नई दिल्ली: 2019 में दुनियाभर के कई अलग-अलग हिस्सों में कई मुद्दों के खिलाफ प्रदर्शन देखे गए. दुनिया भर में सत्ता उसकी नीतियों और राजनीतिक हस्तियों के खिलाफ आम जनता का गुस्सा भड़का. सड़कों पर कई विरोध प्रदर्शन देखने को मिले.
विरोध-प्रदर्शनों का साल 2019
इराक से लेबनान और फ्रांस-स्पेन से चिली तक सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन हुए. सभी प्रदर्शन, वजहों, तरीकों और लक्ष्यों के हिसाब से अलग-अलग हैं. लेकिन कुछ समानताएं हैं, जो उन्हें एक साथ जोड़ती हैं. हज़ारों मील दूर होने के बावजूद, कई देशों में इन प्रदर्शनों के कारण लगभग समान रहे, और कुछ ने एक दूसरे को प्रेरित भी किया. आर्थिक संकट, गैर-बराबरी, और स्वात्तता जैसी वजहों को लेकर सड़कों पर उतरने वालों ने सत्ता को नाको चने चबाने को मजबूर कर दिया.
लंबा चला हन्ग-कॉन्ग का संघर्ष
इनमें सबसे ज्यादा आक्रामक और लंबा चला हन्ग-कॉन्ग का संघर्ष. एक्स्ट्राडिशन बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ जिसमें कुछ मामलों में संदिग्ध अपराधियों को चीन को सौंपे जाने का प्रावधान था. हॉन्ग कॉन्ग चीन का हिस्सा है, पर एक समझौते के तहत हॉन्ग-कॉन्ग के लोगों को विशेष स्वतंत्रता हासिल है. पर अब डर बढ़ रहा है कि बीजिंग उन पर ज्यादा नियंत्रण हासिल करना चाहता है. इन प्रदर्शनों ने कई बार हिंसक रूप भी अख्तियार कर लिया. लेकिन, हॉन्ग-कॉन्ग प्रशासन को घुटने के बल ला दिया. हालत ये हो गई कि विवादास्पद बिल वापस लेना पड़ा, फिर भी पूर्ण स्वतंत्रता, पुलिस की बर्बरता के खिलाफ स्वतंत्र जांच और गिरफ्तार लोगों की रिहाई और माफी जैसी मांगों ने आंदोलन जिंदा रखा है.
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"THE RAPIST IS YOU" का नारा
वैसे तो फेमनिस्ट आंदोलन का इतिहास बेहद पुराना रहा है. महिलाओं के खिलाफ़ हो रही हिंसा के विरोध का ये चिलियन सॉन्ग लेकिन इस सालपूरी दुनिया में इतना लोकप्रिय हुआ है कि ये तेजी से फैल रहा है. इस गाने में चिली के नारिवादियों ने "THE RAPIST IS YOU" का जो नारा दिया, वो महिला सशक्तिकरण का एक नया और सॉफ्ट हथियार बनता जा रहा है. दुनिया के कई देशों में इस सॉन्ग को दोहराते हुए महिलाओं ने अपनी आवाज बुलंद की.