नई दिल्लीः सीमा बढ़ोतरी को लेकर ड्रैगन की भूख कोई नई नहीं है. नेपाल, भूटान, तिब्बत यहां तक की ताइवान तक को चीन ने इस मसले में घसीट रखा है. भारत के साथ हुआ गलवान घाटी वाला मसला अभी पुराना नहीं पड़ा है.
इसी के साथ चीन की एक और करतूत सामने आई है. इस बार ड्रैगन की विस्तारवादी नीति का शिकार बनी है म्यांमार की धरती, जहां चीन ने सीमा से आगे बढ़कर कंटीले तार लगा दिए हैं और दावा कर दिया है कि यह क्षेत्र उसकी सल्तनत का हिस्सा है.
रविवार को लगाई बाड़
जानकारी के मुताबिक, चीन की इस बुरी नीयत की पोल खोली है म्यांमार के एक लोकल अखबार ने. म्यामांर के अखबार इर्रावडी ने खबर प्रकाशित की है. इस खबर में देश की सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल जॉ मिन तुन ने कहा कि चीन ने पोस्ट संख्या BP-125 के पास रविवार को बाड़ लगाने का काम शुरू किया.
चीन ने Corona के खतरे को देखते हुए इन दिनों म्यामांर से लगती सीमा पर अवैध घुसपैठ के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है. मेजर तुन ने कहा, 'स्थानीय बटालियन ने चीनी पक्ष से आपत्ति जताई है और इससे संबंधित पत्र भेजा है. बताया गया कि वर्ष 1961 में हुई सीमा संधि के आधार पर यह आपत्ति जताई गई है.
यह लिखा था संधि में
इस संधि के प्रावधानों में शामिल था कि सीमांकन के 10 मीटर के अंदर किसी भी ढांचे का निर्माण नहीं हो सकता है. म्यांमार की सेना की और से जताई गई आपत्ति के बाद चीन ने निर्माण कार्य को रोक दिया है. म्यांमार के अधिकारियों ने मौके पर जाकर चीनी निर्माण दल से बात की.
चीन ने दावा किया है कि अवैध रूप से लोगों के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए वह बाड़ का निर्माण करा रहा है.
इस मामले में शान राज्य से सांसद साई तून अए ने कहा कि चीन का बाड़ लगाने का एकतरफा कदम दोनों ही देशों के बीच शक्ति के असंतुलन को दर्शाता है, साथ ही उन्होंने चीन के व्यवहार पर भी आपत्ति जताई है.
तुन का यह भी कहना है कि चीन अक्सर इस राज्य में बिना बताए बाड़ लगा देता और सीमा पर चीनी झंडे भी जमा देता है. जनवरी 2019 में चीन ने म्यांमार का झंडा उखाड़ दिया था. 2018 में भी शान राज्य में चीन और म्यामांर के बीच सीमा विवाद भड़क उठा था. म्यांमार का कहना है कि उन्होंने अक्सर चीन की ओर से दादागिरी जैसा बर्ताव अनुभव किया है.
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