नई दिल्ली. द्वितीय विश्व युद्ध में भी इटली ने विश्व के विरुद्ध खलनायक की भूमिका निभाई थी और बाद में मित्र-राष्ट्रों के हाथों पराजित हो कर सजा पाई थी. इसलिए अगर ऐसा कुछ फिलहाल भी हो रहा है तो हैरानी की कोई बात नहीं क्योंकि इटली पहले से ही चीन के सबसे बड़े व्यावसायिक साझेदारों में से एक है.
वायरस की उत्पत्ति पर कई मत हैं
चीन से निकल कर दुनिया के दो सौ से अधिक देशों में फ़ैल जाने वाले कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर अभी तक एक राय नहीं बन पाई है. वायरस के पैदा होने पर कई विरोधी जानकारियां सामने आई हैं. कभी कहा गया कि यह वायरस चीन के वेट मार्केट से फैला है तो कभी कहा गया कि यह चीन की वायरोलॉजी की प्रयोगशाला में तैयार किया गया . अब इटली से आई है नई खबर जिसमे कहा जा रहा है कि इटली में कोरोना संक्रमण की शुरुआत करने वाला वायरस चीन से नहीं, बल्कि कहीं और से आया था.
मिलान यूनिवर्सिटी से आई रिपोर्ट
इटली की मिलान यूनिवर्सिटी की एक नई स्टडी में वायरस के स्ट्रेन को लेकर रिपोर्ट सामने आई है. यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कार्लो फेडेरिको पेर्नो के नेतृत्व में हुए इस शोध के दौरान फरवरी और अप्रैल महीने के बीच लोम्बार्डी क्षेत्र के तीन सौ से अधिक कोरोना-रोगियों के रक्त के नमूने एकत्रित किये गये और उनसे उनके जीन में हुए परिवर्तन से वायरल स्ट्रेन के पैदा होने का पता चला.
''सीधे तौर पर चीन जीनोम में नहीं''
मिलान यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि जिन शुरुआती कोरोना रोगियों के रक्त के नमूने एकत्रित किये गये थे उनका जीनोम सिक्वेंस का अध्ययन करने पर कोरोना वायरस के प्रसार में चीन सीधे तौर पर श्रृंखला में सम्मिलित नहीं पाया गया. ध्यान देने वाली बात ये भी है कि इटली ही वह पहला देश था जिसने कोरोना के महामारी के रूप में फैलने की आशंका पर चीन की यात्रा पर प्रतिबंध लगाने और वहां की सभी उड़ानों पर रोक लगाने का कदम उठाया था.
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