14वीं शताब्दी में जिस बीमारी से मारे गए थे 20 करोड़ लोग, दुनिया पर उसका फिर खतरा
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14वीं शताब्दी में जिस बीमारी से मारे गए थे 20 करोड़ लोग, दुनिया पर उसका फिर खतरा

रूस की एक शीर्ष डॉक्टर (Russia Top Doctor) अन्ना पोपोवा (Anna Popova) ने दुनिया को जल्द से जल्द ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) को कम करने की सलाह दी है. 

ब्यूबोनिक प्लेग की बीमारी पहले चूहों में शुरू होती है.

नई दिल्ली : 14वीं शताब्दी में ब्यूबोनिक प्लेग की चपेट में आकर 20 करोड़ लोगों की मौत हो गई थी. इस बीमारी को ब्लैक डेथ (Black Death) के नाम से भी जाना जाता है. उस समय यूरोप की 60% आबादी इस बीमारी की भेंट चढ़ गई थी.

रूस, चीन और अमेरिका में इसका कहर देखा जा चुका है. यह बीमारी दुनिया पर पहले भी तीन बार अटैक कर चुकी है, जिसमें लाखों लोगों ने जान गंवा दी थी. अब एक बार फिर रूस (Russia) की एक शीर्ष डॉक्टर (Russia Top Doctor) अन्ना पोपोवा (Anna Popova) ने दुनिया को चेताया है कि अगर जल्द ही ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) को कम नहीं किया गया तो ब्यूबोनिक प्लेग (Bubonic Plague) का खतरा (Bubonic Plague Risk) बढ़ जाएगा. 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अन्ना पोपोवा (Anna Popova) के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण पर मानवजनित प्रभावों के साथ  दुनिया में प्लेग के मामले बढ़ रहे हैं.

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क्यों खतरनाक है यह बीमारी 

ब्यूबोनिक प्लेग की बीमारी यर्सिनिया पेस्टिस बैक्टीरियम (Yersinia Pestis Bacterium) नाम के बैक्टीरिया की वजह से होती है. यह पहले चूहों में शुरू होती है. जब बैक्टीरिया से प्रभावित चूहों की मौत हो जाती है तो उससे एक पिस्सू निकलता है. जब यह मनुष्य को काटता है तो एक संक्रामक लिक्विड बॉडी में आ जाता है.

यह लिंफ नोड्स (Lymph nodes) और फेफड़ों पर अटैक कर देता है. इसकी वजह से पहले अंगुलियां काली पड़ जाती हैं और फिर सड़ने लगती है। ब्यूबोनिक प्लेग से प्रभावित शख्स को तेज बुखार और असहनीय दर्द के साथ नाड़ी तेज चलने की शिकायत हो जाती है. 

 

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