नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण जारी है और इसके खुलने की तारीख का ऐलान भी किया जा चुका है. अगले साल की शुरुआत में यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोला जा सकता है. इस मंदिर में दर्शन करने के लिए देश और दुनिया के रामभक्त बड़ी संख्या में हर साल पहुंचेंगे. अयोध्या वह जगह है जहां पर भगवान राम का जन्म हुआ और फिर 14 वर्ष का वनवास काटकर आने के बाद यहां से उन्होंने शासन भी किया. लेकिन भगवान राम के जीवन में अयोध्या से कम महत्व लंका का नहीं था. दरअसल यही वह जगह थी जहां पर रावण के साथ युद्ध कर भगवान राम ने असत्य पर सत्य की जीत को स्थापित किया था.
हिंदू धर्म ग्रंथों में वर्णित लंका या फिर आज का श्रीलंका दशानन रावण का घर था. लेकिन अब रावण के क्षेत्र में भगवान के रामायण सर्किट का निर्माण हो रहा है. श्रीलंका में भगवान राम- देवी सीता और रावण से जुड़े कई मान्यता वाले स्थल हैं. रामायणकाल से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण स्थलों में त्रिकोमाली, नुवारा एलिया, सिगिरिया जैसी जगहें शामिल हैं. सिगिरिया में मौजूद एक किले को रावण का महल कहा जाता है और मान्यता है कि यहीं पर देवी सीता को बंधक बनाकर रखा गया था. इसी तरह नुवारा एलिया में अशोक वाटिका जिक्र मिलता है. यह वर्तमान में एक लोकप्रिय जगह है.
रावण से जुड़ी भी कई जगहें और नाम श्रीलंका में आज भी मिलते हैं
यह कुछ जगहें तो बानगी भर हैं. रावण से जुड़ी भी कई जगहें और नाम श्रीलंका में आज भी मिलते हैं. श्रीलंका का मानना है कि रामायण सर्किट के निर्माण से बड़ी संख्या में भारतीय सैलानी वहां का रुख करेंगे जिससे टूरिजम इकोनॉमी पर बड़ा असर देखने को मिलेगा. रामायण के इर्द-गिर्द इस तरह के सर्किट का निर्माण करना श्रीलंका के लिए भी एक कठिन काम है क्योंकि इससे पहले इस तरह के किसी प्रोजेक्ट पर देश में काम नहीं हुआ है.
भारतीयों को मनी एक्सचेंज की जरूरत नहीं होगी!
तीन महीने पहले श्रीलंका के हाई कमिश्नर मिलिंडा मोरागोडा ने जानकारी दी थी कि रामायण सर्किट के दौरान भारत से जा रहे सैलानियों द्वारा भारतीय करेंसी को स्वीकार करने पर भी विचार चल रहा है. यानी भारतीय सैलानी श्रीलंका में भारतीय रुपये खर्च कर सकेंगे और उन्हें किसी भी तरह के मनी एक्सचेंज की जरूरत नहीं होगी. उन्होंने यह भी जानकारी दी थी कि रामायण से जुड़े करीब चालीस स्थल श्रीलंका में हैं.
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