सऊदी अरब की इस राजकुमारी ने क्यों की हिंदू धर्म की पढ़ाई, खूबसूरती की दुनिया में होती है चर्चा

अरब देशों की राजकुमारियों को उनकी सुंदरता के साथ उनकी काबिलियत के लिए भी जाना जाता है. रब के शाही परिवार का हिस्सा अमीरा अल तवील फैशन आइकॉन होने के साथ-साथ एक समाजसेवी भी हैं. इसके साथ ही उन्होंने कई धर्मों का भी अध्ययन किया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 10, 2022, 11:18 AM IST
  • 18 वर्ष की उम्र में अमीरा की हुई शादी
  • ब्रिटिश यूनिवर्सिटी से की है पढ़ाई
सऊदी अरब की इस राजकुमारी ने क्यों की हिंदू धर्म की पढ़ाई, खूबसूरती की दुनिया में होती है चर्चा

नई दिल्ली. सऊदी अरब के शाही परिवार का हिस्सा और बड़े बिजनेसमैन अल वालीद की पूर्व पत्नी अमीरा अल तवील दुनियाभर में चर्चा में रही हैं. फैशन आइकॉन और समाजसेवी की पहचान रखने वाली अमीरा ने महज 18 वर्ष की उम्र में अल वालीद से शादी की थी. वालीद उस वक्त अमीरा से 28 साल बड़े थे. अमीरा का जन्म भी सऊदी के शाही परिवार में ही हुआ था लेकिन उनके माता-पिता तख्त के उत्तराधिकार में हिस्सा नहीं रखते थे. लेकिन वालीद से शादी के बाद अमीरा आधिकारिक तौर पर सऊदी की राजकुमारी बन गई थीं. हालांकि साल 2013 में दोनों का आपसी सहमति से तलाक हो गया था. इसके बाद अमीरा ने यूएई के बिजनेसमैन खलीफा बिन बुत्ती अल मुहैरी से शादी की थी. 

अमेरिका और ब्रिटिश यूनिवर्सिटी से की है पढ़ाई
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ हेवन और ब्रिटेन के किंग्स कॉलेज ऑफ लंदन से शिक्षाप्राप्त अमीरा सऊदी अरब में महिलाओं के अधिकारों की बड़ी हिमायती रही हैं. अल वालीद ने शादी के बाद ही अमीरा को अल वालीद बिन तलाल फाउंडेशन का वाइस प्रेसिडेंट बना दिया था जिसके जरिए उन्होंने देश में लोगों को मदद पहुंचाने के कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया. यह फाउंडेशन एक अंतरराष्ट्रीय एनजीओ है जो दुनियाभर में गरीबी हटाने, त्रासदी में मदद, महिलाओं के अधिकार और अंतर्धामिक संवाद के लिए काम करता है.

इंटरव्यू में बताया- क्यों की हिंदू समेत अन्य धर्मों की पढ़ाई
2012 में सऊदी की राजकुमार रहते हुए अमीरा ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को एक इंटरव्यू दिया था. इस इंटरव्यू के दौरान उनसे सवाल पूछा गया कि 'आप इस्लाम को लेकर जागरूकता फैलाने का काम कर रही हैं. कई जगह इसके लिए सेंटर्स भी खोले गए हैं. इससे आपकी क्या आशा है?' इस पर अमीरा ने जवाब दिया- 'शिक्षा से आपका ज्ञानोदय होता है. जब लोग किसी बात पर जागरूक नहीं होते हैं तो उनके बारे में राय बनाई जाती है. इसी वजह से हमारे सेंटर्स दुनिया के 60 विश्वविद्यालयों में हैं. हम एजुकेशन का इस्तेमाल लोगों को एक करने के लिए कर रहे हैं.'

इसके बाद अमीरा ने अन्य धर्मों को लेकर अपने अध्ययन और विचार के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा-'मैंने कंपैरिटिव रिलिजन की पढ़ाई की. मैंने हिंदू धर्म, यहूदी धर्म, ईसाई धर्म के बारे में शिक्षा हासिल की. अध्ययन की इस पूरी प्रक्रिया ने मेरी आंखें खोल दी. साथ ही मेरे मन में इन धर्मों के लिए सम्मान और ज्यादा बढ़ा. यही काम हम इन सेंटर्स के जरिए करना चाहते हैं.' 

महिला अधिकारों के मामले में फिसड्डी रहा है सऊदी अरब
बता दें कि अल वालीद से तलाक के बाद भी अमीरा महिला अधिकारों के लिए काम करती रहती हैं. हालांकि अब वो सऊदी की राजकुमारी यानी प्रिंसेज नहीं है. लेकिन अमीरा जैसी कई महिलाओं के कारण ही सऊदी अरब में बीते कुछ सालों में कई बदलाव हुए हैं. इसके बावजूद वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2022 के मताबिक दुनिया के 146 देशों में सऊदी अरब का स्थान 127वां है. वहीं वर्ल्ड बैंक के वुमन, बिजनेस और लॉन इंडेक्स (2021) के मुताबिक 100 देशों में सऊदी 80 नंबर पर है. 

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