लंदन: दुनिया भर में इंसान करीब 2.5 साल से कोरोना महामारी का प्रकोप झेल रहा है, लेकिन आपको आश्चर्य होगा कि महामारी का सामना करने वाली इंसानी एकमात्र प्रजाति नहीं है. यहां तक की डायनासोर ने भी कोरोना जैसी फ्यू की महामारी का सामना किया था. वैज्ञानिकों ने हालिया रिपोर्ट में यह खुलासा किया है.
रिपोर्ट के मुताबिक शोधकर्ताओं ने पाया है कि डायनासोर 150 मिलियन (15 करोड़) साल पहले फ्लू महामारी से बच गए थे. यानी उनके मारे जाने से 100 मिलियन वर्ष पहले यह सब कुछ घटा था.
यूं हुआ यह नया खुलासा
डॉली नामक एक डिप्लोडोकस (डायनासोर की एक प्रजाति) की हड्डियों में फ्लू के समान एक श्वसन रोग के साक्ष्य की खोज की गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह खांसने और छींकने के कारण जानवरों में तेजी से फैल गया होगा. हालांकि यह महामारी उन्हें मार नहीं पाई क्योंकि इसके बाद भी करोड़ों साल तक डायनासोर धरती पर रहे. जब तक कि उनका समूल नाश नहीं हो गया.
डॉ कैरी वुड्रूफ़ ने कहा: "इससे पहले इस तरह का संक्रमण किसी भी डायनासोर में कभी नहीं पाया गया है, इसलिए यह नई खोज हमें अतीत की एक रोमांचक झलक दिखाती है. "लाखों साल पहले, टीकों और लेम्सिप के आविष्कार से पहले, उन विशाल जीव डायनासोर को वही स्थूल लक्षण झेलने पड़े जो हम सभी ने महसूस किए हैं."
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सांस की बीमारियां
डायनासोर को हुई बीमारियों के बारे में जानना ज्यादा मुश्किल है क्योंकि उनके अंग और कोमल ऊतक अब हमारे पास नहीं हैं लेकिन उनकी हड्डियों में सांस लेने में मदद करने के लिए हवा की थैली थी, जिसका अर्थ है कि सांस की बीमारियां वहां फैल सकती थी. डॉ वुड्रूफ़ ने अमेरिका के मोंटाना में डॉली के जीवाश्म अवशेषों का अध्ययन किया और उसकी गर्दन में हड्डी के उभार पाए. पक्षियों में एवियन फ्लू होने के बाद वही उभार पाए जाते हैं.
1990 और 2013-2015 में मिले थे अवशेष
डॉली के अवशेष 1990 और 2013-2015 में मिले थे. शोधकर्ता डॉली के लिंग के बारे में नहीं जानते, लेकिन उन्होंने कहा कि डायनासोर का उपनाम एक प्रसिद्ध गायक डॉली पार्टन के नाम पर रखा गया था.
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