नई दिल्ली. चीन के खिलाफ म्यांमार ने दुनिया से गुहार लगाई है. म्यांमार का आरोप है कि चीन उसके खिलाफ आतंकियों को हथियार मुहैया करा रहा है. मजे की बात ये है कि म्यांमार अब तक दक्षिण एशिया में चीन का सबसे करीबी सहयोगी माना जाता रहा है. अब उसे भी समझ में आ गया है कि चीन की जात का कोई भरोसा नहीं, सच कहती है दुनिया !
अंतर्राष्ट्रीय मदद मांगी म्यांमार ने
म्यांमार ने आरोप लगाया है कि चीन उसके खिलाफ आतंकवादी और विद्रोही समूहों को हथियार मुहैया करा रहा है. म्यांमार ने आतंकी समूहों की रोकथाम के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की मांग की है. हाल ही में रूस के टीवी चैनल ज्वेज्दा में प्रसारित एक इंटरव्यू में म्यांमार के सैना-प्रमुख जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने बताया कि म्यांमार के भीतर अशांति फैला रहे आतंकवादी संगठनों को 'मजबूत ताकतों' का समर्थन प्राप्त है और म्यांमार को इनके खात्मे के लिए दूसरे देशों की मदद की जरूरत है.
मजबूत ताकतों का अर्थ है चीन
म्यांमार चीन के इतने दबाव में है कि खुल कर उसका नाम भी नहीं ले पा रहा है. लेकिन 'मजबूत ताकतों' का संदर्भ म्यांमार के पड़ोसी चीन के रूप सबकी समझ में आ रहा है. म्यांमार के सैन्य-प्रवक्ता ने इस बात को विस्तार से समझाते हुए बताया कि म्यांमार के सेनाप्रमुख अराकान आर्मी और अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी का उल्लेख कर रहे थे. ये आतंकी संगठन पश्चिमी म्यांमार के राखीन राज्य में सक्रिय हैं.
चीन दे रहा है हथियार
म्यांमार के सैन्य-प्रवक्ता ने बताय कि पिछले वर्ष 2019 में म्यांमार की सेना पर हुए माइन अटैक की जांच में हमने पाया कि इस हमले में इस्तेमाल किए गए हथियार चीन निर्मित हथियार हैं. उन्होंने जांच के अन्य परिणामों के आधार पर भी पाया कि अराकन सेना के पीछे 'विदेशी देश' का हाथ है. म्यांमार का पड़ौसी देश चीन ही यह 'विदेशी देश' है.