पाकिस्तान में है भगवान शिव का यह पुराना मंदिर, जहां भोलेनाथ ने सती की याद में बहाए थे आंसू; जानें इसका महत्व

कटासराज धाम मंदिर लगभग 5 हजार साल पुराना है. महाभारत काल से जुड़ा यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. हर साल सैकड़ों भारतीय श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन करने के लिए भारत से पाकिस्तान यात्रा करते हैं. 

Written by - Shruti Kaul | Last Updated : Mar 7, 2024, 04:11 PM IST
  • पाकिस्तान में बसा है भगवान शिव का यह मंदिर
  • भारत से 112 श्रद्धालु जा रहे कटासराज मंदिर
 पाकिस्तान में है भगवान शिव का यह पुराना मंदिर, जहां भोलेनाथ ने सती की याद में बहाए थे आंसू; जानें इसका महत्व

नई दिल्ली:  Mahashivratri 2024: भारत में हिंदू देवी-देवताओं से जुड़े कई ऐतिहासिक मंदिर और धार्मिक स्थल मौजूद हैं, हालांकि इनमें से कई मंदिर 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान पाकिस्तान के हिस्से में चले गए थे. ऐसा ही एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है कटासराज धाम मंदिर. यह मंदिर पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में स्थित है. इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से भी जुड़ा है. 

पाकिस्तान में स्थित है कटासराज मंदिर 
कटासराज धाम मंदिर लगभग 5 हजार साल पुराना है. महाभारत काल से जुड़ा यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. हर साल सैकड़ों भारतीय श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन करने के लिए भारत से पाकिस्तान यात्रा करते हैं. इस साल भी शिवरात्रि के मौके पर 112 श्रद्धालु कटासराज धाम मंदिर में पूजा और दर्शन के लिए रवाना हो गए हैं. ये श्रद्धालु अटारी बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान जा रहे हैं. 

भगवान शिव के आंसुओं से बना था कुंड 
पौराणिक कथाओं की मानें तो जब माता सती अग्नि समाधि में गई थीं तो विलाप करते हुए भगवान शिव की आंखों से आंसूं की 2 बूंदे टपकी थीं. इनमें से एक बूंद पु्ष्कर तो एक कटासराज में गिरी थी. माना जाता है कि इसी आंसू से यहां पर एक कुंड का निर्माण हुआ था. मान्यता है कि मां सती के पिता दक्ष ने भगवान शिव पर कई कटाक्ष किए थे. इसी के चलते मंदिर का नाम भी कटासराज रखा गया. यह भी माना जाता है कि पांडवों ने वनवास के दौरान यहां पर मौजूद निमकोट की पहाड़ियों में अपना आज्ञातवास बिताया था और यहीं पर ही युधिष्ठिर और यक्ष का संवाद हुआ था. 

अन्य भगवानों के भी बने हैं मंदिर 
कटासराज के ज्यादातर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, हालांकि इनमें से कुछ मंदिर भगवान राम और हनुमान के भी बनाए गए हैं, जिसमें सबसे बड़ा मंदिर भगवान राम का बना है. मंदिर के परिसर में कई बौद्ध स्तूप भी हैं, जो मौर्य वंश के शासनकाल में सम्राट अशोक ने बनवाया था. मंदिर के परिसर में गुरुद्वारे के अवशेष भी देखने को मिलते हैं. 

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