नई दिल्ली: भारत ने अत्यधिक गरीबी को खत्म कर दिया है और अब वह गरीबी रेखा से बाहर आने की ओर बढ़ हो रहा है. अमेरिका स्थित थिंक-टैंक ब्रुकिंग्स ने आंकड़ों का हवाला देते हुए अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है. रिपोर्ट में इसका श्रेय मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की जनता तक सीधी पहुंच को दिया गया है.
घरेलू उपभोग व्यय में दर्ज किया अहम उछाल
इसके मुताबिक, भारत ने कुल गरीबी अनुपात (एचसीआर) में गिरावट और घरेलू उपभोग व्यय में महत्वपूर्ण उछाल दर्ज किया है, जिससे 'अत्यधिक गरीबी' से छुटकारा पाने में मदद मिली है. जाने-माने अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला और करण भसीन की ओर से लिखी गई रिपोर्ट में जो बातें सामने आई हैं उसे एक उत्साहजनक विकास के रूप में देखते हुए कहा गया कि, 'समय आ गया है कि भारत अन्य विकसित समकक्षों की तरह उच्च गरीबी रेखा पर पहुंच जाए.'
ब्रुकिंग्स रिपोर्ट देश की अत्यधिक गरीबी से 'आजादी' का श्रेय मोदी सरकार की कई कल्याणकारी कार्यक्रमों तक जनता के सीधे जुड़ाव के साथ प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के जरिए लोगों तक सरकार की पहुंच को देती है.
सतत कार्यों को बताया गया विकास का मूल
इसमें कहा गया है कि रसोई गैस, सभी के लिए आवास, शौचालय निर्माण, हर घर नल से जल, शहरी और साथ ही ग्रामीण इलाकों में बिजली की बिना रुकावट आपूर्ति के माध्यम से पूरी आबादी को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने पर सरकार का ध्यान देना और सतत काम करना ही इस समावेशी विकास का मूल रहा है.
गरीबी के आंकड़ों में तेजी से गिरावट आई
रिपोर्ट में कहा गया है कि विकास संकेतकों में सुधार पर सरकार का स्पष्ट ध्यान इस बदलाव के पीछे गेम चेंजर हो सकता है. करण भसीन ने इस रिपोर्ट को लेकर कहा, "नवीनतम एचसीईएस डेटा से पता चलता है कि भारत में अत्यधिक गरीबी के आंकड़ों में तेजी से गिरावट आई है."
उपभोग असमानता में गिरावट पर आगे बोलते हुए करण ने आईएएनएस को बताया, "यह गिरावट काफी हद तक पिछले दशक में अनुभव की गई समावेशी वृद्धि और अर्थव्यवस्था में सभी के लिए बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित करने की दिशा में सरकार की मजबूत नीतिगत पहल के कारण आई है."
करण ने कहा, 'अत्यधिक गरीबी में काफी कमी आई है और यहां तक कि उच्च गरीबी रेखा में भी, पिछले 10 वर्षों में गरीबी में गिरावट 30 वर्षों में हुई गिरावट के बराबर है. कुल मिलाकर ये सकारात्मक घटनाक्रम है.'
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