नई दिल्ली. 'मैं चाहता था कि ये भूखे लोग जिंदा बचें लेकिन वो लोग खुद ही मरकर जीसस से मिलना चाहते थे.' केन्या के शाकाहोला जंगलों से रिपोर्टिंग के बाद लौटे एक एक्टिविस्ट ने दुनियाभर में कुख्यात हुए सामूहिक आत्महत्या केस में थर्रा देने वाली डिटेल दी हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में विक्टर काउडा ने बताया है कि लोग मौत को गले लगाने को तैयार थे जिससे वो जीसस से मिल सकें.
अप्रैल महीने का है मामला
दरअसल केन्या में अप्रैल महीने की शुरुआत में एक ऐसी घटना हुई जिसने पूरी दुनिया को दहलाकर रख दिया. पॉल मैकेंजी नाम के एक पादरी के अंधविश्वास फैलाने पर करीब 200 लोगों ने भरोसा किया और खुद को कई दिनों तक भूखा रखने के बाद जमीन के अंदर दफ्न कर लिया. अब इस घटना के बारे में विक्टर काउडो ने दिल दहला देने वाली डिटेल दी हैं.
मामले में अब तक 26 की गिरफ्तारी
समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक हाल में इस केस से जुड़ी 22 और डेडबॉडी मिली हैं. मामले में अब तक 26 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है इनमें मैकेंजी भी शामिल है. मैकेंजी ने ऐसे लोगों का एक ग्रुप तैयार किया था जो लोगों को किसी भी कीमत पर पानी और खाना नहीं लेने पर मजबूर करता था. यही ग्रुप निश्चित करता था कि जंगल से कोई भी व्यक्ति जिंदा वापस न जाने पाए.
हालांकि मेडिकल जांच में कई हैरान करने वाले तथ्य भी सामने आ रहे हैं. जांचकर्ताओं के मुताबिक कई लोगों की मौत गला दबाने, पीटने और दम घुटने से भी हुई है, इसमें बच्चे भी शामिल हैं.
लोग मरने को तैयार थे, मदद लेने को नहीं
विक्टर काउडो ने बताया है कि वो सामूहिक आत्महत्या वाले जंगल में मार्च महीने में गए थे. दरअसल उन्हें सूत्रों से जानकारी मिली थी कि एक पादरी के कहने पर लोग सामूहिक आत्महत्या के लिए तैयार हैं. काउडो ने कहा कि वो जब जंगल में पहुंचे तो कुछ महिलाओं और पुरुषों को खाना-पानी देने की कोशिश की लेकिन वो लोग तैयार ही नहीं हुए. यहां तक कि सामूहिक आत्महत्या के लिए तैयार लोगों ने काउडो को जीसस का दुश्मन तक करार दे डाला था. काउडो के मुताबिक यह दिखाता है कि अंधविश्वास के लिए मैकेंजी ने लोगों का किस तरह ब्रेन वॉश किया था.
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