अंतरिक्ष में टकरा रहे चीन-अमेरिका, आमने-सामने ISS, चीनी स्पेस स्टेशन और सैटेलाइट

पिछले एक दो महीनों में ऐसी परिस्थितियां बन रही हैं, जब अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन, चीनी स्पेस स्टेशन और सैटेलाइट आमने-सामने आ गए. आपात उपाय कर स्पेस स्टेशनों की लोकेशन बदलकर इन्हें बचाया गया, वरना कुछ भी हो सकता था.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 30, 2021, 06:35 AM IST
  • यह भिड़ंत एक बार 1 जुलाई को और दूसरी बार 21 अक्टूबर को टली
  • टकराव को रोकने के लिए चीन के स्पेस स्टेशन ने जरूरी कदम उठाए
अंतरिक्ष में टकरा रहे चीन-अमेरिका, आमने-सामने ISS, चीनी स्पेस स्टेशन और सैटेलाइट

नई दिल्ली: धरती पर हालात सामान्य हैं लेकिन शून्य (अंतरिक्ष) में अमेरिका और चीन समेत कई देशों के टकराने का खतरा मंडरा रहा है. ऐसा लग रहा है कि अंतरिक्ष हादसों का हॉटस्पॉट या युद्ध की जगह बन सकता है. ये कोई कल्पना नहीं है बल्कि हकीकत में पिछले एक दो महीनों में ऐसी परिस्थितियां बन रही हैं, जब अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन, चीनी स्पेस स्टेशन और सैटेलाइट आमने-सामने आ गए. आपात उपाय कर स्पेस स्टेशनों की लोकेशन बदलकर इन्हें बचाया गया, वरना कुछ भी हो सकता था.

सबसे ताजा मामला है चीनी स्पेस स्टेशन और अमेरिकी सैटेलाइट के टकराने से बाल-बाल बचने का. ये सैटेलाइट अमेरिकी उद्योगपति और टेस्ला के मालिक एलन मस्क का था. चीन ने संयुक्त राष्ट्र में इस महीने की शुरुआत में  दर्ज कराई शिकायत में कहा है कि मस्क के स्टारलिंक प्रोग्राम का सैटेलाइट चीनी स्पेस स्टेशन से टकराने वाला था. स्पेस स्टेशन और सैटेलाइट की यह भिड़ंत एक बार 1 जुलाई को और दूसरी बार 21 अक्टूबर को टली. चीन ने कहा, "टकराव को रोकने के मकसद से चीन के स्पेस स्टेशन ने जरूरी रोकथाम के कदम उठाए." बता दें कि स्पेसएक्स का स्टारलिंक 1,700 से अधिक उपग्रहों का एक समूह है. इसका मकसद धरती के अधिकांश हिस्सों में इंटरनेट को पहुंचा है.

सितंबर में भी बाल-बाल बचा था हादसा
इससे पहले इस साल सितंबर में अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन मलबे से टकराने से बचा था. मलबे के टकराव से बचाव के लिए अंतरिक्ष स्टेशन की कक्षा को रूसी और अमेरिकी उड़ान नियंत्रकों ने ढाई मिनट के ऑपरेशन के दौरान दूसरी जगह आगे बढ़ाकर समायोजित किया. तब जाकर हादसे से बचा जा सके. इस ऑपरेशन के दौरान तीन अंतरिक्ष यात्रियों को निकट के अंतरिक्ष यान सोयुज में शिफ्ट किया गया.

नासा ने बताया कि मलबा अंतरिक्ष स्टेशन से 1.4 किलोमीटर यानी करीब एक मील की दूरी से गुजरा. जिस मलबे से अंतरिक्ष स्टेशन को खतरा था, वह जापानी रॉकेट का एक टुकड़ा था, जो 2018 में अंतरिक्ष में भेजा गया था. जापानी रॉकेट पिछले साल 77 अलग-अलग हिस्सों में टूट गया था.

क्यों बचना जरूरी है
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन धरती से 420 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा में करीब 17,000 मील प्रतिघंटे की रफ्तार से घूमती है. इस गति में अगर कोई छोटा सा तिनका भी उससे टकराएगा तो वहां भारी नुकसान होने की आशंका है.

नवंबर में रूस ने अपनी सैटेलाइट को रॉकेट से मार गिराया
इस साल नवंबर में रूस ने अपनी एक एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण करने के लिए अंतरिक्ष में मौजूद अपनी ही सैटेलाइट Tselina-D’ को मार गिराया था. रूस के इस एंटी-सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण ने सैटेलाइट के 1500 टुकड़े कर डाले थे.  इससे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को जान का खतरा हो गया क्योंकि अगर टुकड़े उससे टकराते तो स्टेशन तबाह हो जाते. आपको बता दें कि अंतरिक्ष में पहले से 27 हजार कचरे के टुकड़े घूम रहे हैं.

हथियार भी पहुंच रहे अंतरिक्ष में!
हाल में आई कई अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन अंतरिक्ष में हथियारों का तैनाती कर रहा है. इसलिए ही ड्रैगन ने अंतरिक्ष में अपनी गतिविधियां इतनी बढ़ा दी हैं. वहीं चीन भी अमेरिका पर इस तरह के आरोप लगा रहा है. अगर ऐसा होता है तो अंतरिक्ष और ज्यादा असुरक्षित जगह बनता जाएगा.

भारत के पास है एंटी सैलेटाइट वेपन, स्पेस स्टेशन भी लांच करेगा
रूस ने जिस हथियार से अपने उपग्रह को नष्ट किया उसे एंटी-सेटैलाइट वेपन कहते हैं. स्पेस सेटेलाइट्स को नष्ट करने के लिए इसे पृथ्वी से लॉन्च किया जाता है. दुनिया के कई देशों के पास ये टेक्नोलॉजी है लेकिन सिर्फ अमेरिका, रूस, चीन और भारत ही अभी तक इसका सफल परीक्षण कर पाए हैं. मार्च 2019 में भारतीय वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में उपग्रह को मार गिराने का सफल परीक्षण किया था. वहीं भारत की योजना 2030 तक एक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की है जो अपनी तरह का अनोखा अंतरिक्ष स्टेशन होगा. यानी अब 'शून्य' नहीं रहा अंतरिक्ष, अब वहां कचरा है, हथियार है हादसों का हॉटस्पॉट है.

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