अमेरिका में भारतवंशियों ने CAA- NRC के समर्थन में निकालीं रैलियां

अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों ने बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरकर नागरिकता संशोधन कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) का समर्थन किया.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 25, 2019, 01:33 PM IST
    • अमेरिका में भारतीयों ने CAA- NRC के समर्थन में ओहायो और ह्यूस्टन में निकाली रैलियां
    • वामपंथी संस्थाओं का झूठ उजागर करने के लिए रैली
    • कई शहरों में भी निकलेगी ऐसी रैली
अमेरिका में भारतवंशियों ने CAA- NRC के समर्थन में निकालीं रैलियां

दिल्ली: भारत में विपक्षी दल जिस नागरिकता कानून को संविधान विरोधी बता कर इसका विरोध कर रहे हैं, उसी का समर्थन अमेरिका में किया जा रहा है. अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों ने  नागरिकता संशोधन कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) के समर्थन में एक बड़ी रैली निकाली.

ओहायो और ह्यूस्टन में निकाली रैलियां

भारतीय अमेरिकियों ने ओहायो-ह्यूस्टन समेत कई शहरों में रैली कर सीएए और एनआरसी के बारे में गलत जानकारी और भ्रम दूर करने की कोशिश की. बता दें कि केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद से नागरिकता कानून पास कराया है. इसके तहत 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आ चुके गैरमुस्लिमों को भारत की नागरिकता दी जाएगी.

वामपंथी संस्थाओं का झूठ उजागर करने के लिए रैली

इस कार्यक्रम के आयोजनकर्ताओं ने कहा कि हमने सीएए और एनआरसी के बारे में इस्लामिक और वामपंथी संस्थाओं की तरफ से फैलाए गए डर को दूर करने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. वे कह रहे हैं कि सीएए मुस्लिमों को भारत से निकालने के लिए है, जो कि एक झूठ है. भारत हमेशा से सबको समाहित करने के लिये जाना जाता है.

कई शहरों में भी निकलेगी ऐसी रैली

ओहायो के डबलिन में रैली का आयोजन करने वाले विनीत गोयल ने कहा कि आने वाले दिनों में डैलस, शिकागो, सैन फ्रांसिस्को, न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन, अटलांटा, सैन होसे और कुछ अन्य जगहों पर रैलियों का आयोजन किया जाएगा. भारत में मोदी जी के नेतृत्व में अच्छी सरकार चल रही है और भारत लगातार दुनिया भर में अपनी प्रतिष्ठा बढ़ा रहा है.

दूसरे देश के पीड़ितों पर किसी की नजर नहीं

सिएटल में रैली का आयोजन करने वाली अर्चना सुनील ने कहा कि सीएए और एनआरसी का विरोध करने वाले ज्यादातर लोगों के पास जानकारी नहीं है. वे तर्कों पर बात नहीं करना चाहते, न ही इस बारे में सुनना चाहते हैं. वे सिर्फ झूठ फैला रहे हैं. इससे उनकी परेशानी पर किसी की नजर नहीं जा रही, जिन्हें देश के बंटवारे के बाद से ही समस्याओं से गुजरना पड़ा है.

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