नई दिल्लीः दुनिया की राजनीति में हाल ही में कुछ ऐसा घटा, जिसकी चर्चा इन दिनों हर मुल्क में हो रही है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं ईरान चुनाव की. जब ईरान में चुनाव चल रहा था तब इसकी चर्चा केवल ईरान या फिर ईरान की सियासत में दिलचस्पी लेने वाले लोगों तक रहती थी, लेकिन जब से चुनाव नतीजे सामने आए हैं ईरान की चर्चा पूरी दुनिया के सियासी गलियारे में हो रही है. इसका कारण है नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी.
वैसे तो रईसी अगस्त में राष्ट्रपति पद संभालेंगे लेकिन अभी से दुनियाभर में उन्हें लेकर आशंकाएं फैल रही हैं. रईसी के पिछले रिकॉर्ड और उनके पुराने तेवर को देखकर इजरायल समेत कई देशों में खलबली मची है. हो भी क्यों न, रईसी के जिंदगी के कई ऐसे किस्से हैं जो आपको झकझोर देंगे.
तेहरान के जल्लाद के नाम से मशहूर थे रईसी
इजरायल समेत दुनिया के कई देश रईसी को ईरान का सबसे कट्टर राष्ट्रपति बता रहे हैं और कह रहे हैं कि रईसी के राष्ट्रपति बनने से न्यूक्लियर हमले जैसे भयंकर खतरे बढ़ सकते हैं. क्योंकि ये बात किसी से छिपी नहीं है कि रईसी परमाणु कार्यक्रमों के हिमायती रहे हैं. वैसे रईसी को 1988 का "तेहरान का जल्लाद" भी कहा जाता रहा, जिसने अपने खिलाफ खड़े हजारों लोगों को मौत दे दी थी.
लोगों को मारने का फैसला लिया
खुद को कट्टर शिया और ईरान में धर्म का रखवाला बताने वाले रईसी ने कम उम्र में ही अहम राजनैतिक ओहदे पाने शुरू कर दिए. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो वो उस कमीशन के प्रमुख सदस्य थे, जिसके एक फैसले ने तेहरान में नरसंहार मचा दिया था. तब रईसी की उम्र महज 20 साल थी. वो उस सीक्रेट ट्रिब्यूनल का हिस्सा बन गए, जिसे डेथ कमेटी के नाम से भी जाना जाता है. इस बात का जिक्र बीबीसी की एक रिपोर्ट में मिलता है.
किसी को पहाड़ से फेका तो किसी को पत्थर से मारा
ये लोग ईरान में वामपंथ की वकालत करते थे. इन्हीं लोगों को धड़ाधड़ मौत की सजा दे दी गई.कई रिपोर्ट्स में जिक्र मिलता है कि कैदियों को ईरान की जेलों से निकालकर दीवार की ओर मुंह करवाकर गोली मार दी गई. ये भी कहा जाता है कि वे अपने खिलाफ बोलने वालों को मारने के लिए सजा के क्रूरतम तरीके निकालते थे, जैसे बिजली का झटका देना, पहाड़ियों से फेंकना और पत्थरों से मरवाना.
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30 हजार लोगों की मौत
बताते हैं कि मारे गए लोगों में गर्भवती महिलाएं और छोटे-छोटे बच्चे तक शामिल थे. इस दौरान लाखों घर तबाह हुए और पीढ़ियों पर इस नरसंहार का असर पड़ा. मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी अपनी जांच में कहा कि रईसी उन जजों में से एक थे, जिन्होंने लोगों को मौत की सजा दी. हालांकि एमनेस्टी मारे गए लोगों की संख्या लगभग 5 हजार बताती है, वहीं ईरान के मानवाधिकार कार्यकर्ता और संस्थाएं मानती हैं कि कम से कम 30 हजार लोग मारे गए.
अमेरिका लगा चुका है आने पर पाबंदी
बाद में रईसी ने इस तरह के किसी आरोप से इनकार किया था, लेकिन बहुत सी मानवाधिकार संस्थाओं के बोलने और उस दौर में जुल्मों से बचकर निकल आए लोगों की बात मानते हुए अमेरिका ने भी इस ईरानी नेता पर काफी सारी पाबंदियां लगा दीं. उनपर ह्यूमन राइट्स के उल्लंघन का भी आरोप लगा.
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ईरान में राजनैतिक तब्दीली से चिंता क्यों
रईसी के राष्ट्रपति बनने की खबर फैलने से साथ ही अमेरिका समेत इजरायल को भी चिंता हो रही है. बता दें कि इजरायल और ईरान में हमेशा से ही तनाव चला आ रहा था, जिसमें बीते दो सालों में और तेजी आई है. ईरान और इजरायल दोनों ही एक दूसरे पर खुफिया हमलों का आरोप लगाते रहे. अब इजरायल की चिंता ये भी है कि ईरान नए राष्ट्रपति के साथ कहीं परमाणु-शक्ति संपन्न न हो जाए. बता दें कि ईरान अब भी परमाणु बम बनाने की क्षमता हासिल नहीं कर पाया है क्योंकि इजरायल लगातार इसमें रोड़े अटकाता रहा.
भ्रष्टाचार मिटाने का वादा
राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवारी में आते हुए इब्राहिम रईसी ने खुद को पद के लिए सबसे बेहतर बताते हुए दावा किया था वो देश से करप्शन मिटा देंगे और इकनॉमी को भी मजबूत बनाएंगे. 60 साल के रईसी ने इन दावों की बतौर चुनाव जीता या कोई दूसरा भी तरीका था, इसपर अटकलें लग रही हैं. लेकिन इस बीच सबसे ज्यादा बात उनके क्रूर इतिहास की हो रही है.
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