नई दिल्ली: पाकिस्तान की नापाक हरकतें 2019 में पहले से भी ज्यादा बढ़ गईं, लेकिन भारतीय सेना ने इस बार उसे ऐसा सबक सिखाया कि पाकिस्तान इस साल को कभी भूल नहीं पाएगा. LOC पर सीजफायर का उल्लंघन तो उसके लिए आम बात रही है जिसका भारत की तरफ से उसे मुंहतोड़ जवाब मिलता रहा है. 


पुलवामा हमले के बाद मिला जवाब


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14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के एक काफिले पर आतंकियों ने हमला कर दिया, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे. हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी. इस बार भारत की तरफ से बात सिर्फ निंदा प्रस्ताव तक सीमित नहीं रही, बल्कि इंडियन एयर फोर्स ने 26 फरवरी को पाकिस्तान में घुसकर बालाकोट में चरमपंथी संगठनों के ठिकानों को नेस्तोनाबूद कर दिया.


महज 90 सेकेंड में अंजाम दिए गए इस ऑपरेशन में करीब 300 आतंकी मारे गए थे. इससे पहले 1971 के युद्ध में भारतीय सेना पाकिस्तान में घुसी थी. इंडियन एयरफोर्स के हमले से पाकिस्तान सन्न रह गया था.


370 पर छाती पीटता पाकिस्तान


जब भारत के जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को मोदी सरकार ने निरस्त किया तो पाकिस्तान ने पूरी दुनिया में भारत के खिलाफ दुष्प्रचार किया, लेकिन अमेरिका रूस ब्रिटेन समेत किसी देश ने उसकी बातों को तवज्जो नहीं दी. यहां तक कि इस मुद्दे पर पाकिस्तान को इस्लामिक देशों का भी साथ नहीं मिला. निराश पाकिस्तान के हौसले पस्त हो गए. लेकिन उसकी खुराफात अब भी जारी है.


कंगाल पाकिस्तान, रो रहा इमरान


इन सबके बीच पाक पीएम इमरान खान, अपने कैबिनेट सहयोगियों के साथ लगातार भारत के खिलाफ़ जंग की धमकियां देते रहे. और उधर साल भर लगातार महंगाई का भयानक अटैक पाकिस्तानी अवाम को परेशान करता रहा. अनाज-दालें, सब्जियां मांस दूध और पेट्रोल के लिए लोग तरसते रहे. साल के अंत होते तक रसोई गैस और सीएनजी तक के लाले पड़ गए.


पीओके के खिलाफ 'गृहयुद्ध'


उधर पीओके के लोगों ने पाकिस्तान के जुल्मों के खिलाफ जंग छेड़ दी. और पाकिस्तान में फजल्लुर्रहमान के नेतृत्व में इमरान सरकार के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा आज़ादी मार्च निकला.


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सैन्य तानाशाह को सजा-ए-मौत


साल के अंतिम महीने में पाकिस्तान की अदालत ने पूर्व तानाशाह परवेझ मुशर्रफ को फांसी की सजा सुनाई. पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब सेना प्रमुख के पद पर रहे किसी शख्स को राजद्रोह के मामले में अदालत की ओर से सजा-ए-मौत सुनाई गई. पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और तानाशाह रहे 76 साल के परवेज मुशर्रफ ने इस फैसले के खिलाफ लाहौर हाई-कोर्ट में याचिका दी है.


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