नई दिल्लीः कनाडा में सिख पुलिसकर्मियों के साथ अप्रत्यक्ष रूप से भेदभाव करने वाला एक मामला सामने आया है. दरअसल इस मामले की जड़ में Corona Virus है. सामने आया है कि सिख पुलिसकर्मियों को विभिन्न मोर्चे से हटा दिया गया है.
इसके पीछे की वजह है कि वे मेडिकल-ग्रेड रेस्पिरेटर मास्क पहनने में सक्षम नहीं हैं. इस तरह उन्हें मोर्चे पर न रखकर डेस्कजॉब के लिए बाध्य किया गया है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इसकी आलोचना की है.
कनाडाई पीएम ने की आलोचना
जानकारी के मुताबिक, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने मेडिकल-ग्रेड रेस्पिरेटर मास्क पहनने की नीति के लिए देश के प्रमुख कानून प्रवर्तन एजेंसी की आलोचना की है. प्रधानमंत्री का तर्क है कि एजेंसी की यह नीति एक तरह से उन सिख पुलिसकर्मियों के खिलाफ भेदभाव करती दिखाई देती है, जिन्हें कोरोना वायरस संकट की अवधि के दौरान मोर्चे से हटा दिया गया है.
फिटिंग मास्क नहीं पहन सकते सिख
सामने आया है कि रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस या आरसीएमपी ने जो नीति बनाई है वह फ्रंटलाइन अधिकारियों को "फिटिंग मास्क" पहनने के लिए जोर डालती है. इस बाध्यता का असर हुआ कि इसके परिणामस्वरूप कई सिख पुलिसकर्मियों को डेस्क जॉब सौंपी गई है.
इसकी वजह है कि उनकी दाढ़ी ऐसे मुखौटे या किसी फिटिंग मास्क को पहनने में सक्षम नहीं है और रोकती है. कनाडाई प्रधानमंत्री ने एक मीडिया बातचीत के दौरान इस नीति की खिलाफत की. उन्होंने आलोचना करते हुए कहा कि यह ऐसी चीज है जिससे मुझे उम्मीद है कि आरसीएमपी जल्दी ठीक करेगा.
ट्रूडो ने जताई निराशा
उन्होंने इस मामले को लेकर बेहद निराशा जताई है. उन्होंने कहा कि उनकी निराशा के लिए वजह है क्योंकि "कई अन्य पुलिस बलों और अन्य संगठनों ने धर्म के कारण कुछ व्यक्तियों के खिलाफ भेदभाव पैदा करने वाले स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों को बनाए रखने के तरीकों को अपनाया है.
इस मुद्दे को विश्व सिख संगठन या डब्ल्यूएसओ ने उठाया, जिसमें कहा गया था कि इस नीति के कारण 31 मार्च के बाद से लगभग 30 सिख अधिकारियों को फिर से नियुक्त किया गया था. यह कहा कि अप्रैल में कुछ अधिकारियों द्वारा संपर्क किया गया था और उन्होंने कहा कि "वे फिर से आ सकते हैं".
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