वैक्सीन क्रांति: आत्मनिर्भर भारत में कोरोना का स्वदेशी समाधान शुरू
कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन क्रांति की शुरुआत भारत में हो चुकी है. स्वदेशी वैक्सीन के जरिए कोरोना से निर्णायक युद्ध के आगाज में सबसे बेहतर बात है `आत्मनिर्भर भारत`
नई दिल्ली: भारत ने किस तरह अपने दम पर देश में कोरोना वैक्सीनेशन का कार्यक्रम शुरू करने में सफलता पाई है. भारत में वैक्सीनेशन के दौरान जिन दो वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है. दोनों का निर्माण भारत में ही हुआ है. यानि कोरोना से निर्णायक जंग में भारत पूरी तरह से आत्मनिर्भर है.
भारत में कोरोना का स्वदेशी समाधान
पूरी दुनिया सिर्फ सबसे बड़े वैक्सीनेशन प्रोग्राम की शुरुआत नहीं देख रही, बल्कि आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) का दम भी देख रही है. कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक तरफ दुनिया के तमाम देश दूसरे मुल्कों पर आश्रित हैं, लेकिन भारत दूसरी सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश होने के बावजूद अपने दम पर टीकाकरण अभियान की शुरुआत करने में कामयाब रहा और इसका श्रेय जाता है देश में ही तैयार हो रही दौ वैक्सीन को.. जिन पर दुनिया भर की नजर है.
कोविशील्ड : सीरम इंस्टीट्यू ऑफ इंडिया
कोवैक्सीन : भारत बायोटेक/आईसीएमआर
भारत (India) ने जिन दो वैक्सीन के जरिए कोरोना वैक्सीनेशन प्रोग्राम की शुरुआत की उसमें पहली वैक्सीन है आॉक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रॉजेनेका की वैक्सीन (Vaccine) जिसका उत्पादन पुणे (Pune) की सीरम इंस्टीट्यूट कोविशील्ड (Covidshield) के नाम से देश में ही कर रही है. वहीं दूसरी वैक्सीन है भारत बयोटेक और आईसीएमआर की कोवैक्सीन है जो पूरी तरह से स्वदेशी है.
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स्वदेशी वैक्सीन से कोरोना से निर्णायक युद्ध
आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा करने के लिए पूरा देश एकजुट हो गया है. इसी क्रम में टीकाकरण को लेकर भी हर कोई उत्सुक है, क्योंकि बात स्वदेशी वैक्सीन की है. देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने भी अपने संबोधन में कहा कि 'कोरोना से हमारी लड़ाई आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की रही है. आज हम मास्क, PPE किट, टेस्टिंग किट, वेंटीलेटर के निर्माण में आत्मनिर्भर हो गए हैं और निर्यात भी कर रहे हैं. इसी ताकत को हमें टीकाकरण के इस दौर में भी सशक्त करना है.'
भारत में वैक्सीनेशन की शुरुआत में सबसे ज्यादा कोविशील्ड (Covidshield) वैक्सीन का ही इस्तेमाल हो रहा है, क्योंकि अभी तक कोवैक्सीन (COVAXIN) के तीसरे चरण के इफिकेसी डेटा सार्वजनिक नहीं है. इसका मतलब ये नहीं है कि कोवैक्सीन का वैक्सीनेशन में इस्तेमाल नहीं हो रहा, कोवैक्सीन भी पूरी तरह से सुरक्षित और असरदार है.
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इसके अलावा कोविशील्ड को तैयार करने वाली सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute) के सीईओ अदार पूनावाला (Adar Poonawalla) ने भी वैक्सीनेशन की शुरुआत पर खुशी जाहिर की है. सच्चाई ये है कि देश में वैक्सीनेशन की शुरुआत होने से भारत की वैक्सीन पावर की वजह से आज सारी दुनिया भारत की तरफ देख रही है. भारत की दाम में कम और काम में दम वाली वैक्सीन से पूरी दुनिया उम्मीद लगा रखी है, क्योंकि ये आत्मनिर्भर भारत है.
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