नई दिल्ली: साउथ चाइना सी को धरती का वो इलाका कहा जाता है, जहां सबसे ज़्यादा टेंशन रहती है. इस इलाके में कई मुल्कों की नजर है और कभी अमेरिका तो कभी चीन समंदर के इस हिस्से में अपनी बादशाहत होने का दंभ भरते रहते हैं. इसी इलाके में दुनिया के सबसे बड़े नौसेनिक बेड़े ने एक प्रयोग किया है, जो चीन के लिए एक वॉर्निंग साइन से कम नहीं है.
लेजर गन से हवा में विमान को उड़ाया
अमेरिकी नेवी की ओर से एक वीडियो जारी किया गया है. जिसमें जंगी जहाज पर तैनात लेजर गन से हमला किया जाता है और हवा में उड़ रहे एक ड्रोन पर सटीक निशाना लगाकर उसे गिरा दिया जाता है. अमेरिका की पैसिफिक फ्लीट ने इसका परीक्षण चीन से कुछ हजार किलोमीटर पर प्रशांत महासागर में किया और दुनिया को बता दिया कि अमेरिका के पास वो हथियार है, जिसमें उसे करोड़ों नहीं खर्च करने होंगे बल्कि महज 1 डॉलर खर्च कर के वो किसी भी एयरक्राफ़्ट को हवा में ही नष्ट कर सकता है.
#USSPortland (LPD 27) conducts Laser Weapon System Demonstrator Test in Pacific: https://t.co/zZJglgDIcf @USNavy @USNavyResearch #NavyLethality pic.twitter.com/K8xtcEWiRz
— U.S. Pacific Fleet (@USPacificFleet) May 22, 2020
अमेरिकी नेवी ने चलाई लेजर गन
अमेरिकी नौसेना का ये हाई-एनर्जी लेजर हथियार दुनिया में अब तक देखा गया अपनी तरह का एकलौता हथिया है जो छोटे से छोटे निशाने को भी भेद सकता है, चाहे वो समंदर में हो या फिर वो हवा में हो. कोरोना संकट काल में 16 मई को इसका परीक्षण किया गया, टाइमिंग और जगह के मुताबिक अमेरिका का ये टेस्ट चीन को दबाव में लेने के लिए है, जो ज़ाहिर करता है कि अमेरिका चीन को सबक सिखाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है.
अमेरिकी नौसेना ने USS पोर्टलैंड से लेजर हथियार का परीक्षण किया. इस हथियार को सॉलिड स्टेट लेजर वेपन कहते हैं. इसे अमेरिका के नौसेना रिसर्च कार्यालय ने बनाया है. पहली बार इसे नौसेना के पैसिफिक फ्लीट में शामिल किया गया है.
चीन ने अमेरिका को घुड़की दी तो,..
हाल ही में दक्षिण चीन सागर और ताइवान के नजदीक चीन और अमेरिका के जंगी जहाज आमने सामने आ गए थे. इसी तरह चीन ने अमेरिका के सबसे आधुनिक टोही विमान पी-8 पर लेजर से निशाना लगाया था. हालांकि, ये नुकसान करने वाला हमला नहीं था लेकिन इसी के जवाब में अमेरिका ने अपनी चाल चली और अपना वो हथियार दुनिया के सामने लेकर आया. जिससे किसी भी नौसैनिक बेड़े को डराया जा सकता है. चीन अगर अमेरिका को घुड़की देता है तो अमेरिका भी बता देता है कि अगर युद्ध हुआ तो वो पीछे नहीं हटने वाला.
इस लेजर हथिार की क्या है खासियत?
अब हम आपको इस हथियार की खासियत बताते हैं, अमेरिका अपने इस खतरनाक हथियार को अपने उन जंगी जहाज़ों पर तैनात कर रहा है जो दक्षिण चीन सागर में निगरानी करती हैं. ये हथियार डायरेक्टेड एनर्जी वेपन की श्रेणी में है.
अमेरिका में डायरेक्टेड एनर्जी वेपन पर काम 1960 में शुरू किया था. इसकी खासियत है कि ये अपनी रेंज में आनेवाले टारगेट को ऊर्जा से उड़ा देता है. इसमें लेजर बीम, माउक्रोवेव और पार्टिकल बीम भी शामिल हो सकती है. अमेरिका ने डायरेक्टेड एनर्जी वेपन में नॉन लीथल हथियार ही बनाए थे. इराक वॉर में अमेरिका ने इसी से बड़े इलाके में बिजली गुल की थी. दुनिया के कई हिस्सों में भीड़ नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल होता है. अब अमेरिका ने डायरेक्टेड एनर्जी वेपन से लीथल हथियार भी बना लिया.
वो अब डायरेक्टेड एनर्जी वेपन जवानों को उड़ा सकता है, मिसाइल को हवा में नष्ट कर सकता है. हेलिकॉप्टर को निशाना बना सकता है और मिलिट्री वाहनों को तबाह कर सकता है.
यही वो लेजर हथियार है जो वक्त आने पर चीन का शिकार करेगा. इसमें लगा रेडियो फ्रिक्वेंसी सेंसर, टारगेट की रेंज को बताता है. मतलब टारगेट कितनी दूरी पर है, इसका टारगेट ट्रैकिंग सेंसर, टारगेट को ट्रैक करता है. यानी चलता हुआ टारगेट भी निशाने पर बना रहता है, फायर का ट्रिगर दबते ही बीम डायरेक्टर से लेजर बीम निकलती है जो टारगेट को ध्वस्त करती है. ये हथियार एक रोटेटिंग ट्रैक पर माउंट होता है, जो इस लेजर गन को 360 डिग्री घूमा सकता है यानी दुश्मन कहीं हो एक बार निशाने पर आया तो बचेगा नहीं.
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हालांकि अमेरिका ने इस हथियार को बनाना मकसद भी बहुत दिलचस्प है. खुफिया जानकारी है कि चीन और रूस हाईपरसोनिक मिसाइल बना ली है और उनसे बचने के लिए ये लेजर वेपन काम आ सकता है. जिसमें ऐसी मिसाइल्स को हवा में उड़ाने की काबिलियत है.
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