नई दिल्ली: काबुल एयरपोर्ट के बाहर भीड़ है, भगदड़ है, भूख है, भय है, तालिबान है, कोहराम है और काबुल एयरपोर्ट के अंदर सुकून है, शंका है, अफसोस है, उम्मीद है. आज की तारीख में तालिबानी खबरों के एपिसेंटर काबुल एयरपोर्ट का ये दोहरा सच है और इस सच की एक-एक परत आपके सामने शायद ही पहुंच रही हो.
काबुल एयरपोर्ट पर अफगानियों का युद्ध स्तर पर रेस्क्यू
काबुल एयरपोर्ट के अंदर रात की तस्वीरें ऐसी थी, जिसके बारे में जानकर हर किसी का दिल पसीज जाए. दर्जनों अफगानी लोग जमीन पर बैठे-बैठे रात गुजार रहे थे. उनमें बच्चे भी थे, महिलाएं भी थीं, ज्यादातर नौजवान थे.
सुबह हुई तो एयरपोर्ट पर कतारें लग गईं. अपने-अपने विमान के सामने लोग खड़े हो गए. इनके चेहरे पर जान बचने का संतोष था, तो मुल्क छूटने का दर्द भी था.
तालिबानियों के खतरे से कतर भाग रहे अफगानी नागरिक
एक अफगानी शरणार्थी ने कहा कि 'मैं बहुत दुखी महसूस कर रहा हूं, क्योंकि मुझे अपना मुल्क छोड़ना पड़ रहा है. ये हमारी जन्मभूमि है और तालिबान के कारण हमें मुल्क छोड़ना पड़ रहा है.'
छोटे छोटे बच्चों और परिवार के साथ अपना मुल्क छोड़ने का दर्द इन अफगानियों के चेहरे पर तो था, लेकिन जब ये कतर के विमान में सवार हो रहे थे, तो इनके चेहरे पर सुरक्षा का भाव भी था.
अफ़ग़ानिस्तान छोड़ते हुए दुखी नजर आ रहे अफगानी
काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सैकड़ों हजारों शरणार्थी अपने सुरक्षित भविष्य के लिए विमान में सवार होने का इंतजार कर रहे हैं और ऐसे ही हजारों लोग बाहर भी इंतजार कर रहे हैं.
देखते ही देखते सी-17 ग्लोबमास्टर जैसा विशाल विमान खचाखच भर गया. कुछ लोग सीटों पर बैठ गए. बाकी जो बचे वो विमान की फर्श पर ही बैठ गए. ज़ी मीडिया ने विमान में सवार कुछ और अफगानी नौजवानों से बात की.
एक शरणार्थी ने बोला कि 'अपना देश छोड़ना बहुत दुखद है, लेकिन कोई चारा नहीं है क्योंकि अफगानिस्तान में हालात रोज खराब होते जा रहे हैं. अफवाह उड़ रही है कि पत्रकार, मीडिया एक्टिविस्ट, सामाजिक कार्यकर्ता सब तालिबान के निशाने पर हैं.'
वहीं दूसरे अफगानी शरणार्थी ने ज़ी मीडिया से बात करते हुए कहा कि 'बिल्कुल खुश नहीं हूं, मैं दुखी हूं क्योंकि ये सब होगा, सोचा भी नहीं था. हमारे पास अपने सैनिक, फौज है, हम आतंकियों से लड़ सकते थे लेकिन पता नहीं क्या गलत हो गया.'
तालिबानियों से शांति वार्ता का अगुआ रहा कतर
जिस कतर ने तालिबान डील कराई. अफगानिस्तान में तालिबान को बैठाया. उस तालिबान ने अब पाकिस्तान का पल्लू पकड़ लिया. अब हालात ये हैं कि तालिबान के डर से भाग रहे अफगानियों को वही कतर अपने यहां शरणार्थी भी बना रहा है.
अफगानी दस्तावेजों की जांच के बाद ही US जा पाएंगे
ज़ी मीडिया ने उस सैन्य विमान के अंदर से रिपोर्टिंग की, जो विमान अफगानियों को सुरक्षित काबुल से दोहा ले जाने वाला था. जहां उन्हें करीब 40 दिन तक रखा जाएगा. सभी दस्तावेज और योग्यताओं की जांच होगी. अगर वो योग्य पाये जाएंगे तो अमेरिका जाएंगे वरना उन्हें अफगानिस्तान भी लौटाया जा सकता है.
काबुल से अफगानियों का रेस्क्यू किस युद्ध स्तर पर चल रहा है इसका अनुमान ऐसे ही लगा सकते हैं कि केवल कतर ने अब तक सात हजार से ज्यादा अफगानियों का रेस्क्यू किया है.
जो खुशकिस्मत हैं वो अफगानिस्तान छोड़कर भागने में कामयाब हो जा रहे हैं. जो एयरपोर्ट के बाहर हैं वो 30 अगस्त से पहले किसी भी सूरत में अफगानिस्तान छोड़ने को बेताब हैं. जबकि तालिबान की पूरी कोशिश है कि काबुल छोड़ रहे अफगानियों को रोका जाए. दुनिया भर में तालिबान के आतंक चरित्र की चर्चा पर रोक लगाई जाए, लेकिन इस्लामिक अमीरात को लेकर अफगानियों के अंदर जो दहशत फैल चुकी है, वो बढ़ती ही जा रही है.
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