चीन के मारे गए सैनिकों के परिवार ने मांगा सम्मान

और यह सम्मान चीन की सरकार अपने मारे गए सैनिकों को देने को तैयार नहीं है. चीन के लोगों में इस बात का गुस्सा दिखने लगा है. मारे गए सैनिकों के परिजन मांग रहे हैं सम्मान और चीन का कहना है अभी ये जरूरी नहीं है..  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 26, 2020, 07:09 PM IST
    • मारे गए सैनिकों के परिजनों ने मांगा सम्मान
    • चीन की सरकार ने कहा - बाद में बताएंगे
    • सैनिकों के परिजन ट्वीट किये जा रहे हैं
चीन के मारे गए सैनिकों के परिवार ने मांगा सम्मान

नई दिल्ली. चीन की सरकार को चलाने वालों को ये पता नहीं है कि ये कोई छोटा-मोटा मुद्दा नहीं है, ये एक बहुत बड़ी और संवेदना से जुड़ी हुई बात है. अगर चीन के सैनिकों का ध्यान इस बात पर चला गया तो चीन की सेना के दम पर चीन में तानाशाही का राज चलाने वाली सरकार का तख्ता पलट भी हो सकता है क्योकि जनता तो पहले ही इस सरकार से परेशान है.

 

मारे गए सैनिकों के परिजनों ने मांगा सम्मान 

गलवान घाटी में 15 जून की रात जो हिंसक झड़प हुई थी उसमें दोनों देशों के सैनिक मारेर गए हैं. किन्तु भारत में अपने सैनिकों को सम्मान दिया जबकि चीन में मारे गई सैनिकों का सम्मान तो दूर, उनकी संख्या तक नहीं बताई गई है. अब चीन की जनता भारत देश में मारे गए सैनिकों के सम्मान को देख कर अपनी सरकार से नाराज़ है और मारे गए सैनिकों के परिजनों की सम्मान की मांग को समर्थन दे रही है.

चीन की सरकार ने कहा - बाद में बताएंगे 

इस हिंसक झड़प में चीन की सरकार ने मारे गए सैनिकों की संख्या नहीं बताई इसलिए उसे उनके नाम भी छुपाने पड़े. किन्तु इन सैनिकों के परिजन परेशान हैं क्योंकि उन्हें पता नहीं कि उनके परिवार के बेटे जीवित हैं या मर दिए गए. अगर मार दिए गए तो कितने और कौन कौन से सैनिक मार दिए गए हैं - इस तरह की बातों से बहुत से सवाल पैदा हो रहे हैं किन्तु चीन की सरकार ने टका सा जवाब दिया है इन सैनिकों के परिजनों को - बाद में बताएंगे, अभी यह बताना महत्वपूर्ण नहीं है.

ट्वीट किये जा रहे हैं 

मारे गए सैनिकों के परिजन ट्वीट करके अपना दुःख जाता रहे हैं. उनका कहना है कि भारत की तरह हमारे बेटों का हमारी सरकार ने फूलों से सम्मान नहीं किया बस हमें उनकी अस्थियां सौंप दीं. इन परिजनों ने आरोप लगाया है कि हमारे साथ ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि हम किसान हैं और हमारे मारे गए बेटे किसानों के बेटे थे.

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