कुरुक्षेत्र : जगह एक-कहानी अनेक, क्या ब्रह्म सरोवर की इस कथा से भी वाकिफ हैं आप?
Advertisement
Article Detail0/zeephh/zeephh1012468

कुरुक्षेत्र : जगह एक-कहानी अनेक, क्या ब्रह्म सरोवर की इस कथा से भी वाकिफ हैं आप?

हरियाणा में कुरुक्षेत्र का नाम आप सभी ने सुना होगा. यह वह स्थान है, जहां महाभारत का भीषण युद्ध हुआ था. कुरुक्षेत्र वह पवित्र स्थान भी है जहां भारतीय संस्कार में श्राद्ध करना काफी पवित्र माना जाता है.

ब्रह्म सरोवर

सोनू शर्मा/ नई दिल्ली :  हरियाणा में कुरुक्षेत्र का नाम आप सभी ने सुना होगा. यह वह स्थान है, जहां महाभारत का भीषण युद्ध हुआ था. कुरुक्षेत्र वह पवित्र स्थान भी है जहां भारतीय संस्कार में श्राद्ध करना काफी पवित्र माना जाता है. इतिहास के पन्नों पर कुरुक्षेत्र महाभारत के कारण ही नहीं है, बल्कि कई ऐतिहासिक घटनाओं के कारण भी इसे प्रसिद्धि मिली है. आप में से कई लोगों ने यहां की यात्रा भी की होगी. 

ये भी पढ़ें : हरियाणा में फिर बदला पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा शेड्यूल, अब इस तारीख से शुरू होगी

 'ब्रह्म सरोवर' कुरुक्षेत्र में स्थित एक झील है. ब्रह्म सरोवर आज भी अपने इतिहास और पौराणिकता के कारण आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. ब्रह्म सरोवर जैसा कि नाम से ही पता चलता है ब्रह्मांड के निर्माता भगवान ब्रह्मा से जुड़ा हुआ है. सूर्य ग्रहण के दौरान सरोवर के पवित्र पानी में डुबकी लगाना हजारों अश्वमेध यज्ञों के बराबर माना जाता है.

WATCH LIVE TV 

स्थानीय जानकारों के अनुसार इसे कौरव और पांडवों के पूर्वज राजा कुरु ने खुदवाया था. स्थानीय मान्यता के अनुसार युधिष्ठिर ने महाभारत के युद्ध में अपनी जीत के प्रतीक के रूप में सरोवर के बीच में एक टावर बनवाया था. उसी द्वीप परिसर में एक प्राचीन द्रौपदी कूप भी है. सरोवर के उत्तरी तट पर भगवान शिव का मंदिर है, जो सर्वेश्वर महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है.

पौराणिक मान्यता के अनुसार यहां भगवान ब्रह्मा ने शिवलिंग स्थापित किया था. नवंबर-दिसंबर में ब्रह्म सरोवर के तट पर वार्षिक गीता जयंती समारोह आयोजित किया जाता है. कुरुक्षेत्र को भगवान ब्रह्मा द्वारा विशाल यज्ञ से बनाया गया था. इस कुंड में डुबकी लगाना पुण्‍य माना जाता है.

ये भी पढ़ें : IBPS PO Main Result 2021: क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में PO भर्ती मुख्य परीक्षा का रिजल्ट जारी, ऐसे चेक करें

ब्रह्म सरोवर कब जाएं

यह कुंड 1800 फीट लंबा और 1400 फीट चौड़ा है. यहां सूर्य ग्रहण और गीता जयंती के दौरान काफी भीड़ होती है. वैसे तो साल के किसी भी समय ब्रह्म सरोवर की यात्रा की जा सकती है, लेकिन यात्रा का आदर्श समय नवंबर और दिसंबर के दौरान होता है, जब यहां गीता जयंती मनाई जाती है. यह समारोह बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दौरान बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं. नवंबर में गीता जयंती के दौरान और दिसंबर में दीपदान के समय यहां प्रवासी पक्षी भारी संख्‍या में आते हैं.

देश के 30 प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों में शामिल

ब्रह्म सरोवर को भारत सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत 30 प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों की सूची में शामिल किया है. इस सूची में ताजमहल, स्वर्ण मंदिर, तिरुपति बालाजी मंदिर और सोमनाथ मंदिर जैसे 30 प्रतिष्ठित धार्मिक स्थल शामिल हैं.

15 लाख ने एक साथ लगाई थी डुबकी

अक्तूबर 2005 में सूर्यग्रहण मेले के अवसर पर कुरुक्षेत्र के इस ब्रह्म सरोवर में एक साथ 15 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई और रिकॉर्ड स्थापित किया था. 

पूर्व राष्ट्रपति ने फहराया था सबसे बड़ा तिरंगा

देश की पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने 8 फरवरी 2012 को ब्रह्म सरोवर पर 206 फीट ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज को फहराया था. इस तिरंगे को देखने के लिए दूरदराज से लोग ब्रह्म सरोवर पहुंचे थे.

Trending news