भर्ती घोटाला : सुरजेवाला का बड़ा आरोप मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने झूठ बोलकर क्यों बरगलाया ?
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भर्ती घोटाला : सुरजेवाला का बड़ा आरोप मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने झूठ बोलकर क्यों बरगलाया ?

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हरियाणा सरकार पर नौकरी बिक्री घोटालों के दोषियों को बचाने का आरोप लगाया है. उन्होंने पूछा सरकार खुद फैसला करे कि वह वह नौकरी बेचने वाले ‘दलालों’ के साथ या ‘युवाओं’ के.

रणदीप सिंह सुरजेवाला और मनोहर लाल  (File Photo)

चंडीगढ़ : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला (Randeep Singh Surjewala) ने नौकरी बिक्री घोटालों को लेकर हरियाणा सरकार के खिलाफ जबर्दस्त हमला बोल दिया है. उन्होंने कहा है कि प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार व CM  मनोहर लाल अपनी जिम्मेदारी स्वीकारने की बजाय पूरी तफ्तीश को दिग्भ्रमित कर अपना पीछा छुड़ाने की कोशिश में लगे हैं. लगता है कि पुलिस व विजिलेंस विभाग भी अब नौकरी घोटाले की जांच पूरी होने से पहले ही पर्दा डालने पर लगे हैं.

सुरजेवाला का आरोप है कि पूरी सरकार मिलकर हर कीमत पर सारे मामले को रफा-दफा करने में लगी है. यहां तक कि घोटाले में मुख्य दोषी पुलिस हिरासत से छूटकर न्यायिक हिरासत में है और जैसा अभी चल रहा है, उससे तो मुख्य आरोपी बहुत जल्द जमानत पर होंगे व 2018 के एचपीएससी के ‘‘रिश्वत दो-नौकरी लो’’ घोटाले की तरह मौजूदा नौकरी बिक्री व्यापम घोटाला भी पाताल की तह में छिप जाएगा.

 

100 पर्दों के पीछे छिपने नहीं देंगे

सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार व मुख्यमंत्री अपनी जवाबदेही से पल्ला नहीं झाड़ सकते. उन्हें सिलसिलेवार बिंदुओं का जवाब देना होगा. उन्होंने कहा, भाजपा-जजपा याद रखें कि युवाओं के अपराधियों को 100 पर्दों के पीछे भी छिपने नहीं देंगे.

सुरजेवाला ने कहा कि हरियाणा पुलिस के विजिलेंस विभाग ने 20 नवंबर को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पत्रकारों को बताया था कि  हरियाणा लोकसेवा आयोग के डिप्टी सेक्रेटरी अनिल नागर (Anil Nagar) को 1.07 करोड़ रुपये के साथ आयोग के दफ्तर से ही गिरफ्तार किया गया था. 23 नवंबर को अदालत में दी रिमांड की दरख्वास्त (पेज 5) में भी विभाग ने 23 नवंबर को यह जानकारी दी थी पर 23 नवंबर को हाई पावर परचेज कमेटी की बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने अनिल नागर से रिश्वत की राशि बरामद होने की बात सिरे से ही नकार दी.

दूसरी तरफ अनिल नागर के वकील पहले से ही पैसे की रिकवरी न होने की बात कह रहे हैं. अनिल नागर के वकील और मुख्यमंत्री लगभग एक ही बात कहकर हरियाणा विजिलेंस ब्यूरो की बात को झुठला रहे हैं. 

सवालों की लगाई झड़ी 

सुरजेवाला ने कहा, सवाल यह है कि मुख्यमंत्री ने झूठ क्यों बोला? इतने बड़े महाव्यापम घोटाले में मुख्य आरोपी अनिल नागर, अश्विनी शर्मा व नवीन का पुलिस रिमांड कैसे और क्यों खारिज हुआ? 

साथ ही यह भी पूछा यह सब ‘‘संयोग है या प्रयोग’’. पुलिस रिमांड के बगैर इन सारे षडयंत्रों की परत कैसे खुलेगी? इन सारे कागजात की बरामदगी कैसे होगी? इन सारे घोटालों पर से पर्दा कैसे उठेगा? खट्टर सरकार और उनकी विजिलेंस क्या कर रही है? कमाल की बात यह है कि अभी तक पुलिस विजिलेंस ब्यूरो ने अपनी जांच पूरी तरह से शुरू भी नहीं की है. 

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सुरजेवाला ने कहा कि महाव्यापम नौकरी बिक्री घोटाले की जांच को डेंटल सर्जन की केवल 14 ओएमआर शीट तथा HCS की 22 ओएमआर शीट तक सीमित कर पर्दा डालने की साजिश साफ है. भाजपा-जजपा सरकार खुद फैसला करे कि वह वह नौकरी बेचने वाले ‘दलालों’ के साथ या ‘युवाओं’ के.

सवाल बड़ा सीधा है. HCS पेपर का नतीजा 24 सितंबर को आया और अनिल नागर की गिरफ्तारी 18 नवंबर को हुई तथा उसके बाद रेड में ओएमआर शीट बरामद हुई. HCS का रिजल्ट आने के बाद पूरे दो महीने (56 दिन) बीत गए तो क्या अनिल नागर ओएमआर शीट दो महीने से अपने दफ्तर में रखे बैठे था. क्या ऐसा तो नहीं कि धांधली बहुत बड़े स्तर पर हुई और पहले रिजल्ट में धांधली करने के बाद ओएमआर शीट्स भरने का दूसरा राउंड चल रहा था, ताकि रिवाइज्ड रिजल्ट में अपने गुर्गे फिट किए जा सकें?

जांच क्यों नहीं की जा रही ? 

सुरजेवाला ने कहा कि एक और सनसनीखेज खुलासे में पुलिस सब इंस्पेक्टर  की हाल में हुई भर्ती में ‘पेपर सॉल्वर गैंग’ का हाथ सामने आया है. 15 चयनित पुलिस सब इंस्पेक्टर नौकरी की चिट्ठी लेने ही नहीं आए. शायद उन्हें खतरा था कि उनका बायोमेट्रिक स्कैन नहीं मिलेगा और वे  पकड़े जाएंगे. सरकार सब इंस्पेक्टर पुलिस की भर्ती में धांधली और HSSC की भूमिका संदेह के घेरे में रही है. सवाल यह है कि जांच क्यों नहीं की जा रही ? 

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