भारतीय नागरिकता क़ानून पर मलेशिया के प्रधानमंत्री का घर में ही विरोध

भारत में नागरिकता संशोधन क़ानून पर विवादास्पद टिप्पणी करने के बाद अब मलेशियाई पीएम को अपने ही नेताओं के सवालों का जवाब देते नहीं बन रहा है.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 22, 2019, 08:25 PM IST
    • मलेशिया के प्रधानमंत्री की उनके देश में आलोचना
    • मलेशिया के नेताओं ने की आलोचना
    • मलेशिया ने ही दी है विवादास्पद उपदेशक जाकिर नाइक को शरण
    • दिल्ली में मलेशियाई राजदूत को भेजा गया सम्मन
भारतीय नागरिकता क़ानून पर मलेशिया के प्रधानमंत्री का घर में ही विरोध

कुआलालम्पुर. मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मुहम्मद अपने घर पर ही घिर गए हैं. भारतीय नागरिकता संशोधन क़ानून पर उनकी प्रतिकूल टिप्पणी ने भारत को रुष्ट किया ही साथ ही मलेशिया के नेताओं ने भी अपने सवालों में घेर कर उन्हें लाजवाब कर दिया. 

मलेशिया के नेताओं ने की आलोचना

भारत के विदेश विभाग ने महातिर मुहम्मद को उनकी टिप्पणी पर खरी खरी सूना दी और सन्देश दिया कि तथ्यों को जांचने के बाद ही वे कुछ कहें. और बेहतर हो कि भारत के निजी मसलों पर बोलने से परहेज करें. अब मलेशिया में भी उनका इसी मुद्दे पर विरोध हुआ है और उन्हें अपने देश में ही आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.

मलेशिया ने ही दी है विवादास्पद उपदेशक जाकिर नाइक को शरण 

एक दिन पहले 21 दिसंबर को मलेशियाई के पेनांग राज्य के उप-मुख्यमंत्री डॉक्टर पी रामासामी और बगान डालम के असेंबली मेंबर सतीश मुनिआंदी ने अपने प्रधानमंत्री की भारत के विरुद्ध की गई टिप्पणी को लेकर आलोचना की. देश में दुनिया में घृणा फैलाने वाले कटटरपंथी और जिहादी मानसिकता के इस्लामिक उपदेशक ज़ाकिर नाइक को शरण देने के मामले में भी इन्हीं दोनों ने मलेशियाई सरकार का विरोध किया था. 

दिल्ली में मलेशियाई राजदूत को भेजा गया सम्मन 

इसके पहले मलेशियाई प्रधानमंत्री की संकीर्ण टिप्पणी का संज्ञान लेकर भारत के विदेश मंत्रालय ने दिल्ली में मलेशियाई राजनयिक को कल समन भेज कर देश के नए नागरिकता क़ानून पर महातिर मोहम्मद की टिप्पणी को लेकर कड़ी आपत्ति जताई थी. 

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क्या कहा था महातिर मुहम्मद ने 

दो दिन पहले 20 दिसंबर 2019 को कुलालालंपुर समिट से इतर मलेशियाई प्रधानमंत्री ने भारत के नए नागरिकता क़ानून के औचित्य पर सवाल किया था और कहा था कि जब पिछले सत्तर सालों से भारत के लोग साथ रह रहे हैं तो इस क़ानून की क्या ज़रूरत थी.

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