नई दिल्ली. अमेरिका ने हिंद महासागर में चीन की चाल को नाकाम करने की घोषणा की थी और वो खुद ही श्रीलंका में नाकाम रहा. अमेरिका ने श्रीलंका में चीन को कूटनीतिक झटका देने की पूरी तैयारी की थी किन्तु झटका अमेरिका को ही मिल गया है. दो माह पहले अक्टूबर में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने इसी उद्देश्य से श्रीलंका का दौरा किया था. पोम्पिओ कोलंबो को अमेरिकी समझौते के लिए राजी करना चाहते थे और यह प्रयास अन्ततः असफल रहा.
बंद करेंगे अपना प्रोग्राम
अमेरिका के साथ श्रीलंका के रिश्तों के ठंडेपन ने अमेरिका को यह बड़ा कदम उठाने को मजबूर कर दिया. श्रीलंका में अमेरिका के पौने पांच सौ मिलियन डॉलर के मिलेनियम डेवलपमेंट असिस्टेंस प्रोगाम के प्रति कोलंबो के उदासीन रवैये के कारण अमेरिका ने अब इस प्रोग्रैम को बंद करने का ऐलान किया है. अतंर्राष्ट्रीय राजनीति के विशेषज्ञ इसे श्रीलंका के मामले में चीन की बड़ी कूटनीतिक जीत मान रहे हैं.
''शांतिपूर्ण था हमारा समझौता''
अमेरिका का मानना है कि श्रीलंका के साथ हमारा समझौता शांतिपूर्ण था और इससे किसी भी देश की सम्प्रभुता के लिये किसी तरह का संकट पैदा नहीं हो सकता था. किन्तु हिंद महासागर में चीन की चाल को नाकाम करने की चाहत रखने वाले अमेरिका को खुद ही बड़ा झटका लग गया है. अक्टूबर में माइक पोम्पिओ के दौरे के जरिये अमेरिका श्रीलंका को इस समझौते के लिए राजी करना चाहता था.
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अमेरिकी दूतावास की घोषणा
अमेरिका द्वारा श्रीलंका में अपने कदम वापस लेने का ऐलान कोलंबो में अमेरिकी दूतावास के माध्यम से किया. हाल ही में अमेरिकी दूतावास द्वारा जारी किये गये बयान में कहा गया है कि मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन बार्ड ने निर्णय लिया है कि श्रीलंका के लिए अनुमोदित धनराशि अब दूसरे योग्य भागीदार देशों को उपलब्ध कराई जाएगी.
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