नई दिल्ली: ज़रूरत से ज़्यादा तनाव, मानसिक उथल-पुथल की वजह से वर्कआउट करने का मन ना करना, भूख ना लगना, चिड़चिड़ापन और नींद ना आना जैसे लक्षण आपके जीवन के लिए खतरनाक हो सकते हैं. इस सबका असर आपको डेंजर ज़ोन में ला जा सकता है. स्ट्रेस हॉरमोन का ज़्यादा रिलीज़ होना आपके शरीर के लिए प्राणघातक साबित हो सकता है लेकिन सबसे पहले जानिए कि स्ट्रेस हॉरमोन होता क्या है
स्ट्रेस हॉरमोन: लड़ो या मरो
दरअसल कॉर्टिसॉल वो हॉरमोन है जिसके चलते हमारा शरीर अपनी प्रतिक्रिया तय करता है कि वो मुसीबत से लड़े या फिर हथियार डाल दे. ये हॉरमोन किसी भी चैलेंज को फेस करने के लिए काफी उपयोगी हथियार साबित होता है फिर चाहे आपके ऑफिस की डेडलाइन हो या जंगल में किसी शेर से दो-दो हाथ करने हों.
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आपकी ज़िंदगी या सुरक्षा पर मंडराता हुआ ख़तरा आपके ब्रेन को एक्टिवेट करता है और वो तुरंत केमिकल सिग्नल देता है जिससे स्ट्रेस हॉरमोन आपके रक्त प्रवाह में रिलीज़ होता है. स्ट्रेस हॉरमोन हमें मुसीबत का सामना करने की ताकत या फिर भाग खड़े होने की फुर्ती देता ही है. इस दौरान आपका दिल तेज़ी से धड़कता है, सांस फूलती है और दिमाग बिजली की गति से चलता है. आपकी एकाग्रता बढ़ जाती है, आपकी प्रतिक्रिया की गति बढ़ जाती है और आप फटाफट कॉन्सन्ट्रेशन के साथ घंटों का काम मिनटों में ही बखूबी निपटा लेते हैं. स्ट्रेस वाली स्थिति खत्म होते ही, स्ट्रेस हॉरमोन का सिग्नल ऑफ हो जाता है, और आपका शरीर वापस नॉर्मल स्थिति में आ जाता है.
क्यों कोरोना काल में स्ट्रेस है खतरे की घंटी
हमारा शरीर लगातार स्ट्रेस हॉरमोन का स्त्राव झेलने के लिए नहीं बना है. स्ट्रेस हॉरमोन यानि कॉर्टिसॉल जब लगातार पैदा होता रहता है तो इससे हमारे शरीर को बहुत नुकसान होता है. हमारे शरीर की संरचना ऐसी है कि कॉर्टिसॉल लेवल दिन में बढ़े और दिन ढलते-ढलते ये लेवल भी घटता जाए. ये हॉरमोन हमारे ब्रेन में ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखता है लेकिन अगर ये लगातार एक्टिवेटेड रहे तो इससे मोटापा, डायबिटीज, दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर, कैंसर, ऑटोइम्यून डिऑर्डर और अवसाद जैसी कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. यानि ज्यादा तनाव से हुई कॉर्टिसॉल की गड़बड़ी आपके लिए मुसीबत बन सकती है ख़ासतौर पर कोरोना काल में.
डायबिटीज या हॉर्ट पेशेंट्स के लिए कोरोना से लड़ना एक गंभीर चुनौती है
हाल में हुई एक स्टडी के मुताबिक 10 में से 1 कोरोना के मरीज की अस्पताल में भर्ती होने के एक हफ्ते के भीतर ही मौत हो सकती है और 5 में से 1 मरीज़ को वेंटिलेटर की ज़रूरत हो सकती है. गूढ़ वैज्ञानिक बातों को परे रखें तो बड़ी आसान सी बात है, अगर बीमारी है तो तनाव उसे बढ़ाएगा और अगर बीमारी नहीं है तो स्ट्रेस उसे बुलावा देगा.
जानें कैसे स्ट्रेस आपके शरीर के 5 प्रमुख हिस्सों पर वार कर रहा है
आपका दिल
तनाव की वजह से आपकी हार्टबीट और रक्त प्रवाह बढ़ जाते हैं, इससे कॉलेस्ट्ऱल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर बढ़ जाते हैं.
तनाव के चलते ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाने का डर रहता है. ख़तरनाक बात ये है कि उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारी, दोनों ही साइलेंट किलर माने जाते हैं, कई बार रोगी को पता ही नहीं चलता कि उसे ये समस्याएं हैं जब तक स्थिति गंभीर ना हो जाए.
आपके फेफड़े
तनाव और चिंता आपके फेफड़ों पर भी असर डालता है और अगर आप सिगरेट पीते हैं या फिर आपको अस्थमा या COPD यानि क्रॉनिक आब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिज़ीज है तो आपके लिए कोरोना काल में खतरा ज़्यादा बढ़ जाता है.
स्ट्रेस की वजह से अस्थमा के अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है.
आपका ब्रेन
बढ़े हुए तनाव का मतलब सिर दर्द, माइग्रेन, उल्टियां, यहां तक कि आपके ब्रेन का आकार सिकुड़ सकता है, आपकी याददाश्त पर बुरा असर पड़ सकता है, और आपको डिप्रेशन हो सकता है.
इसका सीधा असर आपकी नींद पर पड़ता है और फिर कई और बीमारियों को न्यौता मिल जाता है.
आपका पेट
तनाव की वजह से पाचन संबंधित समस्याएं आपके लिए मुश्किल खड़ी कर सकती हैं. अगर पहले से ही अल्सर या आंतों की किसी समस्या से जूझ रहे हों तो ये और भी विकराल रूप धारण कर लेती हैं.
आपका स्वास्थ्य आपके पाचन से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है, यहां कोई भी गड़बड़ी बीमारी को बुलावा है.
आपकी त्वचा
आजकल जिन लोगों को ज़्यादा देर मास्क या ग्लव्स पहनना पड़ता है उन्हें चकत्ते पड़ने, रैशेज़ जैसी समस्याओं से यूं भी जूझना पड़ता है. तनाव की वजह से आपकी त्वचा संबंधित समस्याएं और बढ़ जाती हैं. एकने या एक्ज़िमा है तो ये और गंभीर रूप धारण कर लेते हैं और फिर कुंठा रही सही कसर पूरी कर देती है.
एक बार फिर तनाव बढ़ता है और कुल मिलाकर आप एक कुचक्र में फंस कर रह जाते हैं.
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5 स्टेप्स में स्ट्रेस से मुकाबला
1. व्यायाम सबसे आसान तरीका है शरीर में हैप्पी हॉरमोन के लेवल बढ़ाने और शरीर का एंटी-इंफ्लेमेट्री रिस्पॉन्स ठीक करने के लिए, तो योग करें या फिर कोई नया वर्कआउट का तरीका अपनाएं.
2. दूसरा प्रभावी तरीका है मेडिटेशन यानि ध्यान और डीप ब्रीदिंग यानि गहरी श्वसन क्रियाएं.
3. अपने परिवार और दोस्तों के साथ ऑनलाइन ही सही पर जुड़े रहें.
4. कुछ नया सीखने की कोशिश करें. आजकल ऑनलाइन ट्यूटोरियल्स उपलब्ध हैं तो बस अपना मनपसंद टॉपिक चुनें और शुरु हो जाएं.
5. अगर तनाव गंभीर रूप अख़्तियार कर ले तो किसी डॉक्टर या एक्सपर्ट से सलाह लेने में ना हिचकिचाएं. आपका दिमाग आपके शरीर जैसे ही एक अंग है और इसका स्वस्थ होना बेहद जरूरी है.
तो जब भी आप बेवजह सोच-सोच कर परेशान हो रहे हों तो मुस्कुराएं और कुछ सेकेंड में ही माथे से बल दूर होता नजर आएगा.