Pollution killed: प्रदूषण से 90 लाख लोगों की गई जान, जानें भारत में कितनी मौतें

Pollution killed: 2019 में 90 लाख लोगों की मौत के लिए प्रदूषण जिम्मेदार था. प्रदूषण से मौत कुपोषण और नशीली दवाओं और शराब से होने वाली मृत्यु का लगभग तीन गुना से अधिक है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 18, 2022, 10:11 AM IST
  • दुनिया में होने वाली छह मौतों में से एक की वजह वायु, रसायन और जल प्रदूषण है
  • 2015 में पिछले विश्लेषण के बाद से प्रदूषण मृत्यु दर 'वस्तुतः अपरिवर्तित' है
Pollution killed: प्रदूषण से 90 लाख लोगों की गई जान, जानें भारत में कितनी मौतें

लंदन: Pollution killed: एक प्रमुख रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में 90 लाख लोगों की मौत के लिए प्रदूषण जिम्मेदार था. दुनिया भर में होने वाली कुल मौत को देखें तो 6 में से एक मौत का जिम्मेदार वायु, रसायन और जल प्रदूषण को पाया गया है. करीब-करीब इतनी ही मौत धूम्रपान के चलते होती हैं. वहीं प्रदूषण से मौत कुपोषण और नशीली दवाओं और शराब से होने वाली मृत्यु का लगभग तीन गुना से अधिक है.

लैंसेट कमिशन ऑन पल्युशन एंड हेल्थ की रिपोर्ट में 2019 ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी के आधार पर प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों का अनुमान लगाया गया है. शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि प्रदूषण बीमारी और अप्राकृतिक मौत के लिए दुनिया का सबसे बड़ा पर्यावरणीय जोखिम कारक है लेकिन 'इस सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए बहुत कम किया गया है. 

सबसे अधिक मौत कहां
भारत 2,357,267, चीन 2,177,460, नाइजीरिया 357,760, पाकिस्तान 308,800, इंडोनेशिया 263,344, बांग्लादेश 215,824, संयुक्त राज्य अमेरिका 142,883, इथियोपिया 126,538, मिस्र 111,790, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य 101,587, रूस 93,802, ब्राजील 91,135, फिलीपींस 86,374, म्यांमार 82,052, वियतनाम 81,761, जापान 71,684, मेक्सिको 66,511, ताइवान 60,456, तुर्की 58,196 और ईरान 57,395. 

क्यों नहीं बेहतर हो रही स्थिति
शोधकर्ताओं ने कहा कि दुनिया भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट से निपटने में बहुत कम प्रगति हुई है - 2015 में अंतिम विश्लेषण के बाद से मृत्यु दर 'वस्तुतः अपरिवर्तित' है. विशेषज्ञों ने दावा किया कि अत्यधिक गरीबी के कारण प्रदूषण से होने वाली मौतों को कम करने में प्रगति हुई है, जैसे कि अशुद्ध पानी, स्वच्छता की कमी और ईंधन जलाने से घरेलू वायु प्रदूषण. लेकिन यह बाहरी वायु प्रदूषण और लेड पॉइज़निंग जैसे जहरीले रसायनों के कारण होने वाली मौतों में वृद्धि के चलते मृत्यु दर पर असर नहीं पड़ पाया. 

क्या है बचाव का रास्ता
वैज्ञानिकों ने 'सभी जीवाश्म ईंधनों से दूर स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा के लिए बड़े पैमाने पर, तेजी से काम करने का' आह्वान किया.

वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण बेहद खतरनाक
रिपोर्ट में पाया गया कि नौ मिलियन मौतों (6.67 मिलियन) में से तीन-चौथाई वायु प्रदूषण, घरेलू और परिवेश दोनों, जैसे परिवहन, कारखानों और धूल से हुई थीं. विशेषज्ञों ने पाया कि जल प्रदूषण के कारण 13.6 लाख लोगों की मौत समय से पहले हुईं, जबकि सीसे से 900,000 मौतें हुईं और जहरीले व्यावसायिक खतरे - सफाई एजेंटों, पारा और कीटनाशकों सहित - 870,000 के लिए जिम्मेदार थे. 

कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे जहरीले रासायनिक प्रदूषण के कारण 1.8 मिलियन से अधिक मौतें हुईं - 2000 के बाद से 66 प्रतिशत की वृद्धि. विशेषज्ञों का अनुमान है कि प्रदूषण से होने वाली मौतों की वजह से 2019 में वैश्विक अर्थव्यवस्था को £5.14 ट्रिलियन ($4.6 ट्रिलियन) का नुकसान हुआ, जो कि आर्थिक उत्पादन के 6.2 प्रतिशत के बराबर है. रिपोर्ट के प्रमुख लेखक और स्वास्थ्य और प्रदूषण पर ग्लोबल अलायंस के अध्यक्ष रिचर्ड फुलर ने कहा: 'प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभाव बहुत अधिक हैं, और निम्न और मध्यम आय वाले देश इस बोझ का खामियाजा भुगत रहे हैं.

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