वॉशिंगटनः अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ (Chief Economist Gita Gopinath) को संस्था का पहला उप प्रबंध निदेशक (First Deputy Managing Director) बनाया गया है. इस बारे में आईएमएफ ने घोषणा की. मगर, दूसरी तरफ गीता गोपीनाथ के आईएमएफ छोड़ने की भी चर्चा है.
कोरोना महामारी ने पैदा की हैं चुनौतियां
मीडिया रिपोर्ट्स में IMF की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा के हवाले से कहा गया कि विशेष रूप से यह देखते हुए कि कोरोना महामारी ने हमारे सदस्य देशों के सामने व्यापक आर्थिक चुनौतियों के पैमाने और दायरे में वृद्धि की है. मेरा मानना है कि गीता के पास ठीक वैसी ही विशेषज्ञता है, जिसकी हमें इस समय एफडीएमडी भूमिका के लिए आवश्यकता है.
'बिल्कुल सही व्यक्तित्व हैं गीता गोपीनाथ'
जॉर्जीवा ने कहा कि वास्तव में आईएमएफ में मुख्य अर्थशास्त्री के रूप में उनका विशेष कौशल उनके वर्षों के अनुभव के साथ-साथ उन्हें विशिष्ट रूप से योग्य बनाता है. इसके लिए वह सही समय पर सही व्यक्तित्व हैं.
21 जनवरी से संभालेंगी पदभार
जॉर्जीवा ने यह भी कहा कि आईएमएफ की वरिष्ठ प्रबंधन टीम की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों में कुछ बदलाव किया जा रहा है. जो विशेष रूप से, एफडीएमडी निगरानी और संबंधित नीतियों का नेतृत्व करेगा. आईएमएफ के अनुसार, गोपीनाथ 21 जनवरी, 2022 को एफडीएमडी के रूप में अपनी नई भूमिका में काम करना शुरू करेंगी.
भारत में हुआ था जन्म
2019 की शुरुआत में मुख्य अर्थशास्त्री के रूप में आईएमएफ में शामिल होने से पहले, गोपीनाथ हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में अंतरराष्ट्रीय अध्ययन और अर्थशास्त्र के जॉन ज्वानस्ट्रा प्रोफेसर थी. गीता गोपीनाथ भारतीय मूल की हैं. हालांकि, अब वह अमेरिका की नागरिक हैं. उनका जन्म 1971 में कोलकाता में हुआ था.
उन्होंने 1992 में दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से अर्थशास्त्र की पढ़ाई की थी. इसके बाद दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में मास्टर की डिग्री हासिल की. साल 1994 में वह वाशिंगटन यूनिवर्सिटी चली गईं और साल 1996 से 2001 तक उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी की थी.
गीता ने एक बयान में कहा, 'मैं आईएमएफ की अगली एफडीएमडी बनने के लिए सम्मानित और विनम्र हूं. जैसा कि महामारी ने हम पर अपनी पकड़ जारी रखी है. फंड का काम कभी भी अधिक महत्वपूर्ण नहीं रहा और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग कभी भी अधिक महत्वपूर्ण नहीं रहा है.'
गोपीनाथ की नई नियुक्ति अप्रत्याशित है, क्योंकि उन्होंने अक्टूबर में कहा था कि उन्होंने जनवरी 2022 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय लौटने की योजना बनाई है.
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