लेम देने की बात कहकर सारे दस्तावेज ले लिए लेकिन बीमा राशि का भुगतान नहीं किया. ऐसे में मामला जिला उपभोक्ता फोरम पहुंचा. जिला फोरम ने बीमा दावे की मांग पर कंपनी को नोटिस जारी किया, लेकिन कंपनी की तरफ से कोई फोरम में पेश नहीं हुआ.

ऐसे में जिला फोरम ने मई 2019 को दिए आदेश में कंपनी को ब्याज सहित बीमा की रकम देने के साथ-साथ फरियादी को हुई मानसिक और आर्थिक पीड़ा के एवज में 20 हजार रुपये मुआवजा और 2,500 रुपये मुकदमा खर्च भी देने को कहा. आदेश को कंपनी ने राज्य आयोग में चुनौती दी जहां से याचिका खारिज होने के बाद वह राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग पहुंची थी लेकिन यहां भी कंपनी के हाथ निराशा हाथ लगी.

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