नई दिल्ली. चीन ने कोशिश तो बड़ी शातिर की है लेकिन कामयाबी उसे ईरान के मामले में मिलनी नहीं है. ईरान अमेरिका के खिलाफ तो खुल कर और जम कर खड़ा होगा क्योंकि उसकी दुश्मनी को चीन का साथ मिल जायेगा लेकिन भारत के साथ ईरान अपनी दोस्ती चीन के कहने पर खराब नहीं करने वाला है क्योंकि भारत के साथ उसका लंबा-चौड़ा व्यावसायिक हित सुरक्षित है, जबकि चीन का भरोसा नहीं है.
चीन बना रहा है नेक्सस
भारत के खिलाफ नेक्सस तैयार करने की चीनी चाल किसी से छुपी नहीं है. पाकिस्तान, नेपाल के बाद अब चीन ईरान पर डोरे डाल रहा है और वह ईरान का इस्तेमाल भी भारत के खिलाफ करना चाहता है. लेकिन भारत के साथ ईरान की अपनी महत्वाकांक्षायें काम कर रही हैं जिनके कारण चीन की मंशा कामयाब होती नजर नहीं आ रही है.
हासिल किया एक प्रोजेक्ट
चीन ने ईरान को खुश करने के लिये उसके साथ तेहरान में एक बड़ा प्रोजेक्ट शुरू कर दिया है. फिर भी चीन इस बात को नहीं समझ पा रहा है कि भारत के खिलाफ ईरान को बरगलाने के लिये इतना काफी नहीं है. सच तो ये है कि चाबहार पोर्ट के विकास के तहत आने वाले जिस रेल प्रोजेक्ट को लेकर चीन को प्रसन्न है वह वैसे तो उसके लिये एक आर्थिक फायदे का स्रोत है किन्तु उसके आगे कुछ भी नहीं.
मध्य-एशिया का पावर हाउस बनने की मंशा
जो मंशा ईरान की है वही चीन की भी है. ऐसे में ईरान के रहते मध्य एशिया में दूसरा पावर हाउस कोई दूसरा बन नहीं सकता है. चीन की गरीब देशों को पैसा उधार दे कर उन पर कब्जा करने की नीति ईरान के साथ चल न पायेगी. ईरान अपने विकास के नाम पर अपना शोषण करने का अधिकार चीन को किसी कीमत में देने नहीं वाला. और ये बात कुछ दिनों में चीन की समझ में आ जायेगी.
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