China में सोलह हज़ार मस्जिदें तोड़ दी गईं, इस्लामिक आजादी चीन में नहीं

चीन का ये संदेश पाकिस्तान, ईरान सहित हर मुस्लिम देश के लिए है कि हमारे देश में इस्लामिक आज़ादी का फायदा आप नहीं उठा पाएंगे ..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 26, 2020, 10:00 PM IST
    • चीन का मानव अधिकार विरोधी चेहरा
    • ऑस्ट्रेलियन थिंक टैंक ने दी जानकारी
    • कैम्प में बंद हैं मुस्लिम्स
China में सोलह हज़ार मस्जिदें तोड़ दी गईं, इस्लामिक आजादी चीन में नहीं

नई दिल्ली.  हैरानी की बात नहीं होगी यदि पाकिस्तान जैसा चीन का चमचा देश इस सवाल पर कन्नी काट लेगा और इसका जवाब देने से साफ़ बचना चाहेगा. ज़ाहिर है 'जात बड़ी न मजहब सबसे बड़ी है पैसे की मदद' जो चीन पाकिस्तान जैसे इस्लामिक राष्ट्रों को दे कर उनको खरीद रहा है. और हैरानी इस बात पर भी नहीं होगी कि मुसलमानो का कोई भी वैश्विक संगठन चीन की इस सख्ती के खिलाफ न ही कुछ बोलेगा न ही खड़ा होगा क्योंकि ऐसा करने वाला देश एक सख्त चेहरे वाला देश चीन है. 

चीन का मानव अधिकार विरोधी चेहरा  

सारी दुनिया चीन के बारे में जानती है. चीन सरकार राष्ट्रीय अनुशासन का सख्ती से पालन करवाती है. चीन की सरकार धार्मिक कट्टरता की विरोधी है और इस विरोध में वह खुद इतनी कट्टर हो जाती है कि ऐसे लोगों के विरुद्ध मानवाधिकार विरोधी भी बन जाती है. इस देश में हाल ही में 16 हजार मस्जिदों को ढहा दिया गया है, ये खबर आज दुनिया के लिए है जबकि  चीन में इसे खबर नहीं माना जाता. 

ऑस्ट्रेलियन थिंक टैंक ने दी जानकारी  

चीन में धार्मिक आज़ादी किस हद तक जाकर छीनी जा रही है, ये जानकारी एक ऑस्ट्रेलियन थिंक टैंक ने दुनिया को दी है. इस थिंक टैंक ने अपनी हाल में ही जारी एक रिपोर्ट में बताया है कि शिनजियांग प्रांत में  अब तक चीनी सरकार द्वारा कुल सोलह हज़ार से अधिक मस्जिदों को तोड़ डाला गया है. इस रिपोर्ट ने इस घटना को दुनिया के सामने ज़रूर रखा है किन्तु सभी जानते हैं कि चीन में ये कोई नई बात नहीं है. 

कैम्पों में बंद हैं मुस्लिम्स 

ऑस्ट्रेलिया के थिंक टैंक की रिपोर्ट चीन में रहने वाले मुसलमानों की स्थिति पर भी प्रकाश डालती है. रिपोर्ट बताती है कि उत्तरी-पश्चिमी प्रांत में दस लाख से ज़्यादा मुसलमानो को कैम्पों में कैद किया गया है. चीन की सरकार चाहती है कि शिनजियांग प्रांत में रहने वाले ये लोग अपनी परंपरागत और धार्मिक गतिविधियों को त्याग दें. इस आज्ञा का पालन कराने हेतु बनाये जा रहे दबाव के प्रति विरोध करने वाले लोगों को इन कैम्पों में डाल दिया जाता है. 

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